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-महाराष्ट्र के जालना में समाधिस्थ हुए 350 से अधिक जिनेश्वरी दीक्षा प्रदान करने वाले राष्ट्र संत गणाचार्य विराग सागर महाराज की विन्यांजलि सभा मुनि समत्व सागर महाराज एवं मुनि शील सागर महाराज के सानिध्य में सकल दिगंबर जैन समाज एवं श्री मुनि संघ सेवा समि
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जिन संस्कृति णमो लोए सव्व साहूणमं में सभी श्रमणों को समान दृष्टि से देखती है। संत हमारी आस्था, श्रद्धा और संस्कृति के जीवन्त प्रतीक है। आचार्य श्री आज भी हमारे बीच में है, हमें उनके बताए मार्ग पर चलकर जैन संस्कृति को आगे बढाना होगा। समाज को आज मजबूत एकता की आवश्यकता है। श्रमण परम्परा के आचार्य विमल सागर, आचार्य विद्यासागर,आचार्य विराग सागर जैसे महान आचार्यों ने ही जिन संस्कृति एवं जिनागम को जीवन्त रखा हुआ है। आचार्य चतुर्विद संघ के जननायक थे। उनके जैसा अनुशासन, दूरदर्शिता, वात्सल्य और स्नेह देखने को ही मिलता है।
बिना आगम के प्रमाण के एक भी परम्परा उन्होंने नहीं चलाई है। आगम के प्रमाण के साथ ही वे उपदेश देते थे।जयपुर के यति सम्मेलन एवं युग प्रतिक्रमण एवं दिगंबर जैन साधु संतों के विचरण को इतिहास में सुरक्षित रखने के लिए ताम्र पत्र एवं शिलालेखों पर लिखना चाहिए।श्री मुनि संघ सेवा समिति बापूनगर के अध्यक्ष राजीव जैन गा जियाबाद ने बताया कि भट्टारक जी की नसियां में शनिवार को दोपहर 2 बजे से आयोजित इस विन्यांजलि एवं गुणानुवाद सभा मेंजयपुर के दिगंबर जैन मंदिरों, दिगंबर जैन संस्थाओं, महिला मंडलों, युवा मण्डलों एवं सोश्यल ग्रुपों के पदाधिकारी एवं समाज के गणमान्य श्रेष्ठीजन शामिल हुए ।
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