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दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को नगर निगम में झटका लगा है। उसके पांच पार्षदों ने रविवार को बीजेपी ज्वाइन कर ली। इनमें से दो पार्षदों ने बताया कि उन्हें पार्टी स्विच करने का फैसला क्यों लेना पड़ा। उन्होंने दावा किया कि उनके लिए निगम में कोई भी काम करवाना मुश्किल हो रहा था। शाहबाद डेयरी वार्ड से राम चंदर, बवाना वार्ड से पवन कुमार, बदरपुर वार्ड से मंजू देवी, तुगलकाबाद वार्ड से सुगंधा और हरकेश नगर वार्ड से ममता – ने आप को छोड़ बीजेपी का दामन थामा है। ये पांचों पार्षद बने रहेंगे क्योंकि इनपर दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं होता।
नहीं दूर हो रही थी परेशानी
2017 में बवाना उपचुनाव जीतने वाले पूर्व विधायक राम चंदर ने अपनी निराशा जताते हुए कहा, ‘आप के मंत्रियों से लेकर उनके चौकीदारों तक, हर कोई पहुंच से बाहर था… कोई काम नहीं हो रहा था, लोग शिकायत करते थे और उन शिकायतों को दूर करने के लिए हमारे पास कोई मदद नहीं थी। मुझे उम्मीद है कि भाजपा नेता इन मुद्दों को सुलझाने और काम करवाने में अधिक सुलभ (अप्रोचेबल) होंगे।’ चंदर ने 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट न दिए जाने पर आप को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने आरोप लगाया, ‘2017 में उपचुनाव जीतने के बाद, मैंने अपने विधानसभा क्षेत्र बवाना में बहुत मेहनत की। मेरी कड़ी मेहनत के बावजूद, सीट किसी और को दे दी गई…आप में कड़ी मेहनत को महत्व नहीं दिया जा रहा है।’
लोग हमसे नाराज हैं
वहीं हरकेश नगर वार्ड से पहली बार पार्षद बनी ममता ने कहा कि लोगों की समस्याओं को सुलझाना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘जब हम पार्षद बने, तो इसकी वजह यह थी कि हम लोगों के कल्याण के लिए काम करना चाहते थे। चूंकि काम नहीं हो रहे हैं, इसलिए लोग हमसे नाराज हैं, और यह सही भी है… हमारे वार्डों में सामने आ रही समस्याओं को हल करना बहुत मुश्किल हो गया था।’ आप को ऐसे समय पर यह झटका लगा है जब लंबे समय से लंबित वार्ड समिति के चुनाव, जो सत्तारूढ़ आप और विपक्षी भाजपा के बीच गतिरोध के कारण 18 महीने से रुके हुए हैं, जल्द होने वाले हैं।
कोई नहीं सुन रहा बात
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आप के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि पार्षदों में कुछ असंतोष है क्योंकि पिछले कुछ महीनों में वरिष्ठ नेतृत्व तक उनकी पहुंच नहीं हो पाई। पार्षदों ने चिंता जताई है कि उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं तक उनकी पहुंच को रोका जा रहा है। मनीष सिसोदिया जी को जेल से बाहर आने के बाद सभी पार्षदों से मिलना था, लेकिन यह बैठक रद्द कर दी गई। पार्षद अपनी समस्याओं को नेताओं के साथ शेयर करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही है।
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