[ad_1]
मुरैना के जौरा रोड पर गुरुवार को तीन घंटे तक जाम लगा रहा। जाम में एम्बूलेंस व स्कूली बसें फंसी रहीं। जाम लगने की मुख्य वजह इस रोड पर गड्ढों में भरा पानी है, जिसमें वाहन फंस जाते हैं।
.
बता दें, कि मुरैना का बैरियर चौराहे से जौरा रोड तक जाम लगा रहा। जाम तीन घंटे तक लगा रहा। दो किलोमीटर से अधिक दूरी के जाम में एम्बूलेंस व स्कूली बसें फंसी रहीं। बच्चे गर्मी में भूंख व प्यास से बिलबिलाते रहे उधर एम्बूलेंस में मरीज तड़पता रहा।
सड़क पर तालाब जैसी स्थिति
जौरा रोड पर तालाब जैसी स्थिति निर्मित हो गई है। यहां सड़क के दोनों तरफ दो फीट गहरा गड्ढा है जिसमें बारिश का पानी भरा रहता है। सड़क इतनी खराब है कि इन गड्ढों में कई छोटे वाहन गिर चुके हैं। किसानों की अनाज से भरी ट्रेक्टर ट्रालियां पलट चुकी हैं, लेकिन नगर निगम व लोक निर्माण विभाग किसी ने भी अभी तक इस रोड को सही करने की सुध नहीं ली है।
हर दिन गुजरती कलेक्टर एसपी की गाडि़यां
ताज्जुब की बात यह है कि इस रोड पर से हर दिन कलेक्टर व एसपी के वाहन गुजरते हैं। जिले के हर प्रशासनिक अधिकारी के वाहन हिचकोले खाते हुए गुजरते हैं। जिला प्रशासन के अधिकारियों को हिचकोले खाना मंजूर है लेकिन इस रोड के सुधरवाने में उनकी कोई रुचि नहीं दिखाई देती है।
गिट्टी डलवाकर कर देते खानापूर्ति
इस रोड पर जब अधिक जाम लगने लगता है तो विभाग के अधिकारी सफेद गिट्टी मंगवाकर डलवा देते हैं। लेकिन उसके दो दिन बाद फिर से स्थिति जस की तस हो जाती है। जैसा कि आज भी देखा गया। जब लंबा जाम लग गया तो वहां नगर निगम ने एक ट्राली सफेद गिट्टी मंगवाकर डलवा दी जिसने समस्या को खत्म तो नहीं किया बल्कि और उलझा दिया तथा एक तरफ की रोड अधिक ऊंची हो गई तथा दूसरी तरफ का गड्ढा और गहरा हो गया, जिससे वाहनों के पलटने की संभावना और अधिक बढ़ गई।
गड्ढे में फंस गए ऑटो, यात्रियों को उतारकर मारा धक्का
जाम की सूचना मिलते ही यातायात विभाग के निरीक्षक संतोष भदौरिया तथा उपनिरीक्षक मलखान सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए। उन्होंने जाम खोलने में पसीना बहाया तब कहीं जाकर जाम खुल सका। नगर निगम ने दोनों सड़कों के गड्ढों में भरे पानी के मेन्टेन करने के लिए दोनों सड़कों के बीच में मोटा पाइप डाल दिया। पाइप जिस जगह डाला गया वह जगह ऊंची हो गई तथा उसके बगल में मौजूद जगह काफी नीची हो गई जिससे ऑटो व ई-रिक्शा उस गड्ढे में फंस गए। फंसने पर संतोष भदौरिया व मलखान सिंह ने यात्रियों को नीचे उतारा तथा धक्के देकर वाहनों को निकाला। इसमें उपनिरीक्षक मलखान सिंह ने काफी पसीना बहाया।
यात्रियों के गिरने का डर
जौरा रोड से बसें निकल रहीं थी जिनके ऊपर यात्री बैठे हुए थे। इसके साथ ही ऑटो तथा ई-रिक्शा भी ठसाठस भरे हुए थे। एक ऑटो की यात्री क्षमता अधिक से अधिक चार सवारी की है लेकिन ऑटो में 8 से 10 यात्री बैठालकर यात्रा की जा रही थी। यही हाल ई-रिक्शा चालकों का है वह भी ठसाठस सवारियों को भरकर ले जा रहे थे। सबसे खास बात यह है कि उन्हें न तो यातायात विभाग का डर है और न ही परिवहन विभाग का। ऐसे में जहां गड्ढे में से बस व ऑटो व ई-रिक्शा गुजर रहे थे तो यात्रियों के गिरने का डर बना हुआ था क्योंकि वाहन एक तरफ पूरी तरह झुक रहे थे।
——–
——
——
—–
[ad_2]
Source link