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मुंबई1 घंटे पहले
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अमेरिकी जज अमित मेहता ने कहा कि गूगल ने ऑनलाइन सर्च में मोनोपॉली बनाए रखने के लिए अवैध रूप से काम किया। इसके लिए गूगल ने अरबों डॉलर खर्च किए, कॉम्पिटिशन को कुचलने और इनोवेशन को दबाने के लिए अपने प्रभुत्व का फायदा उठाया।
यह फैसला एक मुकदमे में लगभग एक साल तक चली मुकदमेबाजी के बाद आया है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और एपल के अधिकारियों की ओर से दिए गए एविडेंस और गवाहों की समीक्षा के बाद जज अमित मेहता ने सोमवार (5 अगस्त) को 277 पेज का डिसीजन दिया। गूगल के ग्लोबल मामलों के चेयरमैन केंट वॉकर ने कहा कि कंपनी इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी।
गूगल का प्रभुत्व उसके मोनोपॉली का प्रमाण
फैसले में पाया गया कि सर्च मार्केट में गूगल का प्रभुत्व उसके मोनोपॉली का प्रमाण है। नॉर्मल सर्च सर्विस में गूगल की 89.2% हिस्सेदारी है, जो मोबाइल पर 94.9% है। जज मेहता के फैसले ने नए मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर अपने सर्च इंजन को डिफॉल्ट बनाने के लिए गूगल की ओर से हर साल खर्च किए जाने वाले अरबों डॉलर को हाइलाइट किया।
अमेरिकी अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने इस फैसले को अमेरिकी लोगों के लिए एक ऐतिहासिक जीत बताया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अब अगले चरण में लंबी कानूनी कार्यवाही और अपीलें शामिल हो सकती हैं, जो संभावित रूप से 2026 तक बढ़ सकती हैं।
अल्फाबेट के लिए कोर्ट का यह फैसला बड़ा झटका
कोर्ट का यह फैसला गूगल और उसकी मूल कंपनी अल्फाबेट के लिए बड़ा झटका है, जिसने तर्क दिया था कि उनकी लोकप्रियता कंज्यूमर्स की सर्च इंजन के इस्तेमाल करने की अत्यधिक इच्छा से बढ़ी है, जो चीजों को ऑनलाइन देखने का पर्याय बन गया है।
इन्वेस्टमेंट फर्म BOND के एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, गूगल का सर्च इंजन दुनियाभर में हर दिन करीब 8.5 बिलियन प्रश्नों को प्रोसेस करता है, जो 12 साल पहले की डेली सर्च से लगभग दोगुना है।
एक साल में अल्फाबेट के शेयर ने 21.75% का रिटर्न दिया
ग्लोबल शेयर मार्केट में गिरावट के बीच गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट का शेयर बीते दिन 4.61% की गिरावट के साथ 160.64 USD पर बंद हुआ। पिछले 5 दिन में इसका शेयर 6.62% और एक महीने में 15.67% गिरा है। वहीं, 6 महीने में अल्फाबेट के शेयर ने 10.47% और एक साल में 21.75% का पॉजिटिव रिटर्न दिया है।
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