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सर्व कर्मचारी संघ के नेता बैठक को संबोधित करते हुए।
हरियाणा के पलवल जिला में सर्व कर्मचारी संघ की जिला इकाई की बैठक जिला कार्यालय पर संपन्न हुई। बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत एकीकृत पेंशन योजना(यूपीएस) की निंदा करते हुए सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना के उनके पूर्ण अधिकार से वंच
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इस अवसर पर राजेश शर्मा ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना केंद्रीय सिविल सेवा नियम 1972 के अनुसार सुरक्षित थी। अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 1 जनवरी 2004 से भर्ती किए गए लोगों के लिए एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से 2004 में गुप्त रूप से राष्ट्रीय पेंशन योजना 2003 शुरू की थी। उस समय केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारियों ने इसका विरोध किया था और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए संघर्ष भी किया।
सेवानिवृत्ति के बाद पड़ती है चिकित्सा सुविधा की जरूरत
पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और फेडरेशनों के संयुक्त मंच द्वारा संघर्ष किए गए। सरकार अब यूपीएस योजना लाई है। यूपीएस कर्मचारियों द्वारा 10 प्रतिशत योगदान की निरंतरता पर आधारित है, जिसमें सरकारी योगदान वर्तमान 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत कर दिया गया है। यूपीएस में कर्मचारी का 10 प्रतिशत अंशदान उसकी सेवानिवृत्ति पर मिलेगा, ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया है। कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद ही सबसे अधिक चिकित्सा सुविधा की आवश्यकता पड़ती है।
यूपीएस में ऐसा कोई आश्वासन नहीं
यूपीएस में उस पर भी कोई विचार नहीं किया गया है। पेंशनर को 80 वर्ष की आयु पूरी कर लेता है तो 20 प्रतिशत और 100 वर्ष की आयु पूरी करने पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त पेंशन दी जाती है, जिसका कोई जिक्र नहीं है। पुरानी पेंशन स्कीम में वेतन आयोग लागू होने पर पेंशन में भी संशोधन किया जाता है, जबकि यूपीएस में ऐसा कोई आश्वासन नहीं है। 40 प्रतिशत पेंशन की अग्रिम निकासी यानी कंयूटेशन यूपीएस में उपलब्ध नहीं है।
पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का आग्रह
इसलिए सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा यूपीएस को सिरे से खारिज करता है और केंद्र सरकार से पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का आग्रह करता है। 29 अगस्त को संगठन इस बारे में जिला कार्यकारिणी की बैठक कर आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगा। इस मौके पर कर्मचारी नेता हरकेश सौरोत, पीडब्ल्यूडी मैकेनिकल वर्कर्स यूनियन के राज्य उप प्रधान राकेश तंवर मौजूद रहे।
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