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दक्षिण भारत में होने वाले सफेद चंदन की पौध अब राजस्थान में भी लगाई जा रही है। यह कीमती पेड़ अपनी सुगंध के लिए प्रसिद्ध है। इससे मूर्तियां, इत्र, दवा, ब्यूटी प्रोडक्ट समेत कई उत्पाद बनाए जाते हैं। जोधपुर शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (आफरी) के वैज्ञानिक सफेद चंदन को लेकर रिसर्च कर रहे हैं। रिसर्च के नतीजे उत्साहित करने वाले हैं। राजस्थान में सफेद चंदन की खेती की जा सकती है। आफरी (शुष्क वन अनुसंधान संस्थान) संस्थान के डायरेक्टर तरुण कांत का कहना है कि किसान खेती के साथ-साथ सफेद चंदन को SIP में इन्वेस्ट की तरह लगा सकते हैं। म्हारे देस की खेती में इस बार बात AFRI संस्थान (जोधपुर) के सफेद चंदन पर रिसर्च की… राजस्थान में कम पानी में होने वाले पेड़-पौधों पर रिसर्च करने वाली संस्था आफरी का प्रयास है कि 10 साल में तैयार होने वाला चंदन 6 साल में कैसे तैयार हो। इसके लिए राजस्थान के 3 जिलों में रिसर्च जारी है। यह रिसर्च आफरी के वैज्ञानिक कर रहे हैं। आफरी डायरेक्टर तरुण कांत ने बताया- बीते कुछ वर्षों में संस्थान ने ऐसे ट्रायल किए हैं, जो सफल होंगे तो किसानों की तकदीर बदल जाएगी। हम कृषि वानिकी में ऐसे पेड़ों पर रिसर्च कर रहे हैं जिन्हें किसान खेत में फसल के साथ लगा सके। काफी रिसर्च किए गए हैं, जिनमें कई आंकड़े आना बाकी है। यह देख रहे हैं राजस्थान में होने वाले चंदन का ऑयल कंटेंट कैसा होगा। दक्षिण भारत से यह मैच करेगा या नहीं। इसका पता आने वाले समय में लगेगा लेकिन रुझान काफी उत्साहित करने वाले हैं। उन्होंने बताया- चंदन राजस्थान की जलवायु क्षेत्र का पौधा नहीं है। यह दक्षिण भारत के उन इलाकों में होता है जहां ज्यादा नमी और ज्यादा बारिश होती है। राजस्थान में चंदन उगाने और ग्रोथ को लेकर नेशनल प्रोजेक्ट चल रहे हैं। एग्रो फोरेस्ट पर भी काम कर रहे हैं। आफरी की ओर से चंदन के पौधे लगाए गए हैं। हमें यह देखना है कि यहां तैयार चंदन में हार्ड वुड कैसा बनेगा। हार्ड वुड चंदन के तने का वह भीतरी हिस्सा होता है जो बहुत ठोस होता है। इसी की वैल्यू सबसे ज्यादा होती है। आने वाले समय में यह भी पता चलेगा कि कॉम्पैक्ट वुड बन रहा है या नहीं। कृषि वानिकी में अब तक किए गए प्रयोग सफल रहे हैं। आफरी डायरेक्टर तरुण कांत ने बताया- चंदन दो तरह का है- एक रक्त चंदन और एक सफेद चंदन। राजस्थान में सफेद चंदन की अनूठी किस्म को तैयार किया जा रहा है। इसके लिए देशभर में फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट से जुड़ी संस्थाएं रिसर्च कर रही हैं। रेगिस्तान के सूखे इलाकों में सबसे कम समय में डेवलप होने वाला चंदन का पेड़ तैयार होगा। राजस्थान में रिसर्च के लिए चित्तौड़गढ़ के सीता माता सेंचुरी, जोधपुर के लोहावट और बीकानेर में कानासर एरिया को चुना गया है। इन इलाकों के एक-एक किसान के साथ आफरी का MOU भी हो चुका है। इन एरिया के किसानों के खेतों में एक से डेढ़ एकड़ में चंदन के पौधे लगाए जा रहे हैं। लोहावट में किसान विजय कृष्ण राठी के साथ एमओयू किया गया है। इनके खेत में 800 पौधे लगाए गए हैं। इन पौधों की देखरेख आफरी ढाई साल तक करेगा। 6 साल में तैयार हो सकेगा चंदन का पेड़ तरुण कांत ने बताया- गुजरात में हुए एक रिसर्च की स्टडी सामने आया था कि देश के अन्य इलाकों समेत रेगिस्तानी एरिया में भी चंदन के पेड़ तैयार किए जा सकते हैं। देशभर के 18 फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट जैसे कोयम्बटूर, बेंगलुरु, असम के वर्षा वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर और हैदराबाद के साथ जोधपुर का आफरी भी शामिल है। अभी चंदन का पेड़ तैयार होने में कम से कम 10 साल लगते हैं। रिसर्च में पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या 6 साल में चंदन की बेहतरीन क्वालिटी तैयार हो सकती है? वैज्ञानिक राजस्थान के सूखे इलाकों में चंदन को उगा कर नई किस्म को 6 साल में डेवलप करेंगे। जोधपुर की लैब में तैयार हुई पौध आफरी डायरेक्टर ने बताया- रिसर्च में आफरी के वैज्ञानिकों ने लैब में चंदन की नई प्रजाति का पौधा तैयार किया है। टिशू कल्चर तकनीक से ढाई हजार से ज्यादा पौधे तैयार किए गए हैं। तैयार पौधों को राजस्थान के अलग-अलग इलाकों के खेतों में लगाया जा रहा है। इसके लिए किसानों से एमओयू किए गए हैं। ढाई साल तक पौधों की देखरेख आफरी करेगा। इन पौधों पर रिसर्च जारी रहेगी। उनकी ग्रोथ कैसी है, कोई रोग तो नहीं है, इस पर काम किया जाएगा। ढाई साल बाद पौधों की ग्रोथ देख अगले 4 साल तक रिसर्च चलेगा। आखिर में ये तय किया जाएगा कि कैसे राजस्थान में चंदन का पेड़ 10 साल की बजाय 6 साल में तैयार किए जा सकते हैं। परजीवी होता है चंदन आफरी की वैज्ञानिक संगीता सिंह ने बताया- चंदन के पौधे में एक साल तक खास देखभाल की जरूरत होती है। राजस्थान के सूखे मौसम में उसे पानी की ज्यादा जरूरत होगी। चंदन का पौधा परजीवी होता है। इसके आस-पास तुअर दाल, लाल फाग भी लगाया जाता है। इससे ये अच्छी तरह से विकसित होता है। बड़ा होने पर इसके साथ नींबू, करौंदा, अनार भी लगा सकते हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियों में सफेद चंदन की पैदावार की बेहतरीन संभावना है। यहां का सूखा क्षेत्र चंदन के लिए बेहतर माना गया है। राजस्थान से सटे गुजरात के भी सूखे इलाकों में इस तरह के रिसर्च में पॉजिटिव परिणाम सामने आए थे। ऐसे में दावा किया जा रहा है कि राजस्थान में सबसे कम समय में तैयार होने वाले चंदन के पौधे तैयार हो जाएंगे। इतना ही नहीं किसान चंदन के साथ ही अपनी आय बढ़ाने के लिए एक्सट्रा क्राॅप भी लगा सकेंगे। इसके लिए चीकू, नीम्बू, अमरूद के पौधों के बीच चंदन को लगाया जाएगा। इससे की कमाई के लिए चंदन के पौधे को तैयार होने तक किसानों को इंतजार नहीं करना पड़े। हालांकि चंदन के पौधे को उगने के लिए अधिक मात्रा में पानी चाहिए होता है, लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं है। लेकिन, जहां पर पानी की कमी और गर्मी वाला इलाका है उसे ग्रीन हाउस में तैयार किया जाएगा। 2 लाख रुपए प्रति लीटर है चंदन का तेल आफरी निदेशक तरुण कांत ने बताया- सफेद चंदन का तेल से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट में काम लिया जाता है। इसके अलावा मंदिरों में होने वाली पूजा-पाठ में भी भगवान का तिलक चंदन से किया जाता है। इसका तेल दो लाख रुपए प्रति लीटर तक बिकता है। सफेद चंदन का दैनिक कार्यों में काफी उपयोगी है। साउथ के राज्यों में चंदन ज्यादा होता है, अब दूसरे राज्यों में भी चंदन बहुतायत में लगाया जा रहा है। एआईसीआरपी प्रोजेक्ट कैंप के तहत दूसरे राज्यों के साथ समन्वय स्थापित कर यह प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट में हम लोग चंदन लगाकर देखते हैं कि इसका सर्वाइकल प्रतिशत क्या है। कृषि वानिकी में कितना उपयोगी है। चंदन के तेल में सुगंध कब बनना शुरू होगी। यह भी पढ़ें बिजनेस में फेल, अनार उगाकर कमाया 7 लाख का मुनाफा:पहली बार में ही 25 टन पैदावार; अब 80 बीघा जमीन किराए पर ली पिता पर कर्ज हुआ तो 10 साल की उम्र में मैंने घर छोड़ दिया और मजदूरी करने चला गया। अलग-अलग राज्यों में होटल में नौकरी की। नमकीन और सोहन पपड़ी के कारखानों में काम किया। कैटरिंग का काम भी किया। इलाहाबाद में मिठाई की दुकान शुरू की। कोरोना में सब चौपट हो गया। 30 लाख का नुकसान हो गया। गांव लौटकर आया तो पता चला कि मां को कोरोना हो गया। इसके बाद अपनी पुश्तैनी जमीन पर ही कुछ करने का फैसला किया। (पढ़ें पूरी खबर)
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