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2017 में नैक से कॉलेज को बी-प्लस ग्रेड मिला था
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जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज प्रशासन इन दिनों नैक ग्रेडिंग की तैयारी कर रहा है। नैक मूल्यांकन में बेहतर ग्रेडिंग के लिए बेहतर आधारभूत संचरना का होना सबसे महत्वपूर्ण होता है। लेकिन इस कॉलेज के चारों प्रमुख भवन (प्रशासनिक, एकेडमिक, वोकेशनल व लाइब्रेरी) जर्जर अवस्था में हैं। किसी का छज्जा टूटकर गिर रहा है तो किसी की दीवारों में लंबी दरार आ गई है। इस कॉलेज के कुछ भवन 50 साल तो कुछ 10 साल पहले बने हैं, लेकिन सबकी स्थिति एक जैसी है।
पिछले 11 महीनों में यहां छह बार छज्जा अथवा छत का प्लास्टर गिर चुका है। इसमें कुछ स्टूडेंट्स को हल्की चोट भी आई है। इस कारण स्टूडेंट्स इन दिनों डर के साए में क्लास करने पहुंच रहे हैं। डर का आलम ऐसा है कि सात से अधिक कमरों में हमेशा के लिए तालाबंदी कर दी गई है। इसमें लाइब्रेरी में टीचर्स रीडिंग रूम और इंटरनेट जोन शामिल हैं। टीचर्स रीडिंग रूम में 40 फीसदी छत का प्लास्टर टूटकर गिर चुका है। शेष गिरने की स्थिति में है। इस वजह से अब यहां कोई नहीं आता। ऐसी स्थिति में नैक की टीम आती है तो कॉलेज को सी-ग्रेड ही मिलना तय है। 2017 में इस कॉलेज को नैक से बी-प्लस ग्रेड हासिल हुआ था।
क्षेत्रफल के हिसाब से केयू का सबसे छोटा कॉलेज, लेकिन स्टूडेंट्स 4 हजार से अधिक
जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज की बात करें तो एरिया (क्षेत्रफल) के हिसाब से यह कोल्हान विवि का सबसे छोटा कॉलेज है, जो डेढ़ एकड़ में फैला है। यहां 4 हजार से अधिक स्टूडेंट्स नामांकित हैं। कॉलेज के पास नए भवन के लिए खाली जगह नहीं है। कॉलेज की आधारभूत संरचना को सही करने के लिए कॉलेज प्रशासन दो साल में तीन से अधिक बार कोल्हान विश्वविद्यालय व उच्च शिक्षा विभाग को पत्र लिख चुका है। इसमें भवनों की मरम्मत के साथ नए भवनों की मांग की गई है।
अंदर जाने में लगता है डर, एक दिन बड़ा हादसा होगा
इस कॉलेज का भवन इतना जर्जर है कि आए दिन इसका कोई न कोई हिस्सा टूटकर गिर जाता है। अब हम छात्रों में इसके अंदर जाने में भी डर लगता है। एक न एक दिन कोई बड़ा हादसा होगा, तब जाकर विवि व उच्च शिक्षा विभाग की नींद खुलेगी। -हेमंत पाठक, छात्र नेता, जेसीएम
भवन की मरम्मत के लिए कोई राशि नहीं मिली
आधारभूत संरचना की खराब स्थिति की जानकारी उच्च शिक्षा विभाग को कई बार दी गई है। अभी तक नए भवन या पुराने भवन की मरम्मत के लिए कोई राशि नहीं मिली है, जबकि हम नैक की तैयारी कर रहे हैं। इसका असर नैक ग्रेडिंग पर भी पड़ेगा। -डॉ एसपी महालिक, प्रिंसिपल, जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज
लाइब्रेरी की खिड़कियों की कांच टूटी, 60% छत डैमेज
इस कॉलेज में सबसे खराब स्थिति लाइब्रेरी की है। यहां दर्जनों स्टूडेंट्स हर दिन बैठकर पढ़ाई करते हैं। लेकिन इस भवन की छत का 60 प्रतिशत हिस्सा डैमेज है तो कई हिस्से का छज्जा टूटकर गिर चुका है। इसकी वजह से सरिया नजर आने लगा है। खिड़कियों के कांच भी टूट चुके हैं।
कॉलेज का कब-कब गिरा छज्जा
वर्कर्स कॉलेज के भवन के खिड़की दरवाजे तक टूट चुके हैं, जगह-जगह हो रहा सीपेज।
एकेडमिक भवन: निर्माण 10 साल पहले हुआ है। दीवारों में लंबी दरारें दिख जाएंगी। यही नहीं, भवन की छत का छज्जा भी टूटकर गिर रहा है। पिछले साल इसका एक हिस्सा टूट कर गिरने से दो स्टूडेंट्स को हल्की चोट आई थी। इसके बाद भी न तो भवन की मरम्मत हुई आैर न ही नए भवन की स्वीकृति मिली।
{वोकेशनल भवन: यह भवन भी 10 साल पुराना है, लेकिन इसकी स्थिति खराब हो चुकी है। इसके ऊपरी मंजिल के एक हिस्सा का छज्जा पूरी तरह टूटकर गिर चुका है। दीवारों में सीलन से दरारें आ गई हैं। एक सप्ताह पहले ही इस छत का छज्जा गिरने से स्टूडेंट्स बाल-बाल बचे थे।
प्रशासनिक भवन: 50 साल से अधिक पुराना है। यही वजह है कि इसकी स्थिति सबसे खराब है। इस भवन का अधिकतर हिस्सा क्षतिग्रस्त है। इस वजह इस भवन के 7 कमरों में तालाबंदी कर दी गई है। भवन की दीवारों में एक इंच मोटी दरारें दिखती हैं। इसके बावजूद यहां अलग-अलग कमरों में इंटरमीडिएट व स्नातक स्तर की कक्षाएं संचालित हो रही हैं।
जानें क्या है कॉलेज के भवनों की स्थिति
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