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मध्यप्रदेश का झाबुआ जिला गुजरात सीमा पर बसा है। यदि राजधानी भोपाल से सड़क मार्ग से झाबुआ जाना हो तो फिलहाल 6 घंटे से ज्यादा का समय लगता है। अब ये दूरी करीब आधी होने वाली है लेकिन ऐसा होने में तीन साल का इंतजार करना पड़ेगा।
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दरअसल, छत्तीसगढ़ से गुजरात को जोड़ने वाले एक्सप्रेस-वे नर्मदा प्रगति पथ का 867 किलोमीटर का हिस्सा मध्यप्रदेश से होकर गुजर रहा है। इसका कुछ हिस्सा 4 लेन होगा तो कुछ हिस्सा 6 लेन का रहेगा। इसे 2027 तक बनाने की डेडलाइन तय की गई है।
केवल नर्मदा प्रगति पथ नहीं बल्कि मप्र में ऐसे 5 और एक्सप्रेस-वे बनने वाले हैं। डॉ. मोहन सरकार ने अपने पहले बजट में इन 6 एक्सप्रेस-वे को प्राथमिकता से पूरा करने का ऐलान किया है। सभी प्रोजेक्ट्स पर अगले 5 साल में 65 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे।
जानकार कहते हैं कि यदि सरकार इस मेगा प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारने में कामयाब हो जाती है तो 36 जिलों को फायदा होगा। एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ इंडस्ट्रियल और लॉजिस्टिक पार्क डेवलप होंगे। दूसरे राज्यों से प्रदेश की कनेक्टिविटी बढ़ेगी।
इससे 10 लाख करोड़ रु. के निवेश का रास्ता खुलेगा और करीब 25 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे। संडे स्टोरी में पढ़िए क्या है, 6 एक्सप्रेस-वे का पूरा प्रोजेक्ट…
नर्मदा प्रगति पथ: यमुना एक्सप्रेस-वे से 4 गुना बड़ा, 6 इंडस्ट्रियल हब बनेंगे
नर्मदा नदी के समानांतर 867 किमी लंबा प्रगति पथ मप्र में अमरकंटक के कबीर चबूतरे से झाबुआ में गुजरात बॉर्डर तक जाएगा। खास बात यह है कि नर्मदा प्रगति पथ युमना एक्सप्रेस-वे से 4 गुना बड़ा है।
मप्र में औद्योगिक ईको सिस्टम का 70% हिस्सा नर्मदा एक्सप्रेस-वे की बेल्ट में है। इसका अलाइनमेंट पूर्वी मप्र को औद्योगिक रूप से उन्नत पश्चिमी मप्र से जोड़ेगा। कीरतपुर और इटारसी को लॉजिस्टिक्स एवं वेयर हाउस हब के रूप में विकसित किया जाना है।
इसके अलावा करीब 6 जगहों पर इंडस्ट्रियल हब बनाने की भी योजना है। इंडस्ट्रियल हब को तैयार करने का काम उद्योग विभाग को दिया गया है। उद्योग विभाग ही औद्योगिक क्षेत्रों का विकास कर उद्योगपतियों को जमीन लीज पर देगा। 11 जिलों से होकर गुजरने वाले इस एक्सप्रेस-वे के साथ ही शहरों के आस-पास छोटी-छोटी टाउनशिप डेवलप की जाएगी।
अटल प्रगति पथ: 4 लेन एक्सेस कंट्रोल हाईवे, 6 घंटे में इटावा से कोटा
अटल प्रगति पथ को पहले चंबल एक्सप्रेस-वे से शुरू किया था। यह मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्यों से होकर गुजरता है। 415 किमी लंबे इसे एक्सप्रेस-वे का 296 किलोमीटर का हिस्सा मध्यप्रदेश, 47 किमी उत्तर प्रदेश और 72 किमी का हिस्सा राजस्थान में होगा।
इसकी खासियत यह है कि यह एक्सप्रेस-वे 4 लेन एक्सेस कंट्रोल हाईवे होगा, जिसे जरूरत पड़ने पर 6 लेन भी किया जा सकेगा। यह सभी बड़े हाईवे से जुड़ेगा। इसके बनने के बाद इटावा से राजस्थान महज 6 घंटे में पहुंचा जा सकेगा। अभी इस सफर में 10 घंटे से ज्यादा का समय लगता है।
यह मध्यप्रदेश में राजस्थान के बॉर्डर श्योपुर से शुरू होकर बीरपुर, सबलगढ़, झुंडपुरा, गोहद, मुरैना, अम्बा, बहरी (भिंड) से होते हुए यूपी के इटावा तक जाएगा। चंबल नदी के समानांतर बनाए जाने वाले अटल प्रगति पथ से सबसे ज्यादा फायदा किसानों को होगा।
इस एक्सप्रेस-वे के आसपास बड़े स्तर पर उद्योग स्थापित किए जाएंगे, जिससे करीब 214 गांवों के लोगों को फायदा मिलेगा। इसकी कनेक्टिविटी दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे और गोल्डन क्वाड्रिलेटरल (स्वर्णिम चतुर्भुज प्रोजेक्ट) से भी होगी।
विंध्य एक्सप्रेस-वे: दोनों तरफ इंडस्ट्रियल क्लस्टर, 120 KMPH की स्पीड से दौड़ेंगी गाड़ियां
भोपाल-सिंगरौली के बीच बनने वाला विंध्य एक्सप्रेस-वे प्रदेश से गुजरने वाले सभी नेशनल हाईवे को आपस में जोड़ेगा। इसके दोनों तरफ इंडस्ट्रियल क्लस्टर बनाए जाएंगे। यह एक्सप्रेस-वे भोपाल, सागर, दमोह, सतना, रीवा,सीधी और सिंगरौली से होता हुआ गुजरेगा।
यह एक्सप्रेस-वे जिस क्षेत्र से गुजरेगा, वहां के एग्रीकल्चर, कारोबार और उद्योग को बेहतर कनेक्टिविटी मिल सकेगी। इससे क्षेत्र के 1.50 लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इस हाईवे पर वाहनों की रफ्तार 120 किमी प्रति घंटा होगी। ऐसे में सिंगरौली से भोपाल की दूरी महज 5-6 घंटे में पूरी कर ली जाएगी।
भोपाल के प्रवेश और निकासी के पांच मुख्य मार्गों पर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनने जा रहा है। इससे कम से कम 50 हजार युवाओं को रोजगार मिलेगा। MPRDC और नेशनल हाईवे मिलकर सड़क के किनारों को विकसित करने की योजना पर काम कर रहे हैं। इसके लिए जिला प्रशासन से शहर से जुड़े पांच रास्तों के आसपास की जमीनों पर डिटेल रिपोर्ट मांगी गई है।
मालवा-निमाड़ विकास पथ: 136 किमी का हिस्सा होगा ग्रीन फील्ड कॉरिडोर
मालवा-निमाड़ विकास पथ को इंदौर-धार-आलीराजपुर कॉरिडोर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक्सप्रेस-वे मंदसौर, उज्जैन, इंदौर और बुरहानपुर को जोड़ेगा। यह 450 किलोमीटर लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग इंदौर को आलीराजपुर से जोड़ेगा, जो राज्य के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है।
इस प्रोजेक्ट का एक हिस्सा गरोठ (मंदसौर) में दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से उज्जैन तक 136 किमी निर्माणाधीन है। इसे ग्रीन फील्ड कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जा रहा है यानी इसके रूट को हरे मैदान या खेतों के बीच से निकाला गया है।
ऐसी जगह पर समतल जमीन और शहर से दूरी होने से लोकल ट्रैफिक बहुत कम होता है। ऐसे में लंबी दूरी के वाहनों की स्पीड पर असर नहीं होता। यही वजह है कि ग्रीन फील्ड कॉरिडोर में घुमाव-मोड़ काफी कम है।
निमाड़ क्षेत्र में दूसरा हिस्सा इंदौर से इच्छापुर (बुरहानपुर) तक बनाया जा रहा है। इसकी लंबाई 215 किमी है। इसकी लागत 5400 करोड़ अनुमानित है। सरकार ने मालवा-निमाड़ विकास पथ का निर्माण सिंहस्थ 2028 से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
बुंदेलखंड विकास पथ: छतरपुर-भोपाल के बीच सीधी कनेक्टिविटी
यह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को जोड़ने वाले इस एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट के तहत बुंदेलखंड के दो महत्वपूर्ण शहर सागर और छतरपुर के बीच 4 लेन सड़क का निर्माण किया जा रहा है। सागर से छतरपुर 190 किमी मार्ग का निर्माण अगस्त 2023 में शुरू हो गया है।
इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से छतरपुर और भोपाल के बीच सीधी कनेक्टिविटी हो जाएगी। इस एक्सप्रेस वे से व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बनेंगे। खास बात यह है कि यह एक्सप्रेस-वे बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
बुंदेलखंड विकास पथ जिसे झांसी-ललितपुर-देवास-सागर राष्ट्रीय राजमार्ग के नाम से भी जाना जाता है। इस एक्सप्रेस वे का यूपी के हिस्से में निर्माण पूरा हो चुका है। जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।
मध्य भारत विकास पथ – उत्तर को दक्षिण सीमा को जोड़ेगा, पर्यटन बढ़ेगा
मध्य भारत विकास पथ में बैतूल से मुरैना तक फोर लेन सड़क बनाई जा रही है। भोपाल से दिनार (झांसी के समीप) तक निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। जबकि विदिशा से मुरैना तक 4 लेन सड़क के निर्माण की डीपीआर तैयार हो रही है।
यह एक्सप्रेस-वे मुख्य रूप से बैतूल को मुरैना से जोड़ेगा। इस मार्ग पर बोरी अभ्यारण्य, नर्मदापुरम, भीमबेटिका, भोजपुर, भोपाल, सांची, उदयगिरी, ओरछा, दतिया एवं ग्वालियर जैसे पर्यटन स्थल होने के कारण यह मार्ग पर्यटन की दृष्टि से भी अति महत्वपूर्ण है।
एक्सपर्ट बोले- क्षेत्रीय संतुलन बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे एक्सप्रेस-वे
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के रिटायर्ड जॉइंट डायरेक्टर संजय मिश्रा कहते हैं कि सड़कों और रेलवे का नेटवर्क किसी भी देश के आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है। सड़कों की कनेक्टिविटी क्षेत्रीय और आर्थिक संतुलन बनाने में अहम भूमिका निभाती होती है।
वे कहते हैं कि एक्सप्रेस-वे बनेंगे तो मप्र की दूसरे राज्यों से कनेक्टिविटी सुगम होगी। ऐसा होने पर मप्र आर्थिक हब के रूप में उभरेगा। वैसे भी मप्र देश के मध्य में स्थित है तो यहां से सभी राज्यों की कनेक्टिविटी हो सकती है। लॉजिस्टिक हब के तौर पर एमपी में बहुत संभावनाएं है।
उदाहरण देते हुए वे कहते हैं कि अभी केवल इंदौर की कनेक्टिविटी दूसरे राज्यों से अच्छी है तो बाकी शहरों की तुलना में इंदौर बेहद तेजी से विकसित हो रहा है। एक्सप्रेस वे बनने के बाद इंदौर जैसी विकास की रफ्तार बाकी शहरों को भी मिलेगी। नागरिकों के लिए यातायात सुगम होगा। जो इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाए जाने का प्लान है उससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
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