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दिल्ली में अब ड्रोन के जरिए अवैध निर्माण, अतिक्रमण की पहचान होगी। इसमें वास्तविक समय के आधार पर उच्च गुणवत्ता का डेटा उपलब्ध होगा। ड्रोन सर्वेक्षण के जरिए अतिक्रमण की रोकथाम को लेकर नई रणनीति बनाई गई है। इसके लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), दिल्ली नगर निगम और सर्वे ऑफ इंडिया के बीच साझेदारी हुई है। इससे पहले कई अदालतों में अतिक्रमण की जमीनी स्तर पर पहचान में कमी होने की बात कही गई। जिसके बाद न्यायालयों ने इन विभागों को उन्नत तकनीकी समाधान तलाशने के निर्देश दिए।
अब उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की अगुवाई में यह तीनों एजेंसियां साथ आई हैं। अगस्त में उपराज्यपाल के साथ विभागों ने बैठक की। साथ ही ड्रोन का 50 वर्ग किलोमीटर के दायरे में ट्रायल रन भी किया गया। जिसके बेहतर परिणाम सामने आए। अब पूरी दिल्ली में इसका सर्वे होगा। उपराज्यपाल ने वरिष्ठ अधिकारियों को सर्वे के तहत तस्वीरों को लगातार निगरानी के निर्देश दिए हैं। इसमें हर नाले, सड़क, अतिक्रमण, कूड़े के ढेर की जमीनी स्तर पर स्थिति का ड्रोन के जरिए पता लगाया जाएगा। इसके बाद विभाग उन जगहों पर जाकर अवैध कब्जे को हटाएंगे। इस पर विभागों ने काम शुरू कर दिया है।
हर सप्ताह करेंगे बैठक
डीडीए के अधिकारियों के अनुसार ड्रोन से किए जा रहे सर्वे में अतिक्रमण की पहचान की जाएगी। इसके लिए अगले एक महीने के दौरान हर सप्ताह निगम के साथ बैठक भी करेंगे। इससे जिन जगहों पर भी नालों को ढकने के लिए कार्रवाई की जरूरत होगी, उसे भी तुरंत किया जा सकेगा। निगम के कई विभाग के अधिकारी डीडीए के साथ मिलकर हर जोन में अवैध रूप से सड़कों व बरसाती नालों पर किए गए कब्जे की पहचान करेंगे। इस नई साझेदारी से विभागों को काफी सहयोग मिलेगा।
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