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सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों को नेमप्लेट लगाने का आदेश देने के मामले में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। इसी जवाब पर आज यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। यूपी सरकार ने अपने जवाब मे कहा- कांवड़ यात्रा के
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सरकार ने अपने जवाब में कहा- इन निर्देशों के पीछे मकसद था कि कांवड़ियों को ये पता चल सके कि वो कौन सा भोजन ले रहे हैं, ताकि उनकी धार्मिक भावनाएं भूल से भी आहत न हों। कांवड़ यात्रा में प्याज-लहसुन का इस्तेमाल झगड़े की वजह बनता रहा है। इसलिए इन निर्देशों का मकसद कांवड़ यात्रा को शांतिपूर्ण संपन्न कराना है। सरकार के ये निर्देश धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते। ये निर्देश सबके लिए हैं।
हमने कुछ बैन नहीं किया है
सरकार ने कहा- पुलिस अधिकारियों ने तीर्थ यात्रियों की चिंताओं को दूर करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कार्रवाई की। राज्य ने खाद्य विक्रेताओं के व्यापार या व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध या निषेध नहीं लगाया है (मांसाहारी भोजन बेचने पर प्रतिबंध को छोड़कर)। दुकानदार अपना व्यवसाय सामान्य रूप से करने के लिए स्वतंत्र हैं।
सरकार ने कहा- मालिकों के नाम और पहचान प्रदर्शित करने की आवश्यकता पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कांवड़ियों के बीच किसी भी संभावित भ्रम से बचने के लिए एक अतिरिक्त उपाय मात्र है।
सरकार ने याचिका का विरोध किया
यूपी सरकार ने इस विवाद में दाखिल की गई याचिकाओं का विरोध किया। सरकार ने कहा- प्रेस विज्ञप्ति पूरी तरह से कांवड़ यात्रा के शांतिपूर्ण समापन को सुनिश्चित करने के लिए जनहित में जारी की गई थी। हर साल 4.07 करोड़ से अधिक कांवड़िया भाग लेते हैं।
सरकार ने कहा – हम किसी भी धर्म के लोगों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध होने के नाते, प्रत्येक व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करता है, चाहे उसका धर्म कुछ भी हो। राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए हमेशा कदम उठाता है कि सभी धर्मों के त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से मनाए जाएं।
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