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IPS केके बिश्नोई, वो युवा अफसर, जिनका करियर अभी 6 साल का है। लेकिन, हौसले बुलंद हैं। मेरठ, मुजफ्फरनगर और गोरखपुर में माफिया की अवैध कोठियों पर बुलडोजर चला, तो बिश्नोई ने मलबा तक नहीं उठने दिया। यूपी के सबसे खूंखार अपराधियों में शामिल बदन सिंह बद्दो,
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2018 बैच के IPS बिश्नोई पिछले 27 महीने से गोरखपुर के एसपी सिटी हैं। वह इतने इंटेलिजेंट हैं, जिन्हें विदेश से पढ़ाई के लिए 40 लाख की स्कॉलरशिप मिली। वर्ल्ड की टॉप-2 यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री हासिल की। कई नामचीन कंपनियों ने उन्हें ऑफर दिया। लेकिन, खाकी वर्दी के जुनून के आगे सभी पैकेज से हाथ जोड़ लिए। कौन हैं केके बिश्नोई? कैसी है उनकी लाइफ स्टाइल? अब तक की उपलब्धियां क्या हैं?
दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज ‘खाकी वर्दी’ में आज IPS केके बिश्नोई की कहानी 5 चैप्टर में पढ़ेंगे…
राजस्थान के बाड़मेर जिला मुख्यालय से 65 किमी दूर दोहरीमन्ना गांव पड़ता है। यहां किसान सुजानाराम के घर 1 जनवरी, 1994 को बेटे ने जन्म लिया। नाम रखा गया- कृष्णा। लेकिन जैसे ही गांव के प्राथमिक विद्यालय में एडमिशन हुआ, तो नाम लिखा गया कृष्ण कुमार। कृष्ण कुमार बिश्नोई अपने 6 भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। पिता सुजानाराम संपन्न किसान हैं और मां गंगा देवी गृहिणी।
बिश्नोई बताते हैं- मेरी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राइमरी स्कूल में हुई। गांव में घर से करीब एक किमी की दूरी पर प्राइमरी और जूनियर स्कूल है। गांव के बच्चों के साथ पैदल स्कूल जाते थे। पिता किसान और व्यापारी हैं, तो अपने भाइयों के साथ खेत देखने चला जाता था। कई बार कपड़े मिट्टी में सन जाते थे। इस पर पिता बस यही कहते- यह माटी है, जितने ही कपड़े इसमें सनते हैं, उतनी ही किसान की मेहनत और पहचान समझी जाती है। बड़ा हुआ, तो पिता के साथ खेती के काम में भी हाथ बंटाना शुरू कर दिया।
गांव के सरकारी विद्यालय से 8वीं में जिले का टॉपर बना। यह सुनकर पिता और मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। एक दिन पिता ने कहा- अब कक्षा- 9 में पढ़ाई के लिए बेटे को बाहर भेजूंगा। उसके बाद सीकर के प्रिंस स्कूल में एडमिशन ले लिया। साल 2008 में प्रथम श्रेणी में हाईस्कूल पास किया। 2010 में केंद्रीय विद्यालय-1 वायुसेना जोधपुर से 12वीं पास किया।
बिश्नोई बताते हैं- 12वीं करने के बाद मैं दिल्ली चला गया और सेंट स्टीफन कॉलेज से 2013 में BA किया। यह देश के सबसे नामचीन कॉलेजों में से एक है। यहीं से मेरी विदेश से पढ़ाई करने की इच्छा हुई। लेकिन मुझे घर से पैसा नहीं चाहिए था। मैं चाहता था, अपनी मेहनत से पढ़ाई करूं। मैंने फ्रांस में स्टडी के लिए स्कॉलरशिप का फॉर्म भरा। इसमें मेरा सिलेक्शन भी हो गया। फ्रांस सरकार ने मुझे 40 लाख रुपए की स्कॉलरशिप दी।
उस समय स्कॉलरशिप पाने वाला इकलौता भारतीय था। मेरा सिलेक्शन पेरिस स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स के लिए हुआ। यहां 2015 में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा में मास्टर डिग्री हासिल की। इसके बाद फ्लेचर स्कूल ऑफ एंड डिप्लोमेसी से भी पढ़ाई की। फिर 6 महीने US में रिसर्च की।
इसके बाद मेरा सिलेक्शन यूनाइटेड नेशन के ट्रेड सेंटर में कंसल्टेंट ग्रुप में बतौर सलाहकार हो गया। मुझे यहां 30 लाख का सालाना पैकेज मिला। यहां करीब एक साल तक काम किया। लेकिन, मन में यही था कि सफर यहां तक नहीं होना चाहिए। मुझे और पढ़ाई करनी थी। एक दिन घर में फोन किया और कहा- मैं आ रहा हूं, मुझे अपने घर में ही पढ़ाई करनी है। अभी मुझे और पढ़ना है। घरवाले भी खुश हो गए।
इसके बाद मैंने JNU में दाखिला लिया। यहां रिसर्च के लिए मेरी पूरे देश में पहली रैंक आई। यहां मैंने चीन से संबंधित विषय पर एम फिल की। इसके बाद 23 साल की उम्र में विदेश मंत्रालय जॉइन कर लिया। अंडर सेक्रेटरी के लेवल का काम मिला। इस दौरान विदेश सेवा संस्थान में 8 देशों के लिए एक्सपर्ट के तौर पर ट्रेनिंग दी। लेकिन तभी मन में IPS बनने का विचार आया। मैंने ठान लिया कि अब UPSC का एग्जाम देना है।
मैंने खुद से यह भी प्रॉमिस किया कि इस एग्जाम के लिए सेल्फ स्टडी करूंगा। इसके लिए कोई कोचिंग नहीं लूंगा। पहली बार बिना तैयारी मैंने एग्जाम दिया, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। दूसरे प्रयास में UPSC क्रैक किया और मुझे 2018 बैच मिल गया। बिना कोचिंग 24 साल की उम्र में IPS अधिकारी बन गया।
कृष्ण कुमार बिश्नोई बताते हैं- साल 2019 में मेरी पहली पोस्टिंग मेरठ में हुई। जब मेरठ आया, तो मुझे परतापुर थाना प्रभारी के रूप में पहली जिम्मेदारी मिली। यहां क्राइम दूसरे शहरों से बिल्कुल अलग था। मेरठ में क्राइम की कई घटनाओं पर मौके पर पहुंचा, इन्वेस्टिगेशन की। फोरेंसिक एक्सपर्ट और पुलिस के वरिष्ठ ऑफिसर्स से भी अलग-अलग पॉइंट पर फैक्ट समझे। एविडेंस कलेक्शन की बारीकी जानी।
मेरठ में उस समय अजय साहनी मेरे SSP थे। मुझे क्राइम कंट्रोल की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। साहनी सर के नेतृत्व में मुझे अपराधियों की लिस्ट खंगालने का मौका मिला। इनमें एक बड़ा नाम था- बदन सिंह बद्दो। वो वेस्ट यूपी का बड़ा माफिया है। उसी साल वो मेरठ पुलिस की कस्टडी से फरार हो गया था।
मैंने इस माफिया की अवैध संपत्ति का पता लगाना शुरू किया। अपनी टीम के साथ एक-एक कर उसके ठिकाने पहचाने। बदन सिंह बद्दो पर 5 लाख रुपए का इनाम है। जांच में पता चला कि बद्दो ने टीपीनगर में जमीन कब्जाई थी। इसी जमीन पर उसने कोठी खड़ी की है। दूसरी जगह जमीन पर कब्जा कर मार्केट बनाई है। बद्दो का खौफ ऐसा था कि कोई भी उसकी शिकायत नहीं करता। न कोई खुलकर बोलने को तैयार था।
बिश्नोई बताते हैं- हमने पूरी डिटेल खंगाली। सरकारी जमीन पर बनी माफिया की कोठी गिराने के लिए कार्रवाई की। हमने अधिकारियों से पुलिस फोर्स मांगी, PAC फोर्स भी मिल गया। इसके बाद हम मौके पर पहुंचे। बुलडोजर से बद्दो की कोठी और मार्केट को मलबे में तब्दील कर दिया।
उस समय मैंने बद्दो की कोठी के मलबे को इसलिए नहीं उठने दिया, ताकि लोग याद रखें कि यह कुख्यात बद्दो की कोठी का मलबा है। वही बद्दो, जो पिछले 3 दशक से दहशत फैला रहा था। आज उसकी दहशत मलबे में तब्दील हो चुकी है। गैंगस्टर एक्ट के तहत बद्दो की करोड़ों रुपए की जमीन कब्जा मुक्त करा सरकार से अटैच कराई गई।
मेरठ में ही तैनाती के समय कुख्यात योगेश भदौड़ा, जिसने गैंगवार में 20 से अधिक लोगों को मारा, उस पर भी एक्शन लिया। उसकी करोड़ों की जमीनें कब्जा मुक्त कराईं। योगेश ने अपने भदौड़ा गांव में तालाब, जोहड़ की जमीन कब्जा ली थी। यहां भी बुलडोजर चलवा दिया। एनएच- 58 पर 40 करोड़ की सरकारी जमीन भी माफियाओं से कब्जा मुक्त कराई। इसमें पुलिस की जमीन भी शामिल थी।
कृष्ण कुमार बिश्नोई बताते हैं- 2021 में मेरी दूसरी पोस्टिंग बतौर ASP मुजफ्फरनगर में हुई। उस समय वहां भारतीय किसान यूनियन और अन्य संगठनों का आंदोलन चल रहा था। यहां कानून व्यवस्था के लिए मुझे जिम्मेदारी मिली। बड़ी संख्या में किसानों ने दिल्ली-हरिद्वार हाईवे जाम कर दिया। चारों तरफ से किसान धरना-प्रदर्शन के लिए यहां आने लगे।
सबसे पहले अलग-अलग स्थानों पर बैरियर लगाकर किसानों को रोका गया। उसके बाद मौके पर पहुंचकर किसान नेताओं से बात की। आधे घंटे में हाईवे से धरना खत्म कराया। टोल प्लाजा और दूसरे स्थलों पर भी हाईवे खुलवाया गया। यह बड़ा मामला था, जिससे कानून व्यवस्था के साथ लोगों को भी परेशानी होती। पहली बार वेस्ट यूपी जैसी जगह लॉ एंड ऑर्डर के लिए लोगों को समझाया।
मुजफ्फरगनर में सुशील मूंछ सबसे बड़ा कुख्यात माफिया था। उसकी दहशत वेस्ट यूपी के कई जिलों तक थी। 20 साल पुराने गैंगस्टर केस में सुशील मूंछ को अरेस्ट कर जेल भेजा। मुजफ्फरनगर में ही कुख्यात संजीव जीवा, विक्की त्यागी की प्रॉपर्टी चिह्नित करने का काम किया। यहां सबसे बड़े माफियाओं की अवैध संपत्ति पर बुलडोजर चलाने के साथ सरकार से अटैच की गई।
बिश्नोई बताते हैं- 2022 में मेरी पोस्टिंग बतौर एसपी सिटी गोरखपुर में हुई। यहां सबसे पहले ऐसे माफियाओं का रिकार्ड खंगालना शुरू किया, जिन्होंने दूसरों की जमीन और संपत्ति पर कब्जा किया था। इनमें एक लाख के इनामी विनोद उपाध्याय का नाम भी था। उसका जब रिकॉर्ड खंगाला, तो पता चला कि यह माफिया अलग-अलग जिलों में क्राइम करता है। उसने क्राइम की बदौलत अकूत संपत्ति अर्जित की।
हमने एक्शन लिया। विनोद की प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चलवाया। इसके बाद दूसरे माफियाओं की अवैध संपत्ति का रिकार्ड खंगाला। माफिया और गैंगस्टर जवाहर यादव की 416 करोड़ की संपत्ति जब्त की। माफिया कमलेश बीनानाथ की 195 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति जब्त की। गोरखपुर में जमीन कब्जाने वाले, हत्याओं में शामिल रहे कुख्यातों की कुल मिलाकर 803 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त किया।
गोरखपुर से ही ऑपरेशन ‘त्रिनेत्र’ की शुरुआत की गई। यह अभियान पूरे प्रदेश में सराहा गया। सबसे अधिक कैमरे गोरखपुर में लगवाए गए। इसके बाद पूरे प्रदेश में इस अभियान को अमल में लाया गया। कानून व्यवस्था और अपराधियों पर निगरानी के लिए यह बड़े अभियानों में शामिल रहा।
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