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हरियाणा BJP में टिकट बंटवारे से पहले बवाल मच गया है। भाजपा के दावेदारों ने आरोप लगाए कि उनके टिकट मांगने के बावजूद नाम को प्रदेश चुनाव समिति में नहीं बढ़ाया।
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दूसरी तरफ केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत भी भाजपा से खफा चल रहे हैं। प्रदेश चुनाव समिति की मीटिंग में उन्हें बेटी की टिकट के लिए सीट मांगने को कहा गया लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।
राव ने दोटूक कहा कि चुनाव लड़ने और सीट का फैसला उनकी बेटी आरती राव ही करेगी। बता दें कि भाजपा अपनी पहली लिस्ट फाइनल कर चुकी है। केंद्रीय चुनाव समिति की मीटिंग के बाद कल या परसों यह लिस्ट जारी हो सकती है।
पिछले दिनों गुरुग्राम में हुई प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में राव इंद्रजीत सिंह भी मौजूद थे।
राव को कोसली और अटेली की चॉइस दी
भाजपा प्रदेश चुनाव समिति की कुछ दिन पहले गुरुग्राम में हुई मीटिंग में राव इंद्रजीत भी बतौर मेंबर शामिल थे। उन्हें कहा गया कि वह बेटी आरती राव के लिए कहां से टिकट चाहते हैं। इस पर राव ने कोई बात कहने से इनकार कर दिया। राव ने मीटिंग में कहा कि उनकी बेटी स्वतंत्र फैसले लेती है। वह चुनाव लड़ना चाहती है या नहीं, कौन सी सीट से टिकट चाहती है, इस पर वही फैसला करेगी। यह आरती और पार्टी के बीच की बात होगी।
2 बार से कोशिश में थे राव, भाजपा ने टिकट नहीं दी
राव इंद्रजीत से जुड़े सूत्रों के मुताबिक 2014 कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने के बाद से ही वे आरती राव को चुनाव लड़वाना चाहते थे। इसके लिए पहले 2014 और फिर 2019 में उन्होंने आगे बढ़कर टिकट मांगी। हालांकि उनकी मांग को खारिज कर दिया। जिसकी वजह से आरती चुनाव लड़ने की पॉलिटिक्स में एंट्री नहीं कर पाई। इसी वजह से राव नाराज बताए जा रहे हैं।
इसके अलावा इस बार केंद्र सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनने की उम्मीद थी। हालांकि भाजपा ने 6 बार के सांसद और 2 बार के केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत को दरकिनार कर पहली बार करनाल से लोकसभा सांसद बने मनोहर लाल खट्टर को कैबिनेट मंत्री बना दिया। राव फिर केंद्रीय राज्य मंत्री बनकर रह गए।
राव खेमे के नाम चुनाव समिति में नहीं आए
राव के करीबी सूत्रों के मुताबिक उनके दावेदारों ने अहीरवाल के अलावा बांगड़ ओर जीटी रोड बेल्ट से भी टिकट की मांग की थी। हालांकि प्रदेश चुनाव समिति में किसी को पूरी लिस्ट नहीं दी गई। वहां एक-एक कर सीट और दावेदारों के नाम बताए गए। इनमें राव समर्थकों के नाम नहीं थे। इस बारे में समर्थकों ने राव से शिकायत की कि उन्होंने जिला प्रधान को नाम दिया था लेकिन उनका नाम टिकट दावेदारों की प्राथमिक लिस्ट में तक नहीं रखा गया।
सूत्रों के मुताबिक इनमें ज्यादातर वे लोग हैं, जो राव के साथ 2014 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए थे। उनका कहना है कि 2014 में उन्हें बाहरी कहकर टिकट नहीं दी गई। 2019 में वे खट्टर के कैंप में नहीं थे तो टिकट नहीं मिली। इस बार उन्हें उम्मीद थी लेकिन जिला प्रधानों ने उनके नाम पहली चर्चा के लिए तक नहीं भेजे। इस बात से भी राव इंद्रजीत नाराज बताए जा रहे हैं।
दक्षिण हरियाणा की 15 सीटों पर प्रभाव
गुरुग्राम से मौजूदा सांसद राव इंद्रजीत सिंह केंद्र में मंत्री रहने के साथ-साथ दक्षिणी हरियाणा के बड़े जनाधार वाले नेता हैं। उनकी पकड़ गुरुग्राम से लेकर भिवानी जिले तक है। करीब 15 सीटों पर राव इंद्रजीत सिंह का सीधा प्रभाव है।
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