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दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लॉ स्टूडेंट को छात्र समूहों के बीच हुई लड़ाई के एक मामले में जमानत देने से मना कर दिया। लॉ सेंटर–II के अध्यक्ष और सचिव प्रिंस और प्रियम शर्मा के नेतृत्व में दो छात्र गुटों के बीच लड़ाई हुई थी। एडिशनल सेशन जज (एएसजे) शेफाली शर्मा की अदालत ने 13 अगस्त को कहा कि आवेदक शर्मा को जमानत नहीं दी जा सकती, क्योंकि शिकायतकर्ता ने उनका नाम अपने ऊपर हमला करने वाले लोगों में से एक के तौर पर लिया था और सीसीटीवी फुटेज के जरिए उसकी पहचान हुई थी। मामले में चार्जशीट दाखिल की जानी है।
कोर्ट ने शिकायतकर्ता मानवेंद्र सिंह के सिर में लगी चोट की एमएलसी में कथित हेराफेरी का भी संज्ञान लिया। इसे गंभीर चिंता का विषय बताते हुए अदालत ने निर्देश दिया कि जांच की निगरानी एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा की जाए। जज ने सीसीटीवी फुटेज को देखते हुए कहा कि शर्मा, जिन्होंने सफेद शर्ट पहनी थी और हाथ में लाठी लिए हुए थे, शिकायतकर्ता को मारते हुए देखे जा सकते हैं।
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट ने लॉ स्टूडेंट के ऐसी गतिविधियों में शामिल होने पर चिंता जताते हुए कहा, ‘विडंबना यह है कि आवेदक खुद कानून का छात्र है और उसे कानून का पालन करना चाहिए था… कानून को अपने हाथ में लेने के बजाय।’ हाईकोर्ट ने 9 जुलाई को शर्मा की अग्रिम जमानत खारिज कर दी थी। अदालत ने यह भी कहा कि इस बात की पूरी संभावना है कि अगर उसे जमानत दी गई तो वह शिकायतकर्ता को निशाना बना सकता है।
मुखर्जी नगर पुलिस थाने में सिंह की शिकायत पर शर्मा और आठ अन्य के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की कोशिश, जानबूझकर चोट पहुंचाना, गलत तरीके से रोकना और समान इरादे के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। एफआईआर के अनुसार, शर्मा और उसके साथियों ने 22 मई की रात करीब 11 बजे विजय नगर में सिंह और उसके दो दोस्तों पर लाठी और हॉकी स्टिक से हमला किया था। यह हमला 21 मई को दो छात्र समूहों के बीच हुए झगड़े के बाद किया गया था, जिसे उसी दिन सुलझा लिया गया था।
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