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चंपाई सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी जेएमएम के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। वे 30 अगस्त को बीजेपी ज्वॉइन करेंगे। चंपाई झारखंड में आदिवासियों के बड़े नेता हैं। पैरों में चप्पल, ढीली शर्ट-पैंट और सिर के बालों पर फैली सफेदी… चंपाई सोरेन की पहचान
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जेएमएम में चंपाई के कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सीएम हेमंत सोरेन भी चंपाई सोरेन का पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं। हेमंत सोरेन जब जेल गए तो उन्होंने चंपाई पर ही भरोसा जताते हुए उन्हें 2 जनवरी 2024 को झारखंड का सीएम बनाया था। लेकिन समय तेजी से बदला और हेमंत जेल से बाहर आ गए।
बाहर आते ही उन्होंने आनन-फानन में चंपाई से कुर्सी छीन ली, खुद सीएम पद की शपथ ली। चंपाई 7 महीने तक मुख्यमंत्री रहे। सीएम पद से हटाए जाने के बाद से ही चर्चा होने लगी थी कि चुनाव से पहले JMM ने यह फैसला क्यों लिया है। इस बीच चंपाई की नाराजगी की खबर भी आती रही।
गांव से निकलकर किसान का बेटा कैसे झारखंड का टाइगर कहा जाने लगा…
चंपाई सोरेन का जन्म सरायकेला-खरसावां जिले के जिलिंगगोड़ा गांव में हुआ। पिता की तरह बचपन से ही उनके मन में आदिवासियों के अधिकार के लिए आंदोलन में शामिल होने की इच्छा थी।
10वीं के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और झारखंड आंदोलन में कूद गए।
जेएमएम के गठन से ही शिबू सोरेन के साथ थे
चंपई सोरेन जिन्हें उनके समर्थक ‘कोल्हान के टाइगर’ के रूप में जानते हैं। 1970 के दशक में जब अलग राज्य के लिए आंदोलन ने जोर पकड़ा, तो 1973 में जेएमएम का गठन हुआ। चंपाई उसमें शामिल हो गए।
उन्होंने झारखंड राज्य के अलग होने के मुद्दे पर लोगों को संगठित करना शुरू किया। शिबू सोरेन के साथ मिलकर अलग झारखंड राज्य की मांग को लेकर उन्होंने आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी।
उनके करीबी लोगों ने बताया कि, 1990 के दशक में उन्होंने जमशेदपुर में टाटा स्टील के गेट पर असंगठित मजदूरों के बड़े आंदोलन का नेतृत्व भी किया था।
5 बार विधायक के विधायक हैं चंपाई सोरेन
चंपाई सोरेन पहली बार साल 1991 में सरायकेला से उपचुनाव में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीते। चंपाई सोरेन ने सिंहभूम के तत्कालीन सांसद कृष्णा मार्डी की पत्नी मोती मरांडी को हराया था। 1995 के विधानसभा चुनाव में झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते। इस बार उन्होंने भाजपा के पंचू टुडू को हराया। 2000 के विधानसभा चुनाव में भाजपा लहर की वजह से अनंत राम टुडू से पहली बार हारे।
2005 में चंपाई सोरेन ने एक बार फिर से भाजपा के लक्ष्मण टुडू को 880 वोट से हराकर जीत दर्ज की।
2009 के चुनाव में भी भाजपा के लक्ष्मण टुडू को 3200 वोट से हरा कर जीते। 2014 के विस चुनाव में 1100 तथा 2019 के विस चुनाव में करीब 16 हजार वोट से जीत दर्ज की है।
चंपाई सोरेन शिबू सोरेन के दोस्त जैसे रहे हैं, लेकिन हेमंत सोरेन के साथ उनके मतभेद हो गए।
भाजपा के साथ गठबंधन वाली सरकार में रह चुके हैं मंत्री
साल 2010 में जब BJP-JMM गठबंधन की सरकार थी। तब अर्जुन मुंडा की सरकार में चंपाई सोरेन कैबिनेट मंत्री बनाए गये थे। साल 2013 में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी तो इन्हें फिर से मंत्री पद मिला। 2019 में राज्य में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी तो हेमंत सोरेन की सरकार में 28 जनवरी 2020 को चंपाई सोरेन को फिर एक बार मंत्री बनाया गया।
हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ी तो चंपाई याद आए थे
जनवरी में हेमंत सोरेन को ED ने गिरफ्तार किया। इसके बाद हेमंत ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा तो दिया, लेकिन साथ ही साथ चंपाई को अपनी कुर्सी भी संभालने के लिए दे दी। चंपाई के पहले हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना का नाम भी सीएम की कुर्सी की रेस में था। इसके साथ ही इस कुर्सी के लिए भी हेमंत की भाभी ने भी बगावत कर ली थी, लेकिन हेमंत सोरेन ने चंपाई पर ही भरोसा दिखाया था।
हेमंत सोरेन करते हैं सम्मान, सार्वजनिक मंच पर छूते हैं पैर
पार्टी में चंपाई सोरेन के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई बार सार्वजनिक मंच पर हेमंत सोरेन इनके पैर छूते देखे गए। सीएम हाउस में विधायक दल की बैठक में जब पहली बार हेमंत सोरेन की पत्नी भी मीटिंग में शामिल हुईं तो उन्होंने सबसे पहले चंपाई सोरेन का पैर छूकर आशीर्वाद लिया था, इसके बाद विधायकों के साथ बैठीं।
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