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पश्चिमी दिल्ली स्थित घर से एक 16 साल की लड़की 18 जुलाई को गायब हो जाती है। करीब एक महीने से गायब लड़की को माता-पिता मृत मान लेते हैं। यहां तक की परिवार की भी उम्मीद तब टूट गई जब नाबालिग के गायब होने के तीन हफ्ते बाद उत्तर प्रदेश पुलिस को एक किशोरी का शव मिला था। परिवार ने उसकी पहचान अपनी बेटी के तौर पर की। मामले में चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब लड़की दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा में जिंदा मिली। नाबालिग अपने माता-पिता के पास वापस आ गई है और फिलहाल उनकी देखभाल में है।
18 जुलाई को लापता हुई थी लड़की
किशोरी को जिला मजिस्ट्रेट की अदालत में बयान देने के लिए पेश किया गया, लेकिन इस अजीबोगरीब मामले में जांच जारी है। 18 जुलाई को लड़की के माता-पिता घर लौटे तो उन्होंने पाया कि उनकी बेटी गायब हो गई है। हैरान-परेशान होकर उन्होंने रोहिणी पुलिस को उसके लापता होने की सूचना दी, जिसने उसकी तलाश शुरू कर दी। जांच के दौरान घंटों सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए और ह्यूमन इंटेलीजेंस का इस्तेमाल किया गया।
यूपी में मिली मिलती-जुलती लाश
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस केस ने 9 अगस्त को तब एक अनोखा मोड़ लिया जब उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली पुलिस को उत्तर प्रदेश के राजपुरा में एक लड़की का शव मिलने की सूचना दी, जो लापता किशोरी से मिलती जुलती थी। अगले दिन, नाबालिग के माता-पिता ने, शारीरिक विशेषताओं में अंतर का पता चलने के बावजूद, एक तस्वीर के आधार पर शव की पहचान अपनी बेटी के रूप में की। उन्हें शव को शारीरिक रूप से देखने का मौका नहीं मिला क्योंकि तब तक उसका अंतिम संस्कार हो चुका था।
पुलिस को हुआ शक
शव की पहचान के बावजूद, डीसीपी (रोहिणी) गुरइकबाल सिंह और उनके पुलिसकर्मी इस बात पर सहमत नहीं थे कि शव लापता किशोरी का ही है। उन्होंने अपना तलाशी अभियान तेज कर दिया। पुलिसकर्मियों ने अतिरिक्त सीसीटीवी फुटेज की जांच की और लड़की के हरियाणा में होने का संकेत देने वाले सुराग को फॉलो किया। गहन तलाशी के लिए कई पुलिस टीमों को इस केस में लगाया गया। 12 अगस्त को एक सूचना के आधार पर दिल्ली पुलिस हरियाणा के पंचकूला पहुंची, जहां उन्हें लापता लड़की जीवित और सुरक्षित मिली।
डीसीपी ने दी सलाह
डीसीपी सिंह ने सलाह देते हुए कहा, ‘इस घटना के बाद, हमने लापता व्यक्तियों के केस में शामिल माता-पिता और अन्य लोगों को सतर्क रहने और उम्मीद न खोने की सलाह दी है। हम प्रियजनों द्वारा महसूस किए जाने वाले भावनात्मक तनाव को समझते हैं, लेकिन यह बहुत जरूरी है कि समय से पहले यह न मान लिया जाए कि कोई भी अज्ञात मृतक उनका लापता रिश्तेदार है, खासकर तब जब पुलिस सक्रियता से तलाश कर रही हो।’
उन्होंने आगे कहा, ‘इस मामले को जो बात विशेष रूप से अलग करती है, वो है कि माता-पिता द्वारा शव की पहचान बेटी के तौर पर करने के बावजूद, हमने अपनी सर्च को रोका नहीं, उसे जारी रखा। इसके अलावा, हमने उम्र में काफी अंतर होने के कारण सर्च को और तेज कर दिया – शव 16 साल की बच्चे से काफी बड़े शख्स का लग रहा था। उसके चेहरे पर स्पष्ट निशान थे, जिससे शुरुआती पहचान पर शक पैदा हुआ।’
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