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नई दिल्ली27 मिनट पहले
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श्रीनगर में चिनार पुस्तक महोत्सव के दौरान प्रस्तुति देते कलाकार।
श्रीनगर में सोमवार को भारत की लोक परंपरा, संस्कृति के विविध रंग देखने को मिले। पुणे के निकिता मोगे के पायलवृंदा ग्रुप ‘कलर्स ऑफ भारत’ ने गणेश वंदना, कथक और लावणी की जुगलबंदी और भारत के अलग-अलग क्षेत्रों पंजाबी, गढ़वाली, मराठी, राजस्थानी, गुजराती, कश्मीरी नृत्य से देश की लोक परंपरा और संस्कृति की विविधता में एकता को दर्शाया।
चिनार पुस्तक महोत्सव में बच्चों ने उत्साह से भाग लिया।
युवाओं के लिए मेंटल हेल्थ वर्कशॉप
डिजिटल युग का युवाओं पर बहुत गहरा पड़ता है। वे बढ़ते तनाव को कैसे कम कर सकते हैं, किस तरह उनका मानसिक विकास हो सकता है और किस तरह वे रचनात्मक बन सकते हैं और कला, संस्कृति, अर्थशास्त्र, पर्यटन आदि क्षेत्रों में अपना भविष्य बना सकते हैं, इसके लिए चिनार पुस्तक महोत्सव में तरह-तरह की कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है।
पुस्तक महोत्सव में सभी वर्ग के लोगों ने किताबों में रुचि दिखाई।
सोमवार को कम्यूनिकेशन और सोशल मीडिया एक्सपर्ट शोभा कपूर ने युवाओं को तनाव कम करने की प्रक्रिया के बारे में बताया। युवा भावनात्मक रूप से कैसे मजबूत बनें, वे समय-समय पर आने वाली समस्याओं का समाधान कैसे निकालें, इस पर उन्होंने बताया, सबसे पहले युवाओं को तनाव के कारणों का पता लगाना होगा। उन्हें अनुभव करना होगा तभी तनावपूर्ण स्थिति से बाहर आने का प्रबंधन कर सकते हैं।
सोशल मीडिया और मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल के चलते युवाओं में सुनने की क्षमता कम होती जा रही है। ऐसे में बढ़ते तनाव पर काबू पाने के लिए शोभा कपूर ने बताया कि भावनात्मक रूप से मजबूत होने के लिए युवाओं को चार बातों को अपनाने की जरूरत है- सचेतन मन की, एक अच्छा श्रोता बनने की, सकारात्मक बातें करने की और समस्याओं का समाधान खोजने की। यदि बच्चे और युवा अपने गलत-सही हर तरह के अनुभवों को घर के सदस्यों, मित्रों से साझा करें, तो अवश्य ही तनाव को कम किया जा सकता है।
पुस्तक महोत्सव में बच्चों ने अपनी पसंद की पुस्तकें भी खरीदीं।
सिद्धि से मिलेगी प्रसिद्धि- डॉ. राजेश कुमार व्यास
चिनार पुस्तक महोत्सव में देशभर से आए प्रख्यात साहित्यकार भी शिरकत कर रहे हैं। यात्रा-वृत्तांत के जाने-माने लेखक डॉ. राजेश कुमार व्यास चिनार पुस्तक महोत्सव में आए और युवाओं के साथ अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कश्मीर की परंपरा, संस्कृति पर बात करते हुए कहा कि यहां की मिट्टी बहुत उर्वर है, जिसमें मेहमाननवाजी समाई हुई है।
उन्होंने युवाओं के सामने अपने बचपन में डायरी ‘लेखन से यात्रा-वृत्तांत के जाने-माने हस्ताक्षर बनने तक के सफर प्रकाश डालते हुए कहा,बच्चे, युवा यदि रोज की अनुभूतियों, अनुभवों को डायरी में लिखें तो वे भविष्य में एक अच्छे लेखक बन सकते हैं। हर किसी के लेखन में उसके संस्कार झलकते हैं। युवाओं को ध्यान रखना होगा कि किसी को रातों-रात प्रसिद्धि नहीं मिलती, सिद्धि से अपने मुकाम तक पहुँचा जा सकता है।
बच्चों ने कार्यशाला में भाग लेकर सर्टिफिकेट भी हासिल किए।
कश्मीरी संस्कृति से जोड़ने का प्रयास
इस पुस्तक महोत्सव में बच्चों को कश्मीरी संस्कृति से जोड़े रखने के भी प्रयास किए जा रहे हैंं। सोमवार को सुबह से ही एसकेआईसीसी में बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों की चहल-पहल देखने को मिली। जाने-माने कश्मीरी बाल साहित्यकार अख्तर हुसैन से जब बच्चों ने कश्मीरी जुबां में कहानियाँ सुनीं तो पूरा चिल्ड्रन कॉर्नर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। बच्चे जिन्हें ड्राइंग करना पसंद है, उन्होंने देश में विजुअल आर्ट के लिए मशहूर करन सिंह से स्कैच आर्ट की बारीकियों के बारे में जाना।
बच्चों में अधिक से अधिक जानने की जिज्ञासा होती है, इसके लिए खूब प्रश्न पूछते हैं, ऐसे में प्रश्न पूछने की कला का कैसे अपने भीतर विकास किया जाए, इस पर चिल्ड्रन कॉर्नर में भास्कर इंद्रक्रांति बच्चों के लिए एक वर्कशॉप आयोजित करेंगे। बच्चों को बुक कवर की कला भी सिखाई जाएगी।
अपनी तरह का पहला पुस्तक महोत्सव-शोभा कपूर
शोभा कपूर ने कहा मुझे इतना अच्छा लग रहा है कि इतने सारे बच्चे, विद्यार्थी, युवा, परिवार चिनार पुस्तक महोत्सव में आ रहे हैं। अपनी पसंद की किताबों को देख रहे हैं, खरीद रहे हैं। पिछले 7-8 सालों से मैं श्रीनगर में काम कर रही हूं, लेकिन मुझे लगता है कि अब तक का अपनी तरह का पहला पुस्तक महोत्सव है।
डॉ. राजेश कुमार व्यास ने कहा नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया के इस आयोजन को मैं इसलिए इतना महत्वपूर्ण मानता हूं क्योंकि आजादी के बाद कश्मीर में पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने का पहला ऐसा कार्यक्रम है। किताबों की दुनिया में यहां साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।
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