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झारखंड हाईकोर्ट ने संताल प्रमंडल के सभी उपायुक्तों को आपसी सामंजस्य से बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों को चिह्नित कर वापस भेजने की कार्ययोजना तैयार करने के लिए कहा है। बुधवार को जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की अदालत ने डानियल दानिश की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। अदालत ने सरकार को दो सप्ताह के अंदर प्रगति रिपोर्ट पेश कर यह बताने को कहा है कि अबतक कितने बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिन्हित किया गया है, कितने को रोका गया है और कितनों को वापस भेजने का प्रयास किया जा रहा है।
अदालत ने कहा है कि यह अति गंभीर मामला है, इसे सिर्फ राज्य सरकार नहीं संभाल सकती। इसलिए केंद्र सरकार को भी राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए। अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने केंद्र सरकार से जानना चाहा है कि केंद्र इस मामले में क्या-क्या कदम उठा सकता है। मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को निर्धारित की गई है।
इस मामले में राज्य सरकारों को दिए गए हैं अधिकार केंद्र
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि घुसपैठ के मामले में केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को अधिकार दिए हैं। अब राज्य सरकार ऐसे लोगों को चिह्नित कर कार्रवाई कर सकती है। इस पर प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार राज्य में घुसपैठ से इनकार कर रही है। संताल इलाके में किसी प्रकार के धर्मांतरण की बात भी स्वीकार नहीं कर रही है। सरकार को ही घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया जाना चाहिए।
प्रार्थी डानियल दानिश ने क्या कहा है याचिका में
प्रार्थी डानियल दानिश की ओर से अदालत को बताया गया कि संताल परगना के वैसे जिले, जो बांग्लादेश से सटे हुए हैं, उनमें बांग्लादेश के प्रतिबंधित संगठन सुनियोजित तरीके से झारखंड की आदिवासी लड़कियों से शादी कर उनका धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। इसे रोका जाना अनिवार्य है। पिछले कुछ वर्षों में संताल परगना के बांग्लादेश की सीमा से सटे हुए जिलों में अचानक मदरसों में बढ़ोतरी हुई है। अदालत को लगभग 46 मदरसों की सूची भी प्रार्थी ने पेश की है, जो नए बने हैं। प्रार्थी ने आरोप लगाया कि इन मदरसों से देश विरोधी कार्य हो रहे हैं। आदिवासी युवतियों का शोषण हो रहा है। घुसपैठिये आदिवासी जमीन पर कब्जा भी कर रहे हैं।
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