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सीहोर में खरीफ फसलों की बोवनी को एक पखवाड़े से भी ज्यादा बीत चुका है। बारिश में देरी के चलते अब किसानों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं। कृषि को उन्नत और किसान को समृद्ध बनाने के उदेश्य से शासन तमाम योजनाएं संचालित कर रहा है, बावजूद इसके सोयाबीन फसलों पर बीम
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गौरतलब है कि जिले में तीन लाख 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन बोवनी की गई है। सोयाबीन उत्पादन के लिए क्षेत्र प्रसिद्ध है लेकिन इस बार किसानों की फसलों पर संकट मंडरा रहा है, फसलों पर कीटव्याधी और अन्य रोगों का खतरा है लेकिन किसानों का कहना है कि उन्हें सही जानकारी देने वाला कोई नहीं।
कृषि विस्तार अधिकारी किसान के खेतों तक नहीं आते, कभी फसलों का निरीक्षण नहीं करते। ऐसे में अब यदि किसान की फसल रोगग्रस्त होती है तो उत्पादन पर भी असर पड़ने की आशंका है। ऐसे में किसान का नुकसान का जिम्मेदार कौन होगा।
समय पर आया बीज किसानों से नहीं किया संपर्क
इन दिनों जिले में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों और उपसंचालक कृषि के बीच में फसल प्रदर्शन किट को लेकर खींचतान की स्थिति बनी हुई है। एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं लेकिन इस बीच नुकसान तो किसान की फसल का होना है।
कृषि विस्तार अधिकारी कह रहे हैं कि क्षेत्र में बोवनी के बाद सब्सिडी वाला बीज और किट आए हैं जबकि बड़े अफसरों का कहना है कि 18 जून को ही विकासखंडों में सोयाबीन बीज और किट आ चुके थे। लेकिन कृषि विस्तार अधिकारियों ने क्षेत्र के किसानों से संपर्क नहीं किया और उनको उचित सलाह नहीं दी।
विभाग के बड़े अफसरों फसलों में कीटव्याधी और पीला पड़ने का जिम्मेदार कृषि अधिकारियों को मान रहे हैं। इस संबंध में डीडीए केके पांडे का कहना है कि मामला जानकारी में आया है, आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
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