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सुप्रीम कोर्ट ने कथित तौर पर फर्जी संपत्ति दस्तावेज तैयार करके रांची में भारतीय सेना की 4.55 एकड़ जमीन को बेचने से जुड़े वित्तीय लेनदेन का पता लगाने के लिए गुरुवार को एक आरोपी के बैंक स्टेटमेंट मांगे। इस मामले में कल यानी शुक्रवार को अगली सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें झारखंड हाई कोर्ट द्वारा 28 नवंबर 2023 को मामले के सह-आरोपी दिलीप घोष को जमानत दिए जाने को चुनौती दी गई है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी इसी भूमि घोटाले से जुड़े मनीलॉन्ड्रिंग (धनशोधन) मामले में आरोपी हैं और फिलहाल वह जमानत पर हैं।
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने दिलीप घोष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एस. नागमुथु से कहा, ‘आप आज शाम तक संबंधित अवधि का बैंक स्टेटमेंट (आरोपी का) पेश करें। इस पर कल (शुक्रवार) सुनवाई होगी।’ सुप्रीम कोर्ट ने नागमुथु के उस अनुरोध को भी मानने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने मामले को बाद की तारीख पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के लिए कहा था। कोर्ट ने कहा कि इस पर शुक्रवार को ही सुनवाई होगी।
ईडी के अनुसार, भारतीय सेना से संबंधित 4.55 एकड़ जमीन को गैर-मालिकों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर बेच दिया। उसने बताया कि झारखंड की राजधानी रांची के बरियातू मोहल्ले के निवासी अफसर अली और उसके साथियों ने कोलकाता में रजिस्ट्रार ऑफ एश्योरेंस (रिकॉर्ड) के कार्यालय में प्रफुल्ल बागची के नाम से एक फर्जी दस्तावेज तैयार किया और दावा किया कि जमीन प्रफुल्ल बागची की है।
कुछ आरोपियों ने संपत्ति के संबंध में ‘होल्डिंग नंबर’ प्राप्त कर लिया और इसे मेसर्स जगतबंधु टी एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड (JTEPL) को बेचने की पेशकश की, जिसके निदेशक दिलीप घोष हैं।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि JTEPL ने यह संपत्ति 7 करोड़ रुपए की तय राशि में खरीदी है, जबकि इसका मौजूदा मूल्य करीब 20 करोड़ रुपए से अधिक है, क्योंकि इस संपत्ति के संबंध में भारतीय सेना के साथ एक मुकदमा चल रहा था।
कोर्ट ने कहा था कि यह दावा किया गया था कि JTEPL द्वारा आरोपी प्रदीप बागची के पक्ष में चेक जारी किए गए थे। उच्च न्यायालय ने कहा कि 25 लाख रुपए का चेक भुनाया गया था और आपसी समझ के अनुसार, शेष राशि संबंधित संपत्ति का भौतिक कब्जा सौंपने पर देय थी। ईडी आरोपियों के बीच मिलीभगत का दावा कर रही है और कथित मनी लॉन्ड्रिंग के लिए उन पर मुकदमा चलाना चाहती है।
बुधवार को पीठ ने ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा कि क्या जांच एजेंसी के पास घोष और बागची की कॉल डिटेल्स हैं। जांच एजेंसी ने कहा कि उसके पास वो तो नहीं हैं, लेकिन वह इस पहलू को बाद में स्पष्ट करेगी।
विधि अधिकारी ने कहा कि बिक्री विलेख कुल 7 करोड़ रुपए की राशि का था, लेकिन इसमें बागची को 25 लाख रुपए के आंशिक भुगतान का कोई संदर्भ नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि बिक्री विलेख में 7 करोड़ रुपए के भुगतान के लिए चेक का उल्लेख है, लेकिन कोई भी चेक भुनाया नहीं गया। अगर भुगतान का कोई समझौता होता, तो बिक्री विलेख को बनाए रखा जाता।’
पीठ ने पूछा, ‘आपने 7 करोड़ रुपये का भुगतान कैसे किया…सवाल यह है कि अगर यह दिखाया गया है कि ये भुगतान चेक जारी करके किए गए थे, तो बिक्री विलेख में इस बात का उल्लेख है कि चेक भुनाए नहीं गए।’ जब नागमुथु ने स्पष्टीकरण देने का प्रयास किया, तो पीठ ने कहा, ‘यहां इस तरह की बनावटी दलीलें न दें। हम इसे स्वीकार नहीं करने जा रहे हैं।’
मनी लॉन्ड्रिंग का मामला झारखंड पुलिस द्वारा 4 जून, 2022 को रांची के बरियातू थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467 और 471 के तहत स्थानीय निवासी प्रदीप बागची के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी से निकला है। जो कि रांची नगर निगम के कर संग्रहकर्ता दिलीप शर्मा की एक शिकायत पर आधारित थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बागची ने जाली कागजात जमा करके जमीन के दो होल्डिंग नंबर प्राप्त किए। बाद में उन्होंने कथित तौर पर धोखाधड़ी से संपत्ति को बेच दिया।
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