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हाई कोर्ट की एकलपीठ ने स्व प्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए मिलावटी खाद्य पदार्थों की रोकथाम को लेकर जो निर्देश दिए थे उस पर हाई कोर्ट की खंड पीठ ने रोक लगा दी है। सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस जीआर मीना की खंडपीठ पर रोक लगाते हुए कहा कि एकल पीठ ने मामले
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एकलपीठ को अंतिम आदेश देने का अधिकार नहीं
मामले की सुनवाई के दौरान केन्द्र व राज्य सरकार ने कहा कि एकल पीठ ने उन्हें व्यापक निर्देश देते हुए मामला खंड पीठ में सुनवाई के लिए भेजा था। लेकिन एकल पीठ की ओर से दिए गए निर्देश अंतरिम नहीं हैं बल्कि अंतिम हैं और खंड पीठ के पास इन निर्दशों को लागू करने के अलावा अन्य कोई सुनवाई बाकी नहीं है जबकि एकल पीठ को इस तरह से अंतरिम आदेश में विस्तृत निर्देश देने का अधिकार ही नहीं है। खंड पीठ ने राज्य सरकार की दलीलों को सुनकर एकल पीठ के निर्देशों पर रोक लगा दी।
एकलपीठ ने मिलावट को बताया था वैश्विक समस्या
दरअसल जस्टिस अनूप ढंड ने 1 जुलाई को मिलावटी खाद्य पदार्थों को लेकर स्व प्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए इसे वैश्विक समस्या बताया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि सरकारें मिलावट के मुद्दे को गंभीरता से ले। जिससे वर्तमान की रक्षा और भविष्य की सुरक्षा हो सके। वहीं लोगों के जीवन को बचाया जा सके।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार शुद्ध के लिए युद्ध अभियान को केवल त्योहार या शादी सीजन तक ही सीमित नहीं रखे बल्कि नियमित तौर पर इसे चलाए। वहीं संबंधित अधिकारी खाद्य पदार्थों में मिलावट के लिए नियमित सैंपल लें और महीने के अंत में रिपोर्ट पेश कर बताएं कि उन्होंने इसे रोकने के लिए क्या कार्रवाई की। अदालत ने मिलावट को रोकने व इस पर निगरानी के लिए सीएस की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कमेटी बनाने के लिए भी कहा था।
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