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डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि
– फोटो : सोशल मीडिया
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उत्तर प्रदेश के आगरा में एमए हिंदी की छात्रा दामिनी के प्रथम वर्ष में चारों पेपर में बी प्लस ग्रेड मिली थी। लेकिन एमए द्वितीय के रिजल्ट में न केवल उसे अनुपस्थित दिखा दिया गया। बल्कि दो पेपर में एफ, 2 पेपर में सी, 1 में एबी और एक में ए प्लस मिला। नतीजा पहले साल में प्रथम श्रेणी से पास होने वाली छात्रा फेल हो गई। पिछले एक साल से चक्कर काटने के बावजूद उसकी अंक तालिकाओं में आवश्यक संशोधन नहीं हो सका है।
इसी प्रकार छात्रा कंचन को एमए प्रथम वर्ष में चार में से तीन पेपर में फेल दिखा दिया गया जबकि चौथे पेपर का स्थान खाली था। विवि के चक्कर काटने के बाद उसके एक पेपर में बी व तीन में सी ग्रेड दे दी गई। ये दो तो मात्र उदाहरण हैं। डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि में प्रवेश, परीक्षा और परिणाम में तमाम गड़बड़ियां सामने आती रहती हैं। छात्र नेता आशीष प्रिंस बताते हैं कि अपनी समस्या के निदान के लिए विवि आने वाले छात्रों को विवि कर्मी एक पटल से दूसरे पटल पर घूमाते रहते हैं।
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