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जाति प्रमाणपत्र मामले में आम आदमी पार्टी (आप) की पार्षद बॉबी को अदालत से बड़ी राहत मिली है। दिल्ली की एक अदालत ने जांच अधिकारी (आईओ) को निर्देश दिया है कि कथित फर्जी जाति प्रमाण-पत्र मामले में AAP की पार्षद बॉबी के खिलाफ 27 अगस्त तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए। बॉबी दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में सीट जीतने वाली पहली ट्रांसजेंडर महिला हैं। उन्होंने दिसंबर 2022 में सुल्तानपुरी वार्ड से निगम चुनाव जीता था।
एक मजिस्ट्रेट अदालत ने तीन अगस्त को उस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था जिसमें आरोप लगाया था कि पार्षद ने जाली अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र का इस्तेमाल किया था। अदालत ने यह निर्देश प्रमाणपत्र जारी करने वाले प्राधिकारी द्वारा दो अलग-अलग रिपोर्ट जारी करने पर दिया था। अपर सत्र न्यायाधीश कपिल कुमार ने शनिवार को बॉबी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की।
अदालत ने बॉबी के वकील की दलीलों पर गौर किया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया है। बॉबी के वकील ने यह भी कहा कि उस शिकायतकर्ता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के लिए एक अन्य अदालत में याचिका दायर की गई है जिसने प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी।
इसमें आगे कहा गया कि संबंधित न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 17 अगस्त को एक आदेश में मामले की जांच शुरू करने के निर्देश जारी किए। अदालत ने पुलिस अधिकारी की दलीलों पर गौर किया कि वह जाति प्रमाण-पत्र के सत्यापन के बाद ही कानून के अनुसार आवश्यक कदम उठाएंगे और पार्षद को 27 अगस्त तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी की दलीलों के मद्देनजर 27 अगस्त तक आवेदक के खिलाफ आईओ द्वारा कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाए। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि आईओ को सुनवाई की अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने और जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है।
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