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मध्य प्रदेश के छतरपुर में थाने पर हमले के बाद चर्चा में आया शहजाद अली पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए भागता फिर रहा है। करोड़ों की हवेली मिट्टी में मिला दिए जाने के बाद पुलिस उसकी तलाश में जुटी है। वहीं देश से भागने से रोकने के लिए शहजाद अली के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर भी जारी किया जा चुका है। शहजाद अली ना सिर्फ आर्थिक रूप से बल्कि सामाजिक रूप से भी बेहद प्रभावशाली व्यक्ति है। यहां तक की वह अपनी ‘खानकाह’ में अपनी ‘अदालत’ भी लगाया कर था। वह खुद ही पुलिस और जज बनकर फैसले सुना दिया करता था।
क्या है खानकाह
खानकाह सूफी परंपरा से जुड़ा है। इसका अर्थ मठ या आश्रम जैसी एक संस्था से है जहां सूफी संत रहा करते थे और धार्मिक-सामाजिक मुद्दों पर चर्चा किया करते थे। खानकाह दीन और तालीम पर चर्चा के लिए भी जाने जाते हैं। कई मौकों पर यहां पर अदालतें भी लगा करती थी और आपसी विवाद सुलझाए जाते थे। हालांकि, धीरे-धीरे यह प्रथा समाप्त हो गई।
हाजी शहजाद अली की खानकाह
पत्थरकांड का मुख्य आरोपी हाजी शहजाद अली ने घर से कुछ ही दूरी पर खानकाह बना रखी थी। यह वह अपनी अदालत लगाया करता था। इस खानकाह में कई छोटे-मोटे मामलों के अलावा कई गंभीर आपराधिक मामले भी निपटाए जाते थे। बताया जाता है कि हाजी शहजाद अली अगर कोई फैसला सुना देता था तो कोई पक्ष ना तो पुलिस के पास जाता था और ना ही वह अदालत के दरवाजे खटखटा सकता था। हाजी शहजाद अली का फैसला ही अंतिम होता था।
कमाई का भी जरिया
आरोप है कि शहजाद अली ने इसे अपनी कमाई का जरिया भी बना लिया था। वह कई बार पैसे लेकर किसी के पक्ष में फैसले सुना दिया करतात था। हाजी शहजाद अली को करीब से जानने वाले कई लोग दबी जुबान में कहते हैं कि खानकाह से उसकी मोटी कमाई होती थी।
रिपोर्ट- जय प्रकाश
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