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– परिसर में 94 मूर्तियां, 106 स्तंभ, 82 भित्तिचित्र, 31 प्राचीन सिक्के मिले
– गणेश, ब्रह्मा और उनकी पत्नियां, नरसिंह और भैरव की छवियां भी मिलीं
– एएसआई ने भोपाल उच्च न्यायालय को सौंपी सर्वेक्षण रिपोर्ट
भोपाल, श्रुति तोमर।
धार के भोजशाला मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट सोमवार को मध्य प्रदेश Ḥहाईकोर्ट को सौंप दी। इसमें एएसआई ने बताया कि भोजशाला मंदिर और कमल मौला मस्जिद का निर्माण मंदिरों के अवशेषों से किया गया था। यह भी कहा कि स्थल पर मौजूदा मस्जिद सदियों बाद बनी। इस परिसर से मूर्तियां, प्राचीन सिक्के और शिलालेख भी मिले।
एएसआई ने करीब तीन माह के सर्वेक्षण करने के बाद उच्च न्यायालय में 150 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी। सर्वेक्षण रिपोर्ट में दावा किया गया कि 94 मूर्तियां, 106 स्तंभ, 82 भित्तिचित्र, 31 प्राचीन सिक्के, 150 शिलालेख, जिनमें गणेश, ब्रह्मा और उनकी पत्नियां, नरसिंह और भैरव की छवियां शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी संकेत दिया गया है कि यह देवी सरस्वती को समर्पित मंदिर हो सकता है, जैसा हिंदू पक्ष दावा करते रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैज्ञानिक जांच, सर्वेक्षण और पुरातात्विक उत्खनन से प्राप्त अवशेषों के अध्ययन और विश्लेषण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना पहले के मंदिरों के हिस्सों से बनाई गई थी। ये शिलालेख, मूर्तियां और अन्य अवशेष बताते हैं कि प्राचीन संरचना को बदला गया। मालूम हो कि न्यायालय ने सर्वेक्षण का यह आदेश तब दिया जब एक हिंदू समूह द्वारा स्थल पर नमाज पढ़ने पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका दायर की गई थी।
हिंदू पक्ष ने सराहा
उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने वाले हिंदू फॉर जस्टिस समूह के सदस्य आशीष गोयल ने कहा कि हमें यकीन है कि काशी और अयोध्या की तरह भोजशाला को भी अपनी मूल पहचान वापस मिल जाएगी। वहीं, मुस्लिम संगठनों ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय अंतिम निर्णय लेगा।
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सोमवार को फिर सुनवाई
इससे पहले चार जुलाई को हाईकोर्ट ने एएसआई को आदेश दिया था कि सर्वेक्षण की पूरी रिपोर्ट 15 जुलाई तक पेश करे। 11वीं सदी के इस स्मारक के परिसर में एएसआई ने लगभग तीन महीने तक सर्वेक्षण किया। मामले में अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी।
क्या है विवाद
भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है। यह परिसर एएसआई द्वारा संरक्षित है। हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस नामक संगठन की अर्जी पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 11 मार्च को एएसआई को इस परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। इस पर एएसआई ने 22 मार्च को सर्वेक्षण शुरू किया।
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सर्वेक्षण पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट सहमत
सुप्रीम कोर्ट ने भी सोमवार को भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के खिलाफ याचिका सूचीबद्ध करने के विचार पर सहमति जताई। मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी द्वारा शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई है, जिसमें मध्यप्रदेश होईकोर्ट के 11 मार्च के आदेश को चुनौती दी गई है। सोमवार को शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भाटी की पीठ में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि एएसआई ने अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है। यह भी बताया कि हिंदू पक्ष ने इस लंबित मामले में अपना जवाब भी दाखिल कर दिया है।
बिना अनुमति कार्रवाई पर है रोक
एक अप्रैल को शीर्ष अदालत ने वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। साथ ही कहा था कि सर्वेक्षण के नतीजों पर उसकी अनुमति के बिना कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। पीठ ने कहा था कि कोई भी भौतिक खुदाई ऐसी नहीं की जानी चाहिए, जिससे परिसर का चरित्र बदल जाए।
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