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पाली में गत दिनों हर घर तिरंगा रैली के दौरान पूर्व सैनिक पूराराम चौधरी को अतिथि के रूप में बुलाया गया। जिला कलेक्टर और एसपी ने भी उनका माला और साफा पहनाकर सम्मान किया।
78वें स्वतंत्रता दिवस पर हम आपको अपने पाली जिले के उस वीर सैनिक की कहानी से से रूबरू करवाते है। जिन्होंने उग्रवादियों को पकड़ने के दौरान अपना एक पैर गंवाना पड़ा। लेकिन फिर भी उनका हौंसला कम नहीं हुआ और कृत्रिम पैर लगने के बाद भी सेना में करीब 12 साल तक
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पूर्व सैनिक पूराराम चौधरी। (गले में माला)
पाली जिले के सोजत तहसील के चौपड़ा गांव निवासी पूर्व सैनिक हवलदार पूराराम चौधरी बताते है कि 13 सितंबर 1988 को भारतीय सेना की ग्रेनेडियर रेजीमेंट की चौथी बट्टालीयन में एक सिपाही के तौर पर भर्ती हुए थे। 24 नवम्बर 1998 में अपनी बट्टालीयन के साथ जम्मू कश्मीर के पुंछ सैक्टर में तैनात थे। जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक के तहत उग्रवादियों के खिलाफ अभियान के दौरान पुंछ ईलाके में उग्रवादियों के छीपे होने की सूचना पर वे भी अपनी कंपनी के साथ उग्रवादियों से मुठभेड़ के लिए पहुंचे। 5 उग्रवादी थे। जिनसे आमना- सामना होने पर दोनों तरफ से गोलाबारी हुई।
इस लड़ाई में वे उग्रवादियों को मार गिराने के लिए उनके काफी नजदीक पहुंच गए। लेकिन इस दौरान उनका एक पैर उग्रवादियों द्वारा बिछाई गई बारूदी सुरंग पर पड़ गया। और धमाके के साथ सुंरग फट गई। इस हादसे में इनका दाहिना पैर घुटने के नीचे से उड़ कर चिथड़े-चिथड़े हो गया। गंभीर हालत मे इन्हें साथी सैनिकों ने पुंछ के फौजी चिकित्सालय ले गए। जहां सैन्य चिकित्सकों ने उनकी जान तो बचा ली लेकिन घुटने के नीचे के पैर को काटना पड़ा। उन्होंने बताया कि 2 उग्रवादियों को मार गिराया और एक को जिंदा पकड़ा और भाग गए।
फिर भी 12 साल की सेना में नौकरी
पूर्व सैनिक पूराराम चौधरी बताते है कि कुछ महिनों बाद कमांड अस्पताल पूना में उनके कटे पैर की जगह एक प्लास्टिक का कृत्रिम पैर लगाया गया। चाहता था सेवानिवृत्ति लेकर घर आ सकते थे लेकिन देशभक्ति का इनमें जज्बां कुछ ऐसा था कि कृत्रित पैर लगाने के बाद भी उन्होंने करीब 12 साल तक सेना में सेवाएं दी और बाद में एक अक्टूबर 2012 को सेवानिवृत्त हुए।
दो बेटों के साथ रहते है गांव में
पूर्व सैनिक पूराराम चौधरी बताते है कि अब वे चौपड़ा गांव में अपने बेटे श्रवण चौधरी और राजू चौधरी के साथ रहते है। पत्नी सुमित्रादेवी की वर्ष 2015 में देहांत हो गया। बेटा श्रवण चौधरी कलेक्ट्रेट में पियॉन है वही दूसरा बेटा राजू प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहा है।
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