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गांडेय विधानसभा उपचुनाव में कल्पना सोरेन ने जीत दर्ज की है। उन्होंने बीजेपी के दिलीप वर्मा को 26 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया है। कल्पना की जीत के साथ जहां उनका राजनीतिक कद बढ़ गया है। वहीं जेएमएम ने गांडेय सीट पर फिर से कब्जा किया है।
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जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन का नाम आने के बाद से ही कल्पना के सीएम बनाए जाने की चर्चा तेज थी। कहा तो ये भी गया था कि कल्पना के लिए सरफराज अहमद ने गांडेय सीट से इस्तीफा दिया, ताकि कल्पना जीत सकें और मुख्यमंत्री बनें, लेकिन परिवार और पार्टी के बीच विरोध को देखते हुए हेमंत से सत्ता चंपई सोरेन को सौंप दी।
अब कल्पना की जीत के बाद एक बार फिर उनके कमान संभालने की अटकलें बढ़ेंगी।
जानिए कल्पना मुर्मू सोरेन की कहानी। एक आर्मी अफसर की बेटी कैसे झारखंड के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार की बहू बनीं और क्या अब प्रदेश की अगली सीएम भी बन सकती हैं…
पंजाब में पैदा हुईं, स्कूल में हॉकी खेलती थीं कल्पना
ओडिशा के मयूरंगज जिले में रहने वाले आर्मी के रिटायर्ड कैप्टन अम्पा मुर्मू (कल्पना के पिता) बताते हैं, ‘मैं उन दिनों पंजाब के कपूरथला में पोस्टेड था। कल्पना का जन्म भी वहीं 3 मार्च 1985 को हुआ। वो केंद्रीय विद्यालय में पढ़ी है। बचपन से ही पढ़ने में होशियार थी। हमेशा क्लास में टॉप थ्री में उसका नाम होता था।’
स्कूल के दिनों में कल्पना को पढ़ाई के अलावा हॉकी खेलने का भी शौक था। पिता के तबादले के साथ स्कूल भी बदलते रहे। कुछ स्कूलों में हॉकी नहीं था, इसलिए ये गेम छूट गया और वो आगे हॉकी नहीं खेल पाईं।
कल्पना के कारण हेमंत सोरेन ने भी नियम बनाया था कि वे डिनर घर पर परिवार के साथ करेंगे ताकि परिवार को क्वालिटी टाइम दे सकें। डाइनिंग टेबल पर राजनीतिक चर्चा नहीं होती।
प्री-इंजीनियरिंग टेस्ट में टॉप कर सबको चौंकाया
12वीं करने के बाद कल्पना ने ठाना था कि उन्हें इंजीनियरिंग करना है। उस समय स्टेट प्री इंजीनियरिंग टेस्ट हुआ करता था। कल्पना पर जैसे इस टेस्ट को क्रैक करने की धुन सवार थी। वह खूब पढ़ाई करती थीं।
पिता अम्पा मुर्मू ने बताया, ‘एक बार हमारे एक पारिवारिक मित्र की शादी थी। हमने कहा तैयार हो जाओ, शादी में चलना है। कल्पना ने मना कर दिया। तब कल्पना को अकेले रहने से डर लगता था, बावजूद इसके पढ़ाई के लिए वह अकेले घर पर रही थी।’
जब इंजीनियरिंग का नतीजा आया तो हम सब दंग रह गए। वह स्टेट में 13वीं रैंक लाई थी और ST कैटेगरी में टॉप किया था। हम जानते थे कि पास हो जाएगी, लेकिन टॉप करेगी, ऐसी उम्मीद नहीं थी। इसके बाद कल्पना ने किस्ट वुमन कॉलेज से इंजीनियरिंग की, जो अब बंद हाे चुका है।
अप्रैल 2023 में ओडिशा के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंज में आयोजित समारोह के चीफ गेस्ट के तौर पर कल्पना ने बताया था कि 2005 में हम इस इलाके में ट्रेनिंग के लिए आते थे। उस समय यह पूरा इलाका जंगल था। अकेले ऑटो पकड़ने में डर लगता था। तब हम ग्रुप में आते थे। ट्रेनिंग के दौरान यहां खाने के लिए कुछ नहीं मिलता था। एक साइकिलवाला बड़ी हांडी में दही बड़ा बेचने आता था। उस समय यही हमारा ब्रेकफास्ट और लंच हुआ करता था।
ऐसे अरेंज हुई थी ये हाईप्रोफाइल शादी
कल्पना के पिता कैप्टन अम्पा मुर्मू बताते हैं कि हमारे बगल में एक अफसर रहते थे जो अस्पताल में नौकरी करते थे। हेमंत सोरेन की बड़ी बहन अंजली की शादी भी ओडिशा में हुई है। वह अफसर अंजली के रिश्ते में जेठ थे। उन्होंने कल्पना को देखा था। उन दिनों शिबू सोरेन छोटे बेटे की शादी करना चाहते थे और लड़की देख रहे थे।
हेमंत और कल्पना की शादी 7 फरवरी 2006 को हुई थी। कल्पना का मायका ओडिशा में है।
कल्पना को देखते ही शिबू सोरेन ने तय किया कि यही बनेगी मेरी बहू
अफसर ने शिबू सोरेन को बताया कि मेरी नजर में एक लड़की है, वो हेमंत के लिए सही रहेगी। इस दौरान शिबू सोरेन का इसी इलाके में एक शादी समारोह में आना हुआ। उनके साथ हेमंत और बड़े बेटे दुर्गा भी थे। कैप्टन अम्पा मुर्मू परिवार सहित शादी में थे।
वहां कल्पना को देखा और पहली नजर में ही शिबू सोरेन ने उनको अपनी बहू के रूप में चुन लिया। हेमंत सोरेन और बाकी लोगों को भी लड़की पसंद आ गई। इसके बाद दोनों परिवार के बीच बात हुई और 7 फरवरी 2006 को कल्पना और हेमंत की शादी हो गई।
ऐसी शादी आज तक लोगों ने नहीं देखी
मयूरगंज में ‘कलिंगा’ न्यूज चैनल के ब्यूरो चीफ सत्यजीत सोम उस शादी में बतौर मेहमान गए थे। सत्यजीत बताते हैं कि वह इस इलाके की सबसे शानदार शादियों में से एक थी। सैकड़ों गाड़ियां पहुंची थीं। गाड़ियों के लिए पार्किंग और सुरक्षा का इंतजाम किया गया था।
ऐतिहासिक आतिशबाजी की गई थी, जिसके लिए दूसरे राज्यों से आतिशबाजी वालों को बुलाया गया था। उसके बाद यहां के लोगों ने आज तक ऐसी आतिशबाजी नहीं देखी। पारंपरिक संथाली रीति-रिवाज से हेमंत सोरेन अपनी दुल्हन ले गए थे।
कल्पना ने शादी के बाद एमबीए किया और अपना बिजनेस शुरू किया।
शादी के बाद सीखा खाना बनाना
पिता के आर्मी में रहने के कारण कल्पना के परिवार में एक तरह का खुलापन था। कैप्टन अम्पा अपनी दोनों बेटियों कल्पना और सरला को पढ़ना चाहते थे। यही कारण था कि कल्पना किचन से दूर रही। वे केवल पेट भरने जितना दाल-चावल बनाना जानती थीं। शादी के बाद जब उन पर जिम्मेदारी आई तो उन्होंने खाना बनाना सीखा। अब वे अपने परिवार की वन ऑफ द बेस्ट कुक हैं।
शादी के बाद कल्पना रांची आ गईं। उन्होंने परिवार के सामने आगे पढ़ने की इच्छा जाहिर की। ससुर शिबू सोरेन ने इसके लिए हरी झंडी दे दी और कल्पना ने परिवार की सहमति से एमबीए किया। इसके बाद उन्होंने बिजनेस में हाथ आजमाया। वे रांची में एक प्ले स्कूल भी चलाती हैं। 2022 में आरोप लगा था कि हेमंत सोरेन ने कल्पना की कंपनी को 11 एकड़ जमीन का आवंटन गलत तरीके से किया है।
बेटे निखिल और अंश के साथ हेमंत सोरेन और कल्पना। सामाजिक मौकों पर कल्पना हमेशा अपने पति के साथ जाती हैं, लेकिन राजनीति से संबंधित कार्यक्रमों से वे दूर रहती हैं।
डिनर हमेशा परिवार के साथ, लेकिन राजनीति के बगैर
कल्पना हमेशा परिवार को और उसकी बॉन्डिंग को तरजीह देती हैं। उनके घर में आज भी नियम है कि डिनर सभी लोग साथ में करेंगे। एक इंटरव्यू में कल्पना ने खुद कहा था कि वे खाते समय राजनीति की बातें नहीं करती हैं। वे कहती हैं कि अगर घर में भी बाहर की बातें आएंगी तो परिवार और बच्चों का क्वालिटी टाइम नहीं बचेगा। डिनर ही एक ऐसा टाइम है जिस समय हम घर-परिवार की बातें कर पाते हैं, इसलिए ये स्पेस मैं राजनीति के साथ नहीं बांटती।
कल्पना ने शादी के बाद कुकिंग करना सीखा है। इससे पहले तक वे सामान्य तौर पर दाल-चावल बना लेती थीं। अब वे झारखंड की हर डिश बनाने में एक्सपर्ट हो चुकी हैं।
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