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1983 क्रिकेट वर्ल्डकप का हिस्सा रहे पूर्व इंडियन क्रिकेटर संदीप पाटिल शनिवार को अलवर के LIET कॉलेज में प्रदेश के क्रिकेट कोच को ट्रेनिंग देने पहुंचे। यहां सांची ग्रुप की ओर से क्रिकेट एकेडमी खोलने की तैयारी है। पाटिल के साथ कई अन्य क्रिकेटर भी आए। इस
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यहां क्रिकेट के खिलाड़ियों को कैस तैयार करेंगे। अभी क्या तैयारी है। किस मकसद से आना हुआ?
पाटिल ने कहा सांची ग्रुप व एथलीट स्पोट्र्स की तरफ से यहां पहुंचे हैं। अभी यहां सांची ग्रुप के जरिए कोच का कैंप है। यहां उनको ट्रेनिंग दी जा रही है। हम सोचते हैं कि अच्छे कोच होंगे तो खिलाड़ी भी अच्छे तैयार होंगे। अभी ट्रेनिंग ले रहे कोच को हय बताया जा रहा है कि नए खिलाड़ियों को कैसे ट्रेनिंग दी जाए। उनको तकनीकी जानकारी दी जाती है। पाटिल ने कहा कि कोच का सही होना जरूरी है। तभी अच्छे खिलाड़ी सामने आ सकते हैं।
आप क्रिकेट में 1980 के बाद क्या बदलाव देख रहे है। गांव के खिलाड़ी कितने आगे आ सकते हैं?
पहले तो बड़े शहरों तक क्रिकेट सीमित था। लेकिन अब हर मोहल्ले में क्रिकेट है। इसका श्रेय बीसीसीआई को जाता है। उनकी तरफ से छोटी छोटी जगहों पर कैंप व प्रोग्राम चलाए जाते हैं। अब सांची ग्रुप की कोशिश जारी है। अब अलवर तक सांची ग्रुप पहुंचा है। यहां कोच को ट्रेनिंग दी जाएगी।
क्रिकेट कोच को ट्रेनिंग देते हुए।
छोटे गांव व कस्बों के खिलाड़ी आगे कम पहुंचने से निराशा फैलती है। क्या करना चाहिए?
यह एक दिन का मामला नहीं है। यह एक प्रक्रिया का हिस्सा है। यही हमारी कोशिश है कि पहले अच्छे कोच खड़े कर पाएं। तभी बच्चों को सिखा पाएंगे। बच्चों के लिए यह बड़ा संस्थान हैं। यहां प्रदेश भर के खिलाड़ी आ सकते हैं।
ये कैंप कब तक चलेगा आगे कब आप आएंगे?
यह O लेवल का कैंप है। इसे पूरा होने के बाद आगे के कैंप कराएंगे। शनिवार को पहला दिन है। यह कुल तीन दिन का ट्रेनिंग सेशन है।
नेट ग्राउंड का क्या ड्रा बैक है? क्या ये सही है?
नहीं, यह सही नहीं है। इसलिए सांची ग्रपु व एथलीट स्पोट्र्स ग्रुप आगे आया है। ताकि अच्छे खिलाड़ी सामने आ सकें। अब बड़े ग्राउंड पर खिलाड़ियों उभरने का मौका मिल सकेगा।
अचानक सोशल मीडिया पर कई बार अच्छे खिलाड़ी सामने आते हैं उनको क्या करना चाहिए?
गांव वाले बच्चों की भूख शहर वालों से आगे है। बहुत से खिलाड़ी गांवों से आए हैं। इसलिए हम अलवर आए हैं। हम छोटे छोटे शहर से शुरूआत करने वाले हैं। हम यहां दिखाना चाहते हैं सही और गलत क्या है।
सलेक्शन प्वाइंट पर सवाल खड़े होते हैं,,क्या क्रिकेट में गलत चयन होता है?
हमारे समय का सेलेक्शन का दौर बहुत पहले खत्म हो गया। अब नए तरीके से सलेक्शन होता है। अच्छे तरीके से होता है। इसलिए अच्छे खिलाड़ियों को भी मौका मिल सकेगा।
क्या अब भी पुरुष व महिला खिलाड़ियों को अवसर मिलने में अंतर है?
अब महिला व पुरुष खिलाड़ियों में कोई अंतर है। बीसीसीआई की ओर से दोनों को बराबर पैकेज मिलने लगा है। यह बड़ा बदलाव है।
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