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इस्कॉन के श्री कृष्ण अर्जुन मंदिर ज्योतिसर में चल रही भागवत कथा में कथा व्यास साक्षी गोपाल दास अध्यक्ष ने कहा कि हमारे संग से हमारा कर्म बदल जाता है। हम जैसा संग करेंगे, संग के अनुसार हमारे कर्म बदलते जाएंगे। इसलिए शास्त्रों में साधुसंग, साधुओं का संग करने के लिए बोला गया है, जिसकी सद्वस्तु (सद वस्तु) में प्रीति होती है उसे साधु कहते हैं।
भगवान बोलते हैं मैं वो सद्वस्तु हूं। जो व्यक्ति भगवान श्री कृष्ण का भक्त है वही असली साधु है। जब व्यक्ति भगवान श्री कृष्ण के शुद्ध भक्तों का संग करता है तो उसके हृदय में भक्ति महारानी जाग जाती है। भगवान और भक्ति में कोई भेद नहीं है भगवान की भक्ति ही भगवान को देने वाली है। किसी भी जीव के दुखों का अंत केवल भक्ति के द्वारा हो सकता है और अन्य कोई साधन नहीं है दुखों का अंत करने के लिए। भगवान की भक्ति करने के लिए भगवान श्री कृष्ण के शुद्ध भक्तों का संग करना पड़ेगा उनके साथ बैठकर कथा सुननी होगी और जब हम उनके साथ बैठ कर कथा सुनेंगे तो कथा सुनते-सुनते हमारे हृदय में भगवान की कथा के प्रति रति पैदा होगी और यह रति धीरे-धीरे भक्ति का रूप ले लेगी। प्रभुपाद जी कहते थे कि भगवान श्री कृष्ण की प्रेममयी सेवा करना ही असली भक्ति है। चैतन्य महाप्रभु जी कहते थे कि सभी शास्त्रों का सार जो है साधु संग करना है। भगवान के भक्तों की कृपा से हमारे हृदय में सोई हुई भक्ति जाग जाती है। भगवान का भक्त अपने सुख के लिए कभी भगवान को दुखी नहीं करना चाहता। जब हमारा मन, बुद्धि, अहंकार शुद्ध हो जाएंगे तब भगवान हमारे पास आ जाएंगे।
ढोल की थाप पर निकली प्रभातफेरी इस्कॉन की तरफ से जन्माष्टमी पर सुबह प्रभात फेरी भी निकाली जा रही हैं। साक्षी गोपाल दास के नेतृत्व में श्री राधा राधाकांत मंदिर मेन बाजार से शुरू होकर गलियों से होती हुई महादेव मोहल्ले में कीर्तन, प्रवचन और प्रसाद के साथ सम्पन्न हुई। प्रभात फेरी में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया। ढोल की थाप पर भगवान के नाम का कीर्तन और नृत्य किया। ये प्रभातफेरी श्री कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य मे पिछले 15 दिनों से शहर के विभिन्न स्थानों में लगातार निकाली जा रही हैं।
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