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स्कूली शिक्षा के बड़े-बड़े दावों के बीच इंदौर में व्यवस्था की पोल खोलती तस्वीरें सामने आई है। स्थिति ये है कि सरकारी स्कूलों के कमरों में बच्चों के बैठने तक की जगह नहीं है। स्कूल की बिल्डिंग 23 साल पहले बनी थी जो अब जर्जर हो चुकी है। मरम्मत के लिए कई ब
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शासकीय प्राथमिक स्कूल अमरापुरी : टॉयलेट तक नहीं
स्कूल की बिल्डिंग साल 1999 में बनी थी। स्कूल में दो कमरे हैं। एक कमरा पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। गिरता प्लास्टर और टपकती छत के कारण कमरे का इस्तेमाल नहीं किया जाता। बारिश में कमरे में पानी भी भर जाता है। पहली और दूसरी की कक्षा पास में लगी आंगनवाड़ी में लगती है। आंगनवाड़ी के बच्चों के साथ बच्चे थोड़ी सी जगह में बैठकर पढ़ाई करते हैं। लाइट नहीं होने से कई बार गलियारे या बरामदे में पेड़ के नीचे बच्चों को मजबूरी में बैठाना पड़ता है। तीसरी से लेकर पांचवीं के बच्चे दूसरे रूम में एक साथ बैठकर पढ़ते हैं। इसमें भी चौथी और पांचवें के बच्चे एक साथ बैठते हैं। पहली से पांचवीं तक कुल 23 बच्चे यहां है। स्कूल की खस्ताहाल बिल्डिंग को लेकर टीचर लिखित शिकायत कर चुके है लेकिन हमेशा आश्वासन ही मिला। हुआ कुछ नहीं। टीचर्स भी मजबूरी में जैसे-तैसे बच्चों को पढ़ाने को मजबूर है। स्कूल में टॉयलेट तक ठीक नहीं है। दरवाजा चोरी हो चुका है। साफ-सफाई भी नहीं है।
संजय गांधी नगर : लिखित शिकायत के बाद भी नहीं सुधरे हालात
स्कूल के हेड मास्टर की तरफ से विकास खण्ड स्त्रोत समन्वयक को 13 जून को स्कूल की मरम्मत के लिए लिखित शिकायत की गई। शिकायत में लिखा कि शासकीय प्राथमिक स्कूल संजय गांधी नगर में मरम्मत की जरूरत है। छत से पानी टपकता है। छत जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। निवेदन है कि बारिश शुरू होने से पहले छत की मरम्मत करवाई जाए। जिससे बच्चों को बारिश में उचित व्यवस्था मिले।
नरवर स्कूल : फिलहाल भवन ही नहीं
वहीं शासकीय माध्यमिक स्कूल नरवल के संबंध में नगर निगम को विकास खण्ड स्त्रोत समन्वयक चिट्ठी लिख चुके हैं। स्कूल लगाने के लिए भवन ही नहीं है। पहले स्कूल सांवेर रोड स्थित मौनी बाबा आश्रम में लगता था। जर्जर कमरों की मरम्मत के लिए मौनी बाबा आश्रम ट्रस्ट ने अनुमति नहीं दी। कक्षाएं आश्रम के प्रांगण में लगाई गई। फिलहाल एक अन्य स्कूल में शिफ्ट कर कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। लेकिन मामले में भी अभी तक कोई निराकरण नहीं हुआ है। स्कूल पहली से आठवीं कक्षा तक संचालित होता है और 300 से 350 बच्चे पढ़ते हैं।
मा.वि विजय नगर : छत का काम अधूरा
इसी तरह माध्यमिक स्कूल विजय नगर में भी निर्माण कार्य अधूरा ही है। छत का काम पूरा नहीं किया गया है। बारिश के कारण यहां भी बच्चों को परेशानी उठानी पड़ रही है। इसे लेकर भी शिक्षक वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत दर्ज करा चुके है लेकिन कोई निराकरण अभी तक नहीं हुआ है। अधूरी छत पर ही गिट्टी-चूरी आदि पड़ी हुई है।
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