[ad_1]
Iran Pakistan Gas Pipeline Issue: ईरान सरकार ने पाकिस्तान को IP गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट में देरी के लिए एक ‘फाइनल नोटिस’ जारी किया है. इतना ही नहीं ईरान ने पाकिस्तान को खुली धमकी भी दी है. ईरान सरकार के नोटिस में कहा गया है कि 180 दिनों की तय समय सीमा के दौरान आईपी गैस परियोजना के तहत पाइपलाइन का निर्माण नहीं करने पर पाकिस्तान के खिलाफ सितंबर 2024 में पेरिस मध्यस्थता न्यायालय में जाने के अलावा तेहरान के पास कोई विकल्प नहीं बचा है.
द न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान पाकिस्तान गैस पाइलाइन प्रोजेक्ट को दिसंबर 2014 तक पूरा किया जाना था और 1 जनवरी, 2015 से इसे चालू होना था. इस समझौते के तहत ईरान अपनी तरफ पाइपलाइन बिछाता और पाकिस्तान अपने इलाके में इसका निर्माण करता. हालांकि, 10 साल की लेट-लतीफी ने जहां एक ओर इस प्रोजेक्ट को ही संकट में डाल दिया है तो वहीं पाकिस्तान के लिए भी बड़ी मुसीबतें खड़ी कर दी हैं.
जानिए किन कारणों के चलते पूरा नहीं हो पाया प्रोजेक्ट?
वहीं, साल 2014 में अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के चलते इस प्रोजेक्ट में 10 साल की देरी हुई. गैस बिक्री खरीद समझौता पर साल 2009 में फ्रांसीसी कानून के तहत हस्ताक्षर किए गए थे. इससे जुड़े किसी भी विवाद का निपटारा पेरिस स्थित मध्यस्थता कोर्ट के जरिए किया जाना है. ऐसे में खास बात ये है कि फ्रांसीसी मध्यस्थता अदालत अमेरिकी प्रतिबंधों को मान्यता नहीं देती है.
2019 में ईरान और पाकिस्तान के बीच हुआ था कॉन्ट्रैक्ट
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के इंटर-स्टेट गैस सिस्टम (आईएसजीएस) और नेशनल ईरानी गैस कंपनी (एनआईजीसी) ने सितंबर 2019 में कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए थे. इसके तहत अगर पाइपलाइन के निर्माण में देरी हुई तो ईरान किसी अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाएगा. हालांकि, पाकिस्तान 2024 तक अपनी पाइपलाइन बिछाएगा, जिसके बाद उसे ईरान से रोजाना 750 मिलियन क्यूबिक फीट गैस मिलेगी.
डेडलाइन बढ़ाने के बावजूद PAK पाइपलाइन बिछाने में रहा फेल
बदले हुए कॉन्ट्रैक्ट के तहत, पाकिस्तान फरवरी-मार्च, 2024 तक अपने क्षेत्र में पाइपलाइन के हिस्से को बिछाने के लिए बाध्य था. हालांकि, ईरान ने पाकिस्तान को सुविधा दी और 180 दिन की समय सीमा बढ़ा दी. जोकि सितंबर 2024 में समाप्त होनी है, हालांकि, अधिकारी फिर से पाइपलाइन बिछाने में विफल रहे. इसलिए, ईरान ने अपना अंतिम नोटिस जारी किया है.
ऐसे में अगर पाकिस्तान इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में नाकाम रहता है तो उसे ईरान को 1 जनवरी 2015 से 1 मिलियन डॉलर प्रति दिन के हिसाब से पेनल्टी देनी होगी. माना जा रहा है कि अगर ईरान पेरिस की मध्यस्थता कोर्ट का रुख करता है तो इससे पाकिस्तान को अरबों डॉलर की पेनल्टी का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
ये भी पढ़ें: Karnataka Premium Liquor prices : इस राज्य में प्रीमियम शराब हुई और सस्ती, चीयर्स करने वालों के लिए आई गुड न्यूज
[ad_2]
Source link