प्रयागराज। तुलसी जयंती के अवसर पर नगर स्थित शिव गंगा कोचिंग इंस्टीट्यूट निकट आनंद भवन के सभागार में सोन साहित्य संगम सोनभद्र के तत्वाधान में संस्था के संयोजक कवि अधिवक्ता पत्रकार राकेश शरण मिश्र द्वारा रचित प्रथम काब्य संग्रह खामोश कैसे रहूं का विमोचन नामचीन साहित्यकारों पत्रकारों की उपस्थिति में भव्य तरीके से संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता सोन साहित्य संगम के निदेशक वरिष्ठ साहित्यकार पत्रकार मिथिलेश प्रसाद दिवेदी ने किया एवम संचालन गीत कस्तूरी साहित्यिक संस्था की निदेशक जानी मानी कवियत्री डा रचना तिवारी ने किया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बार कौंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के सद्स्य एवम पूर्व उपाध्यक्ष जय नारायण पांडेय उपस्थित रहे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ओम प्रकाश त्रिपाठी रहे एवम विशिष्ट अतिथि के रूप में विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान के राष्ट्रीय सचिव डा गोकुलेश्वर दिवेदी, शिव राज यादव निदेशक शिव गंगा इंस्टीट्यूट,राजा राम प्रजापति प्रवक्ता सरदार पटेल इंटर कॉलेज कोराव,बी के त्रिपाठी शिक्षा विद साहित्यकार, शशि त्रिपाठी भाजपा नेत्री एवम प्रखर सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि एवम मंचासिन अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित करके एवम दीप प्रज्ज्वलित करके के किया गया। इसके बाद संस्था के संयोजक द्वारा मंचासीन अतिथियों को पुष्प गुच्छ अंगवस्त्र एवम सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। तत्पश्चात रचना तिवारी ने मां वाणी वंदना करके कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की।
इसके बाद कार्यक्रम में उपस्थित मंचासिम अतिथियों एवम कवियों ने श्री मिश्र को उनके काब्य संग्रह के विमोचन की बधाई देते हुए एक से बढ़कर कविता पाठ करके श्रोताओं की वाहवाही लूटी। कविता पाठ करने वालो मुख्य रूप से कवियत्री रचना तिवारी, कवियत्री पूजा यादव, कवियत्री पूर्णिमा मालवीय, कवि मनीष जौनपुरी,वेद प्रकाश, कवि हरे राम पांडेय, कवि ईश्वर शरण शुक्ला, कवि सुनील यादव ,कवि प्रभांशु, एवम राकेश शरण मिश्र मुख्य रहे।
इसके अलावा कार्यक्रम में मुख्य रूप से अधिवक्ता मनीष कुमार श्रीवास्तव,अधिवक्ता देव व्रत आर्या,अधिवक्ता विनय गुप्ता, अधिवक्ता अमित विश्वास,अधिवक्ता बिरेंद्र नाथ पांडेय, अधिवक्ता विकास मिश्र, अधिवक्ता उदय प्रकाश पाण्डेय, अधिवक्ता ऋषि टंडन उपस्थित रहे।