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– वित्त मंत्रालय यूपीएस का लागू करने के लिए राज्यों के साथ करेगा समन्वय का काम – भाजपा शासित कई राज्य जल्द लेंगे यूपीएस को लेकर फैसला, विपक्षी दल शासित राज्यों पर भी दबाव
नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता
एकीकृत पेंशन स्कीम (यूपीएस) को लेकर अब महाराष्ट्र के बाद अन्य राज्य भी जल्द फैसला ले सकते हैं। भाजपा शासित राज्य जहां यूपीएस को लागू करने की तैयारी में है तो वहीं, विपक्षी दल शासित राज्यों में यूपीएस की तर्ज पर ही दूसरी स्कीम का ऐलान किया जा सकता है। या फिर पुरानी पेंशन योजना को कुछ संशोधनों के बाद लागू किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि वो राज्य सबसे पहले यूपीएस को लागू करने जा रहे हैं, जिन्हें जल्द चुनाव की घोषणा होने जा रही है। इस हिसाब से झारखंड और बिहार में सबसे पहले फैसला लिया जा सकता है।
बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार की तरफ से वित्त मंत्रालय यूपीएस को लेकर राज्यों के साथ समन्वय कर रहा है। खासकर वो राज्य यहां पर वर्तमान में भाजपा और एनडीए में शामिल दलों की सरकार है। उन सभी राज्यों में यूपीएस को लागू करने की प्रक्रिया पर काम शुरू हो गया है। कुछ राज्यों के साथ यूपीएस से जुड़ी मॉडल पर साझा किया गया है। इन राज्यों की तरफ से अपने स्तर पर आकलन भी किया जा रहा है कि अगर वो अपने यहां इस स्कीम को लागू करते हैं तो कितने कर्मचारियों को लाभ होगा। यूपीएस लागू होने पर राज्य की अर्थव्यवस्था पर कितना भार पड़ेगा। इन सभी का आंकलन भी किया जा रहा है। इसलिए कुछ राज्य जहां जल्द ही यूपीएस को लाने की दिशा में काम कर रहे हैं तो कुछ राज्य उसके आकलन को लेकर कमेटी गठित करने जा रहे हैं।
कुछ राज्यों के लिए वित्तीय प्रबंधन की चुनौती
यूपीएस का लागू करने से पहले राज्यों के सामने वित्तीय प्रबंध करने की भी चुनौती है। क्योंकि इससे सीधे तौर पर राज्यों पर वित्तीय भार बढ़ेगा। इनमें कई राज्य ऐसे हैं, जिनकी वित्तीय स्थित अच्छी नहीं है। ऐसे में राज्य लागू करने से पहले पेंशन को लागू करने पर बढ़ने वाले वित्तीय दबाव को कम करने के लिए पैसे का इंतजाम भी पुख्ता करना चाहेंगे। कई स्तर पर खर्चों में कटौती करने की योजना भी यूपीएस को लान से पहले करनी होगी।
पुराने पेंशन में भी राज्यों और केंद्र पर था बड़ा दबाव
केंद्र और फिर राज्य सरकारों ने पुराने पेंशन योजना से भी इसलिए हाथ खींचा था कि उसके चलते केंद्र और राज्य सरकारों पर वित्तीय भार बढ़ रहा था। इसको लेकर रिजर्व बैंक समेत अन्य संस्थाओं ने भी चेताया था। वर्ष 1990-91 में केंद्र का पेंशन पर खर्च 3,272 करोड़ रुपये था जो वर्ष 2020-21 तक करीब 58 गुना बढ़कर 1,90,886 करोड़ रुपये हो गया। वहीं, राज्यों का कुल खर्च 3,131 करोड़ रुपये से करीब 125 गुना बढ़ गया था जो बढ़कर 3,86,001 करोड़ रुपये हो गया। उधर, आरबीआई ने भी बीते दिनों अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यूपी जैसे राज्यों में पेंशन व प्रशासनिक कार्यों से जुड़ा खर्च अधिक है। ऐसे में इन सभी राज्यों को यूपीएस लागू करने से पहले सभी नजरिए से विचार करना होगा।
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