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भारतीय संस्कृति, साहित्य एवं मीडिया
साहित्यिक आंदोलन के तहत साहित्यकार एवं इतिहासकार पंडित झाबरमल शर्मा की स्मृति में ‘भारतीय संस्कृति, साहित्य एवं मीडिया’ विषय पर परिचर्चा हुई। राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम के बैनर तले आयोजित हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग क
.
मुख्य अतिथि पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी थे। परिचर्चा संयोजक अनिल सक्सेना ने संस्था का परिचय देते हुए परिचर्चा में विभिन्न विषयों पर प्रतिभागियों से सवाल पूछे और भारतीय संस्कृति के महत्व के बारे में बताया।
उन्होंने कहा कि आजादी से पहले एवं वर्तमान पत्रकारिता में बहुत परिवर्तन आया है। इसमें तकनीक का समावेश भी बढ़ा है, जिससे विसंगतियां भी पैदा हुई हैं।
उपभोक्ता आयोग अध्यक्ष मनोज मील ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम भारतीय संस्कृति की ही देन है, जिसे आज पूरी दूनिया अपना रही है। इस विचार के विस्तार में साहित्यकारों व मीडियाकर्मियों ने समय-समय पर अपना योगदान दिया है।
उन्होंने महाराणा प्रताप के हाथी रामप्रसाद के बलिदान का उदाहरण देते हुए भारतीय संस्कृति का अक्षुण बनाए रखने की अपील की।
पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी ने कहा कि विकसित भारत के सपने को पूरा करने में साहित्यकार अपनी भुमिका का निर्वाह करें। उन्होनें कहा कि हम सबने विकास शील भारत में जन्म लिया है, लेकिन आने वाली पीढ़ी विकसित भारत देखे। वरिष्ठ साहित्यकार असद अली असद ने राजस्थानी भाषा के महत्व के बारे में बताते हुए इसे आठवीं अनुसूची में शामिल करने के मांग रखी।
मंच पर मौजूद वरिष्ठ पत्रकार रमेश सर्राफ ने पत्रकारिता के वर्तमान परिदृश्य, साहित्यकार राजेश कमाल ने जिले के साहित्यिक योगदान, अनामिका चौधरी ने साहित्य में महिलाओं के योगदान पर अपने विचार व्यक्त किए। जिला जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु सिंह ने पं. झाबरमल शर्मा एवं डॉ. घासीराम वर्मा के जीवन चरित्र के बारे में विस्तार से बताया।
इस दौरान अनिल सक्सेना की पुस्तक आख्यायिका की पुस्तक का विमोचन भी किया गया। स्वागत भाषण इकराज कुरैशी ने दिया। संस्था सचिव मोरध्वज ने अतिथियों से परिचय करवाया। कार्यक्रम का संचालन रमाकांत पारीक ने किया।
कार्यक्रम में जिले में नारी शिक्षा के अग्रदूत एवं भामाशाह डॉ. घासीराम वर्मा, वयोवृद्ध कवि भागीरथ सिंह भाग्य, सीमावर्ती क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार हरफूल सिंह सैनी का सम्मान एवं अभिनंदन किया गया। डॉ घासीराम वर्मा ने अपने अमेरिका प्रवास के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि विषम परिस्थितियों में भी समझदारी की सलाह देने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। साहित्यकार यह कार्य बखूबी कर सकते हैं। कवि भागीरथ सिंह भाग्य ने ‘रात निकळगी बातां म्हं’ कविता का पाठ किया।
परिचर्चा में एसीबी के अति. पुलिस अधीक्षक इस्माईल खान, आईटी विभाग के संयुक्त निदेशक घनश्याम गोयल, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक डॉ पवन पूनिया, महावीर इंटरनेशनल के महासचिव नितिन अग्रवाल, हरदयाल सिंह चकबास, से.नि. जिला शिक्षा अधिकारी लियाकत खान, कृषि वैज्ञानिक डॉ. हनुमान प्रसाद, एडवोकेट बजरंगलाल, जाकिर पीर, रामगोपाल महमियां, उमाशंकर महमिया, से.नि. प्रधानाचार्य पितराम सिंह गोदारा, व्याख्याता सत्यनारायण शर्मा, मो. इब्राहिम खान ने हिस्सा लिया और अपने विचार व्यक्त किए।
इस दौरान जिला अभिभाषक संस्था के पूर्व जिलाध्यक्ष एडवोकेट विजय ओला, समाजसेवी विजय गोपाल मोटसरा, से.नि. भूजल वैज्ञानिक कुंभाराम चौधरी, APRO विकास चाहर, राजेंद्र कस्वां, कवि बी.एल. सावन, एडवोकेट जहीर फारूकी, प्रोग्रामर दीपा राणासरिया, रफीक खान, जाकिर अब्बासी, मो. उमर फारूक, राजेश राही, अजीज नकवी, वरिष्ठ अध्यापक केसर सिंह, डॉ मुख्तार नफीस, अब्दुल इस्लाम खुर्रम, से.नि. जिला शिक्षा अधिकारी संपतराम बारुपाल, साहित गणमान्यजन मौजूद रहे।
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