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– सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने राज्यों को जाति के उप-वर्गीकरण का अधिकार दिया था नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट के सात जजों के संविधान पीठ द्वारा राज्यों को एससी और एसटी का उप-वर्गीकरण करने का अधिकार देने के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दाखिल की गई है। संविधान पीठ ने एक अगस्त को (छह-एक) के बहुमत से पारित अपने फैसले में कहा था कि राज्य सरकारें शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और नौकरियों में आरक्षण देने के लिए एससी एवं एसटी का उप-वर्गीकरण कर सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दो बार के सांसद और तमिलनाडु के राजनीतिक दल विदुथलाई चिरुथैगल काची के अध्यक्ष थोल थिरुमावलवन ने दाखिल की है। फैसले की समीक्षा की मांग करते हुए याचिका में कहा गया है कि संविधान पीठ के फैसले में कानूनी तौर पर कई गंभीर और स्पष्ट त्रुटियां हैं। इसे सुधार करने की जरूरत है। इसमें कहा गया है कि फैसले में समग्र अनुसूचित जाति कोटे के भीतर अधिक पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित की जा सकने वाली सीटों की संख्या पर ऊपरी सीमा निर्धारित करने में विफल रहने के कारण त्रुटि हुई। संविधान पीठ ने बहुमत से पारित फैसले में ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार मामले में पांच जजों की पीठ के 2004 के फैसले को रद्द करते हुए यह फैसला दिया था। इसमें कहा गया था कि संविधान में एससी-एसटी एकल सजातीय समूह है, ऐसे में राज्य सरकार उनका उप वर्गीकरण नहीं कर सकती है। संविधान पीठ ने 2004 के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि राज्यों को एसएसी/एसटी का उप वर्गीकरण करने का हक है।
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