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पूर्वी सिंहभूम जिले के 22 स्कूलों में 5-5 लाख रुपए की खेल सामग्री सरकार ने भेज दी है। इनमें तीन सीएम एक्सीलेंस स्कूल व 19 आदर्श विद्यालय शामिल हैं। इनमें से 8 स्कूलों में खेल का मैदान नहीं है, जबकि 10 में खेल शिक्षक नहीं हैं। यही नहीं, स्कूलों में क्
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स्कूल प्रबंधनों को डर है कि पड़े-पड़े सामान खराब ना हो जाए। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने स्कूलों को आउटडोर और इंडोर दोनों तरह के गेम्स के सामान भेजे हैं। आउटडोर में क्रिकेट, खो-खो, एथलेटिक्स, वॉलीबॉल जैसे खेलों के सामान हैं। वहीं इंडोर में टेबल टेनिस, शतरंज, लूडो, कैरम बोर्ड, डंबल, हूप्स, स्किपिंग रोप, डार्ट बोर्ड आदि सामग्रियां हैं। स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि मैदान और खेल शिक्षक के अभाव में पहले से स्कूल में रखे ढेरों सामानों का बेहतर उपयोग नहीं हो पाता है। ऐसे में जरूरी है कि स्कूल में खेल सामग्रियों से पहले खेल मैदान और खेल शिक्षक की व्यवस्था होनी चाहिए थी।
खेल शिक्षकों के 70 प्रतिशत पद रिक्त
अगर पूर्वी सिंहभूम में खेल शिक्षकों की बात करें तो जिले में कुल 130 पद हैं। लेकिन सिर्फ 40 खेल शिक्षक ही कार्यरत हैं। ऐसे में खेल शिक्षकों का 70 प्रतिशत पद रिक्त हैं। जबकि विभागीय निर्देश के अनुसार हर स्कूल के लिए खेल का कैलेंडर जारी किया गया है। इसके अनुसार हर महीने अलग अलग खेल की गतिविधियों को आयोजित करने की बात कही गयी है। लेकिन खेल शिक्षक नहीं होने की वजह से यह नहीं हो पाता है।
खेल के लिए स्कूलों में भेजे गए ये सामान
फुटबॉल : 2 नेट, 10 फुटबॉल, 2 पेयर, गोल कीपिंग ग्लब्स, 32 पेयर शिन गार्ड, 2 सेट फुटबॉल जर्सी, 32 फुटबॉल बूट।
हॉकी : 2 नेट, 34 हॉकी स्टिक, 17 हॉकी बॉल, 2 सेट गोल कीपर किट, 17 पेयर शिन गार्ड, 2 सेट हॉकी जर्सी।
वॉलीबॉल : 2 वॉलीबॉल नेट, 2 वायर, 2 एंटीना, 10 वॉलीबॉल।
कबड्डी व खो-खो : 24 जर्सी।
एथलेटिक्स : 6 शॉटपुट, जेवेलिन बैंबू 4 सेट, जेवेलिन एल्युमिनियम 2 सेट, 3 डिस्कस वुड, डिस्कस रबर 3 सेट आदि सामान हैं।
आदिवासी प्लस टू हाई स्कूल सीताराम डेरा।
सीताराम डेरा आदिवासी प्लस टू स्कूल (आदर्श विद्यालय) के पास आधा एकड़ जमीन है। इसमें 70 प्रतिशत से अधिक हिस्से पर भवन बन चुका है। ऐसे में यहां खेल मैदान के लिए जगह नहीं है। स्थिति यह है कि एसेंबली में जब नामांकित 90 प्रतिशत से अधिक बच्चे पहुंच जाते हैं तो उन्हें सड़क पर खड़ा करना पड़ता है। इसमें कई तरह की खेल सामग्रियां आ चुकी हैं। यही स्थिति अपग्रेड गवर्नमेंट हाईस्कूल लक्ष्मीनगर जमशेदपुर व हरिजन मवि भालूबासा का है, जहां स्कूल के पास खेल मैदान के लिए जगह नहीं है।
शहरी क्षेत्र के अधिकतर स्कूलों में खेल मैदान के लिए जगह नहीं, एसेंबली में भी होती है मुश्किल
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने स्कूलों को आउटडोर और इंडोर दोनों तरह की खेल सामग्री भेजी
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