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दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग (WDCD) ने महिला हेल्पलाइन नंबर 181 का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। इससे पहले इसका नियंत्रण दिल्ली महिला आयोग (WCD) के पास था। नई व्यवस्था के तहत हेल्पलाइन नंबर 181 पर बुधवार शाम 4.58 बजे से कंट्रोल रूम में कॉल आना शुरू हो गए। गुरुवार दोपहर 2 बजे तक हेल्पलाइन पर कुल 1,024 कॉल आ चुकी थीं।
इस बारे में दिल्ली महिला एवं बाल विकास मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा, ‘दिल्ली में महिलाओं की सहायता के लिए स्थापित हेल्पलाइन नंबर 181 का संचालन WDCD की देखरेख में फिर से शुरू किया गया है। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हर सूचना को अत्यंत सावधानी से लिया जाए और संकट में फंसी महिलाओं को समय पर और प्रभावी सहायता दी जाए।’
उन्होंने कहा, ‘दिल्ली सरकार हिंसा, दुर्व्यवहार और अन्य समस्याओं से जूझ रही महिलाओं की मदद के लिए प्रतिबद्ध है और महिलाओं की सुरक्षा और कल्याण के प्रति समर्पित है।’
इससे पहले हेल्पलाइन का प्रबंधन दिल्ली महिला आयोग द्वारा किया जाता था। लेकिन, पिछले साल 4 मई को मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र के अनुसार, केंद्र सरकार के निर्देश के बाद इसकी जिम्मेदारी दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंप दी गई है। महिला हेल्पलाइन नंबर 181 पर हर महीने लगभग 40,000 कॉल आती हैं। यह एक टोल-फ्री, 24 घंटे की टेलीकॉम सेवा है जो सहायता चाहने वाली महिलाओं को सहायता और जानकारी प्रदान करती है।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली महिला आयोग की पूर्व प्रमुख और आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘दिल्ली सरकार ने दिल्ली महिला आयोग की 181 हेल्पलाइन बंद करके खुद चलाने का जो निर्णय लिया है, इसकी सच्चाई मंत्री कैलाश गहलोत जी द्वारा ट्वीट की गई फोटो से खुद जाहिर होती है। इस हेल्पलाइन को अब पुरूष चला रहे हैं।’
स्वाति ने लिखा, ‘जो लड़कियां दुष्कर्म और तस्करी जैसे जघन्य अपराध की सूचना देने के लिये कॉल करेंगी, वो तो लड़कों की आवाज सुनकर ही फोन रख देंगी! वैसे भी पांच लोगों से हेल्पलाइन नहीं चलती!’
आगे मालीवाल ने कहा कि दिल्ली महिला आयोग की हेल्पलाइन पर रोज दो हजार से चार हजार कॉल आती थीं, जिसको 45 महिला काउंसलर्स सुनती थीं। सबके पास सामाजिक कार्य या मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री थी।
मालीवाल ने कहा कि दिन भर कम से कम 20 लड़कियां एक शिफ्ट में हेल्पलाइन चला रही थीं और जमीन पर 136 महिला काउन्सेलर कॉल आने के बाद लड़कियों के पास पहुंचती थीं। राज्यसभा सदस्य ने आरोप लगाया कि सरकार वाली महिला हेल्पलाइन सिर्फ पहले की तरह एक पोस्ट ऑफिस का काम करेगी।
उन्होंने कहा, ‘मामले पुलिस को भेजे जाएंगे। इसीलिए जब 2013 से 2016 तक दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री कार्यालय में ये हेल्पलाइन चलती थीं, तब 70 प्रतिशत कॉल पर कोई काम नहीं होता था। ये फोटो दर्शाती है, पुन: वही हाल होने वाले हैं।’
मालीवाल ने अंत में लिखा, ‘महिलाओं का मुद्दा बहुत संवेदनशील होता है। इसको हठ से नहीं, सूझबूझ से चलाना चाहिए। जो तंत्र अच्छे चल रहे है उनको बंद करके उन पर दिन रात मेहनत करने वाली लड़कियों को बेरोजगार नहीं करना चाहिए!’
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