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दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से सादिया अनवर शेख द्वारा दायर की गई जमानत अर्जी पर जवाब मांगा है। सादिया ने ये याचिका यूएपीए के तहत सजा को चुनौती देने के लिए दायर की थी। सादिया को 7 साल की सजा सुनाई गई थी। उसे अपना दोष स्वीकार कर लिया था। इसके बाद 18 अप्रैल 2024 में उसे सजा सुनाई गई थी। आपको बता दें कि सादिया अनवर शेख सहित चार अन्य लोगों को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के तहत अपराधी ठहराया गया था। साथ ही इनका संबंध इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत से भी था। यह संगठन आईएसआईएस का हिस्सा है, जिसे प्रतिबंधित किया गया है।
किस कानून के तहत मिली सजा
सादिया को गैर कानूनी गतिविधियां(रोकथाम) अधिनियम 1967 यानी यूएपीए एक्ट की दो धाराओं 38 और 39 के तहत 7 साल की सजा मिली है। धारा 38 में किसी आतंकी सगंठन को ज्वाइन करने वाले को सजा दी जाती है। इस अपराध में शामिल व्यक्ति को जु्र्माना या 10 साल तक की सजा या फिर दोनों होती है। वहीं धारा 39 में आतंकी संगठन को समर्थन करने के लिए सजा सुनाई जाती है।
कौन कर रहा सुनवाई
सादिया के वकील रजत कुमार ने इस आदेश को चुनौती देने के लिए 6 मई 2024 को अपील दायर की थी। वहीं इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश प्रतिभा एम सिंह और अमित शर्मा कर रहे हैं। इनकी खंडपीठ ने 27 अगस्त को कहा कि एनआईए को अगली सुनवाई से 2 दिन पहले जवाबी हलफनामा जमा करना होगा।
और कौन थे दोषी
अगली सुनवाई में संबंधित जेल अधिक्षक को भी बुलवाया गया है। यह मामला 11 सितंबर को सूचिबद्ध किया गया है। विशेष एनआईए अदालत ने अब्दुल्लाह बासित, जहानजीब सामी और उसकी पत्नी हीना बशिर बेग, नबील सिद्दिकी और सादिया अनवर शेख को दोषी पाया था।
कौन है सादिया अनवर शेख
पुणे की रहने वाली यह लड़की तीन वार आतंकी गतिविधियों में शामिल पाई गई है। एनआईए की चार्जशीट के अनुसार ये लड़की सुसाईड बॉम्बर बनना चाहती थी। उसे दो बार खूफिया एजेंसियों ने कट्टरपंथियों से छुड़ाया था। मगर वह फिर भी सुधरने को तैयार नहीं थी।
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