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पुष्पेंद्र ने कई बड़े नेताओं और एक्टर के साथ फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रखे हैं।
केंद्रीय मंत्री बनकर दो थाना प्रभारियों के ट्रांसफर के लिए मध्यप्रदेश के डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना पर दबाव बनाने वाला कथावाचक व आचार्य पुष्पेंद्र दीक्षित (शर्मा) 10वीं पास है। बातों का ऐसा जाल बुनता है कि बड़े – बड़े धोखा खा जाएं। नेता – एक्टर के चेहर
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उसने कई केंद्रीय मंत्रियों, बड़े नेताओं और एक्टर के साथ फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रखे हैं। 2016 में बीएसएफ के 3 आरक्षकों का तबादला करने के लिए तत्कालीन केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नाम से फर्जी लेटर बीएसएफ डीजी को लिखा था। तब एक आरक्षक का तबादला हो भी गया था।
आरोपी पुष्पेंद्र को क्राइम ब्रांच ने 5 अगस्त को ग्वालियर से गिरफ्तार किया है। वह डबरा के छोटे से गांव ऊदलपाड़ा का रहने वाला है। धारा प्रवाह संस्कृत बोलता है। साधारण परिवार है। गांव में उसे लोग गैंबलर कहकर बुलाते हैं।
पुष्पेंद्र इतना बड़ा फ्रॉड कैसे बना, जानेंगे; पहले 6 तस्वीरें…
एमपी के तीन बड़े नेता…
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साथ।
तीन बड़े एक्टर…
संजय दत्त के साथ।
सलमान खान के साथ।
कपिल शर्मा के साथ।
(ठग पुष्पेंद्र मंत्रियों – एक्टर से सार्वजनिक स्थान पर इस तरह मुलाकात करता कि फोटो में लोगों को लगे कि उसके इन नेताओं से गहरे संबंध हैं।)
ताऊ की इज्जत देख कथावाचक बना, लेकिन फ्रॉड करने लगा
पुष्पेंद्र के ताऊ कथावाचक हैं। उनकी गांव में आवभगत देखकर ही वह प्रभावित हुआ। उसने ठान लिया था कि वह ऐसा ही नाम कमाएगा, लेकिन सिर्फ 10वीं तक ही पढ़ाई कर सका। इसके बाद मथुरा-वृंदावन जाकर संस्कृत सीखी। कथावाचक और आचार्य बन गया। गांव में जब उसके सोशल मीडिया पर कुछ बड़े नेताओं के साथ फोटो की चर्चा हुई, तो उसे इज्जत मिलने लगी। इसके बाद वह ठगी के पेशे में रम गया।
फ्रॉड भागवत आचार्य के 4 बैंक खाते मिले, 5 मोबाइल
पुलिस को आरोपी के अब तक 4 बैंक अकाउंट मिले हैं। पुलिस अफसरों का मानना है कि बैंक खातों में हुए ट्रांजेक्शन से उन अफसरों – कर्मचारियों का पता चल सकेगा, जिन्होंने उससे ट्रांसफर करवाया है। पुलिस को ऐसा इनपुट मिला है कि पुलिस ही नहीं, दूसरे डिपार्टमेंट के लोग भी उससे ट्रांसफर करवा चुके हैं।
पुलिस ने पांच मोबाइल भी बरामद किए हैं। मोबाइल में से काफी हद तक डेटा डिलीट कर दिया गया है। पुलिस ने फोरेंसिक जांच के लिए मोबाइल दिए हैं। साइबर एक्सपर्ट की टीम इन मोबाइल फोन से डेटा रिकवर करने में लगी है। इसके बाद ही पता लग सकेगा कि कौन-कौन पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, कर्मचारी उसके संपर्क में थे। कितने मंत्रियों के नाम से वह अधिकारियों को मैसेज कर हड़का चुका है। मोबाइल खुलेगा तो कई बड़े अधिकारियों के राज भी खुल सकते हैं।
पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है, लेकिन वह दिल पकड़ कर बैठ जाता है। इसीलिए आज उसका मेडिकल कराकर पता लगाया जाएगा कि उसे हार्ट प्रॉब्लम है भी या नहीं।
पूछताछ होने पर सीना पकड़ कर बैठ जाता है
पुलिस अफसर और क्राइम ब्रांच की टीम लगातार आरोपी से पूछताछ कर रही है, लेकिन वह काफी शातिर है। जब भी उससे पूछताछ होती है, तो अपना सीना (हार्ट साइड) पकड़कर बैठ जाता है। उसके पास से शुगर और बीपी की दवाएं मिली हैं, लेकिन हार्ट की कोई दवा नहीं मिली है। बुधवार को पुलिस उसका मेडिकल कराएगी।
जांच में यह भी पता चला है कि कुछ समय पहले ही उसने गन लाइसेंस बनवाया है। पुलिस अफसरों का मानना है कि इसे भी ठग ने दबाव बनाकर बनवाया होगा। अब पुलिस इसे निरस्त कराने की तैयारी में लग गई है। पुलिस यह भी पता लगा रही है कि कितने लोगों के आर्म्स लाइसेंस के लिए इसने सिफारिश की है।
दोनों टीआई बोले- हम उसे जानते तक नहीं
फ्रॉड ने जिन दो टीआई विनय यादव और पंकज त्यागी के लिए डीजीपी को कॉल किया और पकड़ा गया, उन दोनों टीआई को सस्पेंड कर दिया गया। जब दैनिक भास्कर ने दोनों टीआई से बात की, तो उनका कहना है कि वे तो आचार्य को जानते तक नहीं हैं। सस्पेंड होने के बाद आधे अधूरे मामले का पता लगा और जब आरोपी पकड़ा गया, तो पूरा मामला समझ में आया। दोनों टीआई का कहना है कि हमने अपने संबंध में जिले के एसपी को लेटर लिखकर इस व्यक्ति से परिचय नहीं होने बात कही है। चाहें तो हमारे मोबाइल की डेटा चेक कर लें।
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अरेस्ट होने की कहानी भी दिलचस्प…
आरोपी को सोमवार को ग्वालियर से गिरफ्तार किया गया।
डेढ़ महीने पहले एक व्यक्ति ने पहले खुद को केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का निज सचिव जयकिशन बताते हुए दो इंस्पेक्टर विनय यादव को शिवपुरी से भिंड और पंकज त्यागी को गुना से ग्वालियर ट्रांसफर करने का आवेदन वॉट्सएप किया। इसके बाद डीजीपी को भी कॉल कर बताया कि दोनों थाना प्रभारी मंत्री के करीबी हैं।
इसके बाद भी ट्रांसफर ऑर्डर नहीं पहुंचा, तो उसने दोबारा डीजीपी को काॅल कर बताया कि मंत्री जी बात करेंगे। इसके बाद खुद ही गिरिराज सिंह बनकर जल्दी ट्रांसफर करने को कहा। आरोपी अलग-अलग नंबरों से अपडेट लेने लगा। इंस्पेक्टर के ट्रांसफर को लेकर लगातार कॉल आने पर डीजीपी को संदेह हुआ।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री के निज सचिव जयकिशन से बात की, तो बताया गया कि मंत्री ने ऐसी कोई सिफारिश नहीं की है। दोनों जयकिशन की आवाज में भी काफी अंतर था। इस पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। पूरी खबर पढ़िए
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