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नई दिल्ली, विशेष संवाददाता झारखंड में झामुमो में पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की बगावत के बावजूद भाजपा को आने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। पार्टी के सामने भीतरी और बाहरी दोनों मोर्चों पर कड़ी चुनौतियां हैं। हालांकि उसके दो प्रमुख रणनीतिकार केंद्रीय मंत्री व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा राज्य में भाजपा की सत्ता में वापसी के लिए मजबूत रणनीति बनाने में जुटे हैं, जिसमें आदिवासी मतदाताओं को साधना सबसे अहम है।
झारखंड में हाल में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा को आदिवासी सीटों पर बड़ा झटका लगा था। वह राज्य की सभी अनुसूचित जनजाति के लिए आरिक्षत सीटों पर हार गई और यही वजह थी कि भाजपा की लोकसभा सीटें 11 से घट कर आठ रह गईं। आदिवासी सीटों पर नुकसान भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव में बड़ी समस्या बन सकता है। हालांकि भाजपा ने राज्य की चुनावी रणनीति की कमान अपने दो मजबूत नेताओं को सौंपी है। इनमें केंद्रीय मंत्री व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा शामिल हैं।
भाजपा को मजबूत आदिवासी नेता की जरूरत
चंपाई सोरेन की झामुमो में बगावत को भी भाजपा की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। चंपाई झामुमो के मजबूत नेता हैं और प्रतिष्ठित आदिवासी नेता हैं। यही वजह है कि हेमंत सोरेन ने जेल जाने पर चंपाई को ही मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन जब वह जेल से लौटे तो चंपाई को हटाकर खुद मुख्यमंत्री बन गए। तभी से दोनों में अनबन चल रही थी। इधर भाजपा को भी आदिवासी क्षेत्रों में मजबूत नेता की जरूरत है। अपनी पिछली सरकार में गैर आदिवासी नेतृत्व में सरकार चलाने से आदिवासी समुदाय भाजपा से दूर हो गया है।
चंपाई पर भाजपा की नजर
भाजपा में अब पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी वापस आ चुके हैं, लेकिन वह भी अब पहले जैसे प्रभावी नहीं रहे हैं। भाजपा के दूसरे प्रमुख आदिवासी नेता पू्र्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा लोकसभा चुनाव हार गए थे, वह अब विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। सूत्रों के अनुसार इन दो प्रमुख आदिवासी नेताओं के बावजूद भाजपा को लोकसभा चुनाव में आदिवासी क्षेत्रों में लाभ नहीं मिला था, इसलिए उसकी नजर झामुमो के नेता चंपाई सोरेन पर है। हालांकि उन्होंने अभी तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है।
स्थितियों को परख कर बढ़ा रही कदम
भाजपा सूत्रों का कहना है कि चंपाई के आने से लाभ होगा, लेकिन राज्य में हेमंत सोरेन को जेल जाने व बाहर आने से आदिवासी समुदाय में जो सहानुभूति मिली है, उससे निपटना भी जरूरी है। चंपाई इस मामले में उसके लिए लाभ का सौदा हो सकते हैं। हालांकि भाजपा चंपाई को साथ लाने के पहले पूरी तरह से स्थितियों को परख लेना चाहती है।
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