[ad_1]
फरवरी 2019 में सीमांचल एक्सप्रेस बेपटरी हुई… जांच हुई तो पता चला- ट्रैक रिकाॅर्ड कार (टीआरसी) से पटरी की जांच तय समय से 4 महीने बाद भी नहीं हुई। यह सिर्फ उदाहरण है। देश में औसतन हर 5 दिन में एक ट्रेन हादसा होता है। संसद की लोकलेखा समिति (2023-24) क
.
इसमें कहा गया है कि रेल पटरियों की जांच टीआरसी से होनी चाहिए, लेकिन रेलवे के विभिन्न जोन में इसमें गंभीर लापरवाही सामने आई है। किसी जोन में सिर्फ 70% ट्रैक की जांच हुई तो कहीं बिल्कुल नहीं हुई। कहीं, ब्लाॅक न मिलने से मशीनें बेकार पड़ी रहीं और कहीं स्टाफ की कमी से।
- पटरियों की गड़बड़ी अल्ट्रासॉनिक फ्लॉ डिटेक्शन सिस्टम से पता चलती है। उत्तर रेलवे में इसकी 50% और ईस्ट-कोस्ट जोन में 100% कमी है। साउथ सेंट्रल रेलवे के 2,348 किमी रूट का निरीक्षण ही नहीं हुआ।
- डीआरडीओ ने चौड़ा-भारी कंक्रीट स्लीपर (आरटी-8527) बनाया था। अक्टूबर 2018 में रेलवे बोर्ड ने इसे मंजूरी दे दी, लेकिन जहां पटरी बदली वहां इसे नहीं बिछाया गया।
- 2017 से 2022 के बीच 890 डिरेलमेंट। इनमें 216 में हादसे का कारण पटरी खराब होना था।
[ad_2]
Source link