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अदालत
– फोटो : अमर उजाला
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि निर्दोष की रक्षा करना आस्था का बुनियादी पहलू है। वेद हो या बाइबिल और कुरान सभी कहते हैं कि 99 दोषी छूट जाएं पर एक भी निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए। गैंगस्टर मामलों में पुलिस अधिकारियों के मनमानेपन की वजह से वास्तविक दोषी छूट रहे हैं और निर्दोष शोषण का शिकार हो रहे हैं।
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इस तल्ख टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा, न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि गैंगस्टर के तहत कार्रवाई के लिए नामित पुलिस अधिकारियों और मजिस्ट्रेटों को तत्काल प्रशिक्षण के लिए भेजा जाए। ताकि, वह गैंग चार्ट बनने का गुर सीख सकें। क्योंकि, लगातार देखने को मिल रहा है कि वह गैंग चार्ट को स्वीकृति देते वक्त न्यायिक विवेक का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। इस संबंध में समय-समय पर अदालतों ने कई दिशा-निर्देश दिए। कमियों को उजागर किया, फिर भी हालात जस के तस हैं। अधिकारी उनका अनुपालन नहीं कर रहे।
कोर्ट महोबा के अब्दुल लतीफ उर्फ मुस्ताक खान समेत पांच अन्य इटावा के हेतराम मित्तल, तस्लीम, बिजनौर के ऋतिक और मैनपुरी के अनूप उर्फ अनुज की ओर से उनके खिलाफ बने गैंग चार्ट की चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। सभी ने गैंगस्टर अधिनियम 2021 के तहत पुलिस की ओर से तैयार गैंग चार्ट को चुनौती दी थी।
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