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सीकर जिले के रैवासा धाम के पीठाधीश्वर महंत राघवाचार्य का आज अंतिम संस्कार होगा। सुबह 8.40 बजे से महंत राघवाचार्य की अंतिम यात्रा निकाली जा रही है। अंतिम यात्रा जानकीनाथ बड़ा मंदिर से रवाना हुई है और रैवासा गांव के अलग-अलग इलाकों से होकर गुजर रही है।
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पीठाधीश्वर को शुक्रवार सुबह बाथरूम में दिल का दौरा पड़ा था। उन्हें तुरंत ही सीकर हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। वे वेदांत विषय में गोल्ड मेडलिस्ट थे। वे राजस्थान संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने राजस्थान में वेदाश्रमों की भी स्थापना की। रैवासा वेद स्कूल में वेदों की शिक्षा लेने वाले स्टूडेंट इंडियन आर्मी से लेकर कई बड़े संस्थानों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
रैवासा धाम के पीठाधीश्वर महंत राघवाचार्य की अंतिम यात्रा कुछ ही देर में निकलने वाली है।
बताया जाता है कि इस पीपल के वृक्ष के नीचे पौने 500 साल पहले अग्रदासजी महाराज ने कठोर तपस्या की थी। इस संस्थान के चमत्कार को बादशाह अकबर ने भी स्वयं जाकर नमन किया था।
महंत के अंतिम दर्शन करने के लिए राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, हवामहल विधायक व हाथोज बालाजी धाम के महंत बाल मुकुन्दाचार्य, सीकर के पूर्व सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती, सांगलिया धूणी के पीठाधीश्वर ओमदास महाराज सहित अनेक नेता व महंत प्रदेशभर से पहुंचे थे। वहीं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े सहित अनेक मंत्रियों ने उनके निधन पर ट्वीट कर शोक प्रकट किया था।
राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने पीठाधीश्वर की वसीयत भी पढ़कर सुनाई। महंत राघवाचार्य ने वृंदावन के संत राजेंद्रदास देवाचार्य को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है। बता दें कि इसी रैवासा धाम में गोस्वामी तुलसीदास ने काव्य रचना की थी।
मंदिर प्रांगण के पीछे की साइड कुआं है। जहां रैवासा धाम के प्रथम पीठाधीश्वर अग्रदास महाराज ने आकर अपना चिमटा गाड़ा था। जिसके बाद यहां मीठा पानी निकलने लगा और कुआं बना दिया गया।
श्री जानकीनाथ बड़ा मंदिर रैवासा धाम सीकर।
रैवासा धाम के पीठाधीश्वर डॉ.राघवाचार्य वेदांती जी महाराज ने 30 नवंबर 2015 को राजेंद्रदास देवाचार्य को रैवासा धाम (सीकर) का उत्तराधिकारी घोषित किया है।
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