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गुरुवार को जगद्गुरु शंकराचार्य गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का 82वां प्रकट महोत्सव राष्ट्रोत्कर्ष दिवस के रूप में मनाया गया। जहां सुबह 7:00 बजे राम गोपेश्वर महादेव मंदिर परमहंस मार्ग से 3100 महिलाओं द्वारा भव्य कलश यात्रा हाथी
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कथा में पूर्व मंत्री किरोड़ी लाल मीणा भी पहुंचे।
शंकराचार्य ने आगे कहा कि इतिहास को साक्षी मानकर मुस्लिम तंत्र, ईसाई तंत्र और भी जो तंत्र है वह अपने आप को हिंदू कहकर शालीनता का परिचय दे और अपने आप को गौरवान्वित महसूस करें। विधर्मियों ने अत्याचार करके हमारी सभ्यता संस्कृति को नष्ट किया। हमारे वर्ण आश्रम धर्म पर बहुत कुठाराघात किया। आज विश्व को कोई अगर दिशा देने में समर्थ है तो वह सनातन धर्म ही है। हमारे वर्ण आश्रम धर्म के अंदर सभी मनुष्यों की आजीविका उनके जन्म से सुरक्षित है। सारे कुटीर उद्योग, लघु उद्योग सेवा के प्रकल्प अर्थात आर्थिक उद्यमिता के संस्थान शूद्र वर्ण के हाथ में ही रहा है और ब्राह्मण वर्ण ज्ञान का उपदेश देता रहा है। ऋषि मुनि वैज्ञानिक दार्शनिक व्यावहारिक तरीकों से सिद्धांतों की स्थापना करने के लिए पैदा हुए थे और क्षत्रिय देश की सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे और वैश्य वर्ग भी व्यापार एवं विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से व्यापार तंत्र को मजबूत रखते हुए सभी वर्णों की सेवा में तत्पर रहते थे।
उन्होंने कहा- कालांतर में विसंगतियां हुई जिसके कारण आज भारत ही नहीं, अपितु पूरा विश्व भी इस दंश को झेल रहा है कि वैकल्पिक वर्ण व्यवस्था अपनानी पड़ रही है। आज अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस आदि देशों ने हमारे पूर्वजों के संविधान मनुस्मृति को आधार मानते हुए ही वैकल्पिक वर्णों की व्यवस्था की। प्रशासक, सैनिक, मैनेजर, वर्कर्स जैसे वर्गों का प्रशिक्षण के माध्यम से समाज संगठन की सरचना की। इस वैकल्पिक वर्ण व्यवस्था का दुष्परिणाम यह है कि इसमें समय संपत्ति व सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग होता है। जबकि हमारे सनातन सिद्धांत को पूरा विश्व अगर स्वीकार कर ले तो लोक और परलोक दोनों सिद्ध हो जाए बस हम सब को समझने की आवश्यकता है। मनुष्य अपने पद का उपभोक्ता न बने अपने दायित्व का निर्वहन करे तो पतन की संभावना नहीं रहती है क्योंकि सनातन धर्म में फलचाह नही है।
उन्होंने कहा- शूद्र शब्द हीनता का प्रतीक नही है। ये एक पवित्र शब्द है जो वर्ण व्यवस्था का आवश्क अंग है। पूज्य गुरुदेव ने बताया कि विश्व में ऐसी कौन सी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत बिना गर्भपात किया जनसंख्या नियोजन रहे बिना पर्यावरण प्रकृति को नुकसान पहुंचा व्यापार के सेवा के रक्षा के चिकित्सा के प्रकल्प सुरक्षित रहे केवल और केवल सनातन हिंदू आर्य वैदिक धर्म ही एकमात्र धर्म है। जिससे मनुष्य का सर्वाधिक उत्कर्ष सुनिश्चित है। आज विकास के नाम पर विनाश ही हो रहा है। महायंत्रों का प्रचुर आविष्कार अभिशाप सिद्ध हो रहा है। गौ माता, गंगा का विनाश हो रहा है, मर्यादा तार-तार हो रही है इन्हीं सबसे पार पाने का अब विश्व को दिशा देने का एकमात्र विकल्प सनातन धर्म ही अपेक्षित है।
आयोजक धर्म संघ पीठ परिषद आदित्य वाहिनी आनंद वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल शर्मा, प्रदेश महामंत्री अनिल सरपंच, डॉ. मेघेद्र, मुकेश भारद्वाज, कृष्णा सिंघल, धर्मेंद्र गोयल सहित सभी मौजूद रहे। मीडिया प्रभारी मुकेश भारद्वाज ने बताया कि महामहिम राज्यपाल कलराज मिश्र, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, किरोडीलाल मीणा,पूर्व सांसद रामचरण बोहरा और विधायक बालमुकुन्दाचार्य ने शंकराचार्य जी महाराज से भेंट कर आशीर्वाद लिया।
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