[ad_1]
दिल्ली नगर निगम की मेयर शैली ओबरॉय ने कमिश्ननर अश्वनी कुमार को कस्तूरबा अस्पताल में एक नवजात की मौत की जांच शुरू करने का निर्देश दिया है। पुरानी दिल्ली स्थित यह अस्पताल निगम के अंतर्गत आता है। बताया जा रहा कि नवजात की मौत कथित तौर पर प्लान्ड शटडाउन के दौरान बिजली आपूर्ति नहीं होने की वजह से हुई। कमिश्नर को जारी आदेश में लिखा है, ‘एक मीडिया रिपोर्ट से पता चलता है कि 22 अगस्त को कस्तूरबा अस्पताल में प्लान्ड शटडाउन के दौरान बिजली बैकअप मौजूद न होने के कारण दुर्भाग्यवश एक नवजात की मौत हो गई।’
ओबेरॉय ने आदेश में कहा, ‘आपसे अनुरोध है कि मामले की जड़ तक पहुंचे और इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण का पता लगाने के लिए तुरंत जांच शुरू करें ताकि हम उसके अनुसार कार्रवाई शुरू कर सकें।’ यह मामला तब सामने आया जब कई सोशल मीडिया यूजर्स ने दावा किया कि गुरुवार को कस्तूरबा अस्पताल में कुछ समय के लिए बिजली गुल हो गई थी, इस दौरान टॉर्च की रोशनी में दो नवजात नवजातओं की कथित तौर पर डिलीवरी हुई। इस दौरान एक नवजात की मौत हो गई।
टॉर्च की रोशनी में प्रसव के आरोपों को नकारते हुए एमसीडी ने कहा, ‘अस्पताल के ओटी में बिजली बैकअप था। कस्तूरबा अस्पताल में कुल तीन डिलीवरी हुई, जिनमें से दो दिन के उजाले में और एक शाम को हुई। तब तक अस्पताल में बिजली आपूर्ति दोबारा शुरू हो चुकी थी। निगम इस बात से इनकार करता है कि टॉर्च की रोशनी में प्रसव हुआ।’ बच्चे की मौत पर निगम ने कहा, ‘डिलीवरी के बाद नवजात सांस नहीं ले पा रहा था, इसलिए उसे एनआईसीयू के वेंटिलेटर में रखा गया था और उसके माता-पिता को उसकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में बताया गया था।’
निगम ने आगे कहा, ‘एनआईसीयू के वेंटिलेटर का पावर बैकअप लगातार काम कर रहा था। पांच दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद दुर्भाग्य से बच्चे की बीमारी के कारण मौत हो गई।’ एक अधिकारी के अनुसार, एमसीडी ने 21 अगस्त को एक सर्कुलर जारी कर अस्पताल में दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक बिजली कटौती की को लेकर जानकारी देते हुए सभी विभागों को आवश्यक व्यवस्था करने को कहा था।
[ad_2]
Source link