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भोपाल की एडीजे कोर्ट ने 4 दिन पहले 23 जुलाई को बहुचर्चित गैंगरेप केस में रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर आलोक मालवीय और सेफ्टी काउंसलर राजेश तिवारी को बरी कर दिया। एडीजे पल्लवी द्विवेदी के फैसले में जिक्र है कि जिस युवती ने रेलवे अफसरों पर रेप का केस
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दैनिक भास्कर ने उन सभी लोगों से संपर्क किया, जो इस युवती के जाल में फंसे थे। इसमें 4 लोगों से हमने बात की। इसमें 2 रेलवे अफसर और 2 बिजनेसमैन हैं। उन्होंने खुद के इस युवती के जाल में फंसने की कहानी बताई। ये भी कहा कि इस रैकेट में युवती अकेली नहीं है।
उसके साथ पुलिस कॉन्स्टेबल, एक वकील और कुछ अन्य लोग भी हैं जो ऐसे लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं जो उम्र दराज है और पैसे वाले हैं। उसके बाद उन्हें ब्लैकमेल करके लाखों रुपए वसूलते हैं। पीड़ितों ने ये भी बताया कि ये तो सिर्फ वो केस हैं, जो पुलिस और कोर्ट तक पहुंचे हैं। गैंग ने ऐसे कई लोगों को अपने जाल में फंसाकर पैसे वसूले हैं।
खास बात ये हैं कि पीड़ितों ने बदनामी के इस दाग को मिटाने के लिए आरोपियों के खिलाफ खुद ही सबूत जुटाए और कोर्ट के सामने पेश किए थे। पढ़िए रिपोर्ट
अब जानिए ये रैकेट कैसे लोगों को फंसाता था
पीड़ितों ने भास्कर को बताया कि इस रैकेट का मास्टर माइंड कॉन्स्टेबल रविंद्र राजपूत है। उसने यूपी और एमपी के जिन लोगों को फंसाया, उनमें से ज्यादातर को वो पहले से जानता था। पीड़ितों के मुताबिक लड़की का इस्तेमाल वह मोहरे के रूप में करता था।
पहले वह लोगों से पैसे उधार लेता था। जब उधार वापसी के लिए वह उस पर दबाव बनाते, तो वो लड़की का इस्तेमाल करता था। वह लड़की को इन लोगों को फंसाने का टारगेट देता था। नौकरी या एग्जाम दिलाने के बहाने लड़की मुलाकात करती। उसके बाद रेप का केस दर्ज कराने की धमकी देती थी।
जो लोग धमकी से ही डर जाते थे उनसे पैसे वसूल किए जाते थे। जो लोग धमकी के बाद भी पैसा नहीं देते उन पर रेप का मामला दर्ज करवाया जाता था। पीड़ितों के मुताबिक लड़की और कॉन्स्टेबल ने 7 लोगों को फंसाया जिनमें से 4 के मामले कोर्ट तक पहुंचे हैं।
भास्कर ने इन सातों से संपर्क किया उनमें से तीन ने बदनामी के डर से कुछ भी कहने से मना कर दिया। बाकी 4 लोगों ने खुलकर बात की। ये भी बताया कि कैसे उन्होंने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए लड़की के खिलाफ सबूत जुटाए।
अब सिलसिलेवार जानिए कैसे सभी लोग हनीट्रैप में फंसे
50 लाख की डिमांड, मैं 5 लाख देने तैयार था: हरिश्चंद्र पांडेय
कानपुर के रेत गिट्टी का कारोबार करने वाले हरिश्चंद्र पांडेय ने कहा-मैं कॉन्स्टेबल रविंद्र राजपूत को जानता था। वह मेरे लिए रेत-गिट्टी सप्लाई का काम करता था। एक दिन उसने मुझसे ढाई लाख रु. उधार लिए और वह गायब हो गया। एक साल बाद जब मेरा उससे कॉन्टैक्ट हुआ तो मैंने उससे पैसे मांगे। उसने कहा एक महीने में दे दूंगा।
पांडेय बताते हैं कि 12 अगस्त 2020 को रविंद्र ने कॉल किया और कहा कि वह छतरपुर में है। उसकी भतीजी एग्जाम देने कानपुर आ रही है। वह उसके रुकने की व्यवस्था कर दें। मैंने एक होटल में उसके ठहरने की व्यवस्था की। मैं होटल में पहुंचा तो देखा कि लड़की जिस गाड़ी से पहुंची है वह कॉन्स्टेबल रविंद्र की ही गाड़ी है।
मुझे शक हुआ तो मैंने जो कमरा लड़की के लिए बुक करवाया था उसे कैंसिल कर दिया। वह मेरे घर पहुंची और पत्नी के सामने रेप केस में फंसाने की धमकी देते हुए 50 लाख रु. मांगे। मैंने पैसे देने से इनकार किया तो उसी रात थाने में जाकर मेरे खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवा दी।
मुझे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। ढाई महीने तक जेल में रहने के बाद मैं जमानत पर छूटा। लड़की ने मुझसे फिर पैसों की डिमांड की इस बार 8 लाख रु. मांगे। वे कहते हैं कि बदनामी से बचने के लिए मैंने 5 लाख रु. में डील कर ली थी।
दो दिन बाद मुझे पता चला कि भोपाल में इस लड़की ने दो और लोगों को फंसाया है। तब मैंने तय किया कि मैं पैसा नहीं दूंगा बल्कि कोर्ट में खुद को निर्दोष साबित करूंगा। मैंने इस लड़की की पूरी डिटेल निकाली तो पता चला कि छतरपुर में एक स्टोन क्रशर मालिक को भी वह इसी तरह केस में फंसा चुकी है।
मुझे लड़की ने दो बार फंसाया, मैंने उसे 4 लाख रु. लेते हुए एक्सपोज किया: कुलदीप दुबे
हरिश्चंद्र ने छतरपुर के जिस स्टोन क्रशर संचालक का जिक्र किया था उसका नाम कुलदीप दुबे है।कुलदीप ने कहा कि लड़की ने मुझे दो बार फंसाया। कॉन्स्टेबल रविंद्र राजपूत ने ही ये साजिश रची थी, क्योंकि मैंने उसे ढाई लाख रु. दिए थे जिसे वापस लेने के लिए मैंने उस पर दबाव बनाया था।
कुलदीप ने कहा रविंद्र ने लड़की को मेरा नंबर दिया था। वह मुझसे रोज बात करती थी। एक दिन वह छतरपुर आई, मैं उससे कॉफी शॉप में मिला। वहां उसने मेरे साथ कुछ तस्वीरें ली। एक दिन पता चला कि मेरे खिलाफ उसने रेप का मामला दर्ज करवा दिया है। मैं पुलिस से मिला और बताया कि लड़की मुझे फंसा रही है।
खुद को साबित करने के लिए मैंने पुलिस से कुछ वक्त मांगा। मैंने लड़की से बात की तो उसने मुझसे केस खत्म करने के लिए 20 लाख रु. मांगे थे। ये रिकॉर्डिंग मैंने पुलिस को भेज दी। इसके बाद लड़की से 10 लाख रु. में डील की।
मैंने कहा- 4 लाख अभी लो, बाकी 6 लाख बाद में देता हूं। इस दौरान मेरे पास एक वकील मानसिंह राजपूत के भी कॉल आए थे। लड़की ने पैसा लेने के लिए मुझे वकील के घर बुलाया वहां कॉन्स्टेबल रविंद्र राजपूत भी था। मैंने 4 लाख रु. देने का वीडियो बना लिया और पुलिस को भेज दिया।
पुलिस ने सभी सबूतों को देखते हुए मेरे खिलाफ दर्ज नहीं किया, बल्कि मेरे कहने पर पुलिस ने लड़की, कॉन्स्टेबल रविंद्र राजपूत और वकील के खिलाफ अवैध वसूली का मामला दर्ज किया। इस केस में लड़की को सजा हुई, वह 11 महीने बाद जमानत पर रिहा हुई। कॉन्स्टेबल रविंद्र राजपूत को बर्खास्त किया गया।
एग्जाम देने के लिए भोपाल आई और मुझे फंसा दिया: राजेश तिवारी
भोपाल में रहने वाले रेलवे के सेफ्टी काउंसलर राजेश तिवारी ने कहा कि साल 2020 में मेरे पास फेसबुक पर लड़की ने फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी। मैंने रिक्वेस्ट एक्सेप्ट की, मेरी उससे बातचीत होने लगी। तीन महीने बाद लड़की ने मुझे कॉल किया और कहा कि वो एग्जाम देने भोपाल आ रही है।
उस समय कोरोना काल था इसलिए मैं उसे लेने स्टेशन गया। मैंने उसे प्लेटफॉर्म नंबर 6 से उसे पिक किया और प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर ड्रॉप कर दिया। मैं वापस अपने घर आ गया। कुछ देर बाद जीआरपी थाने से मुझे कॉल आया कि एक लड़की ने आपके खिलाफ रेप की शिकायत दर्ज करवाई है।
पुलिस ने कहा है कि आपने रेलवे की डॉरमेटरी में उसे शराब पिलाई। कोल्ड ड्रिंक में नशे की गोलियां डालकर खिलाई और जब वह बेहोश हो गई तब उसके साथ रेप किया। ये सुनकर मेरे होश उड़ गए। मैंने पुलिस को हकीकत बताने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया था और मैं जेल चला गया।
मुझे तो पुलिस ने फंसाया, मैंने तो लड़की देखा तक नहीं था: आलोक मालवीय
राजेश तिवारी के साथ जीआरपी ने रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर आलोक मालवीय को भी आरोपी बनाया था। लड़की ने अपनी शिकायत में कहा था कि राजेश तिवारी के साथ आलोक मालवीय ने भी उसके साथ रेप किया। भास्कर से बातचीत में आलोक ने कहा कि मैं तो लड़की को जानता तक नहीं था।
मेरे खिलाफ तो पुलिस ने ही साजिश रची थी। उनसे पूछा कि पुलिस क्यों साजिश रचेगी तो बोले- मैंने केस दर्ज करने के एक घंटे पहले जीआरपी के तत्कालीन टीआई को कहा था कि आपके कर्मचारी अवैध तरीके से रेलवे क्वार्टर में रह रहे हैं। अवैध तरीके से बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं। मैं बिजली कनेक्शन काटने की कार्रवाई करूंगा।
टीआई ने उस वक्त कहा था कि बाद में देखते हैं और फिर मेरे खिलाफ ये मामला दर्ज हो गया। मेरे खिलाफ जीआरपी ने पूरी साजिश की। एफआईआर में नाम दर्ज करवाया। लड़की ने कोर्ट में अपने बयान में कहा था कि पुलिस ने नाम लिखने के लिए कहा था।
एक एफिडेविट बना सभी पीड़ितों की कोर्ट से रिहाई का सबूत
राजेश तिवारी बताते हैं कि जब वह और उनके दोस्त आलोक मालवीय जेल में थे। तब उनके परिजन ने लड़की की पूरी कुंडली निकाली। ये पता चला कि लड़की पहले भी कई लोगों पर मामला दर्ज करवा चुकी है। परिजन छतरपुर में कुलदीप दुबे से भी मिले और कानपुर में हरिश्चंद्र पांडेय से भी मुलाकात की।
इसके बाद कुलदीप दुबे और पांडेय ने यूपी के उरई में एक्साइज डिपार्टमेंट में काम करने वाले एस के गौतम से मिले। वे भी इस लड़की का शिकार हो चुके थे। गौतम ने उन्हें एक एफिडेविट दिया। जिसमें लड़की ने लिखा था कि पैसों की जरूरत के कारण उसने गौतम के साथ सहमति से संबंध बनाए थे और इसके एवज में साढ़े तीन लाख रु. लिए हैं।
अब वह और पैसे की मांग नहीं करेगी। तिवारी बताते हैं कि इसी एफिडेविट की वजह से हम कोर्ट में साबित कर पाए कि लड़की ने साजिश के तहत हमें ब्लैकमेल किया था।एफिडेविट
ये वो एफिडेविट है जिसे पीड़ितों ने कोर्ट के सामने पेश किया और दावा किया कि लड़की ने साजिश के तहत उन्हें फंसाया।
लड़की से भास्कर का संपर्क नहीं हो सका
सभी पीड़ितों से बात करने के बाद दैनिक भास्कर ने रेप केस करने वाली युवती का पक्ष जानने की कोशिश की साथ ही बर्खास्त कॉन्स्टेबल रविंद्र राजपूत से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन संपर्क नहीं हुआ।
लड़की को सोशल मीडिया के जरिए भी संपर्क किया मगर जवाब नहीं मिला। लड़की के सोशल मीडिया अकाउंट और पीड़ितों के बयान से पता चला है कि वह अभी यूपी के एक कॉलेज से नर्सिंग का कोर्स कर रही है।
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