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अंतरराज्यीय किडनी रैकेट की जांच में नए-नए खुलासे हो रहे हैं। दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की टीम अब उन पांच लोगों की तलाश में जुटी है जो सोशल मीडिया के जरिये किडनी डोनर के लिए आरोपियों के संपर्क में थे। जांच में खुलासा हुआ है कि 30 से ज्यादा किडनी के मरीज और उनके परिजन सोशल मीडिया के जरिये आरोपियों से जुड़े थे। छानबीन के दौरान पुलिस के सामने एक और डॉक्टर की भूमिका संदेह के घेरे आई है। साथ ही पुलिस 15 आरोपियों के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल से संदिग्धों की जानकारी भी जुटा रही है।
दरअसल, क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़े इस गिरोह के सदस्य रिसीवर (मरीज) से लेकर किडनी डोनर तक की व्यवस्था के लिए सोशल मीडिया नेटवर्क का ही खासतौर से सहारा लेते थे। इस कारण गिरोह का अपना सोशल मीडिया नेटवर्क पर एक लंबा नेटवर्क है। पुलिस ने सोशल मीडिया के जरिये और ऐसे विभिन्न प्लैटफॉर्म पर इस्तेमाल किए जा रहे नंबरों के संपर्क में आए पांच लोगों की जानकारी संबंधित एजेंसियों से मांगी है, ताकि इस गिरोह के नेटवर्क से जुड़ी आगे की कड़ियों तक पहुंचा जा सके।
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122 ग्रुप से जुड़े थे आरोपी: किडनी मरीजों से संपर्क के लिए इस गिरोह के आरोपी सोशल मीडिया पर 122 अलग-अलग ग्रुप से जुड़े थे और आपस में संपर्क करने के लिए इन्होंने 26 ई-मेल आईडी बना रखे थे। इस कारण पुलिस को इतने बड़े नेटवर्क की जांच के लिए अलग-अलग टीमें लगानी पड़ी हैं।
जांच में सामने आया कि आरोपियों के सोशल मीडिया नेटवर्क से महज कुछ महीनों के भीतर ही करीब 30 से ज्यादा किडनी के मरीज और उनके परिजन जुड़ गए थे। इसमें भी कुछ बिचौलियों के शामिल होने का पता चला है। पुलिस जांच कर यह पता लगाना चाहती है कि ये मरीजों और परिजनों के संपर्क में कैसे थे? कहीं ये भी तो डोनर मुहैया कराने वाले नेटवर्क का हिस्सा नहीं थे?
संदिग्धों की जांच जारी
गिरोह के सदस्यों से अब तक की पूछताछ में यह साफ हो गया है कि 15 आरोपियों में से मोहम्मद हनीफ शेख, चीका प्रसन्नाथ, तेज प्रकाश और रोहित खन्ना का काम किडनी बेचने वालों की तलाश करना था। इसमें विजय, हनीफ शेख और चीका प्रसन्नाथ ने तो खुद भी अपनी किडनी बेच दी है, जबकि तेज प्रकाश ने अपनी पत्नी के लिए किडनी खरीदी थी। इसके बाद ये सभी इस गिरोह में शामिल हुए थे।
डोनर मुहैया कराने वालों को 50 हजार रुपये मिलते थे
क्राइम ब्रांच की पूछताछ में आरोपियों ने यह खुलासा किया है कि इसमें से जो भी सिर्फ डोनर मुहैया कराने का काम करता था, उसे 50 हजार रुपये मिलते थे। इसके बाद वह दूसरे डोनर की तलाश में जुट जाता था। दरअसल, जिन गरीब तबके के लोगों को पैसों की जरूरत होती थी, यह गिरोह उन्हें किडनी दान करने के बदले में मोटी रकम दिलाने का लालच देता था।
दिल्ली और नोएडा के अस्पतालों से फाइल मिली
किडनी रैकेट की जांच के लिए दिल्ली-नोएडा के अस्पतालों से जुड़ी सभी फाइल पुलिस को मिल गई है। दरअसल पुलिस ने इन दोनों ही अस्पतालों से गिरोह की ओर से कराए गए किडनी प्रत्यारोपण से जुड़ी फाइल मांगी थी। वहीं, पुलिस ने इस मामले में स्क्रीनिंग कमेटी से जुड़े लोगों के दस्तावेज बनाने और उसकी जांच की जिम्मेदारी संभालने वालों को भी जांच के लिए बुलाया है। छानबीन के दौरान पुलिस के सामने एक और डॉक्टर की भूमिका संदेह के घेरे आई है।
क्राइम ब्रांच ने 34 मरीजों की अस्पतालों से जानकारी मांगी
क्राइम ब्रांच ने गिरोह की ओर से प्रत्यारोपित कराए गए किडनी के सभी 34 मरीजों की फाइल अलग-अलग अस्पतालों से मांगी है। इतना ही नहीं दिल्ली, यूपी, पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात और हरियाणा सहित छह राज्यों के करीब 11 अस्पतालों में हुए प्रत्यारोपण मामले से जुड़ी स्क्रीनिंग कमेटी और वहां के सीएमओ से भी पुलिस ने जानकारी मांगी है। दरअसल जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि कई फाइलों में परिजनों की फोटो लगाकर स्क्रीनिंग कमेटी को झांसे में लिया गया है। इसके लिए कमेटी के सामने परिवार के लोगों को पेश करने के लिए बकायदा ट्रेनिंग भी दी गई है।
पुलिस यह पता लगाना चाहती है कि क्या इस गड़बड़झाले में कमेटी का कोई सदस्य तो शामिल नहीं था। इसके मद्देनजर कमेटी के सदस्यों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। दरअसल किडनी रैकेट से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी के बाद अब इससे जुड़ी हर कड़ी की जांच की जा रही है। इसके तहत जहां सीएमओ को पत्र लिखकर कमेटी और इससे जुड़े सदस्यों के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी गई है।
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