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ढाका से 365 किलोमीटर दूर दिनेशपुर जिले के पार्वतीपुर में रह रहे नोहास केरकेट्टा के पूर्वज सवा सौ साल से बांग्लादेश में रह रहे हैं। अब वहां के हालात देखकर सभी परेशान हैं। सोशल साइट्स पर वे लोगों से अपील कर रहे हैं कि ‘हमें शांति चाहिए हमला नहीं’, ‘प्र
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मंगलवार को दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में नोहास केरकेट्टा ने बताया कि दिनेशपुर में करीब सवा लाख आदिवासी रहते हैं। अभी ढाका और चटगांव में हमले हो रहे हैं। लोग पलायन कर रहे हैं। हमारे इलाके में इक्का-दुक्का घटनाएं हुई हैं, लेकिन माहौल शांत है।
हम बहुत डरे हुए हैं। रात को ठीक से सो नहीं पा रहे हैं। जिन करोड़ों लोगों के खून से बांग्लादेश का निर्माण हुआ। जिस बांग्ला भाषा की अस्मिता के लिए लोग लड़े, अब वहां भाषा नहीं धर्म बड़ा हो गया है।
बांग्लादेश में सातार की संख्या सबसे ज्यादा, उरांव दूसरे नंबर पर
बांग्लादेश में झारखंड से गए 4.6 लाख लोग रहते हैं। सबके अधिक सातार (संथाल) 2.5 लाख, उरांव 1.5 लाख और मुंडा करीब 60 हजार की संख्या में हैं। मेहनती और खेती में दक्ष होने से झारखंड से आए आदिवासी यहीं बस गए।
बांग्लादेश में धान की खेती अच्छी होती है, इसलिए आदिवासियों की संख्या भी बढ़ती गई। चाय बागानों में भी बड़ी संख्या में आदिवासी रहते हैं। सोपोन कहते हैं कि यहां चावल के साथ मड़ुआ और गोंदली की खेती करते हैं। चावल से हड़िया भी बनाते हैं।
धर्मेश और पूर्वजों की पूजा के साथ हिंदू देवी-देवताओं की भी पूजा करते हैं। करम, सरहुल, सोहराई के साथ दुर्गा पूजा और काली पूजा भी मनाते हैं। मांदर, ढोल और नगाड़ा बजाकर नृत्य होता है। बांग्लादेश में सबसे अधिक राजशाही में उरांव जनजाति के लोग रहते हैं। इसके बाद रंगपुर, सिलहट, चिटगांव, खुलना, दिनेशपुर में आबादी है।
दिनेशपुर जिले में 45 घर के लोग रात में सो नहीं रहे : सोपोन
दिनेशपुर जिले के छातनीपाड़ा में रहने वाले सोपोन एक्का एनजीओ में काम करते हैं। कहते हैं कि जब यहां (अब बांग्लादेश) अंग्रेज रेल लाइन बिछा रहे थे, उनके पूर्वज छोटानागपुर से आए थे। अब हमलोग यहां चास (खेती) करते हैं। मेरे पाड़ा (गांव) में 45 घर हैं।
उरांव और संथाली रहते हैं। बांग्ला के अलावा हमलोग यहां कुड़ुख, संथाली, मुंडारी और सादरी में भी बात करते हैं। अभी इधर की स्थिति ठीक नहीं है। रात में कोई नहीं सो रहा है। कब क्या होगा, कहा नहीं जा सकता। वैसे अभी स्थिति बिगड़ी नहीं है, पर हम सतर्क हैं।
श्रम विभाग ने कहा- बांग्लादेश में फंसे झारखंड के मजदूर सुरक्षित
बांग्लादेश में एनटीपीसी और एलएनटी में काम कर रहे झारखंड के श्रमिक सुरक्षित हैं। श्रम विभाग के राज्य नियंत्रण कक्ष के प्रभारी जॉनसन टोप्पो ने कहा कि इन कंपनियों में काम कर रहे दो परिवारों के बारे में जानकारी मिली है।
इन परिवारों को कोई परेशानी नहीं है। विभाग वहां फंसे लोगों के बारे में लगातार जानकारी ले रहा है। विदेश मंत्रालय से भी संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है। बुधवार को इस संबंध में और स्थिति स्पष्ट होगी।
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