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जामिया उर्दू अलीगढ़ संस्थान
– फोटो : जामिया उर्दू की आधिकारिक वेबसाइट
विस्तार
अलीगढ़ के जामिया उर्दू संस्थान में 1998 से 2017 तक नियम विरूद्ध तरीके एजुकेशनल लोन, पर्सनल लोन समेत अन्य मदों में करोड़ों की रकम को स्टाफ में बांट देने के फर्जीवाड़े की शिकायत की जांच पूरी हो गई है। प्रशासनिक स्तर पर हुई जांच में करीब 10.77 करोड़ रुपये का गबन सामने आया है। इस प्रकरण में अब जांच अधिकारी के स्तर से संस्थान के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी करते हुए 15 दिन में जबाव मांगा गया है।
जांच अधिकारी एवं सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी विजय भूषण ओझा के अनुसार जामिया उर्दू शिक्षण संस्थान में मदरसों की तरह ही उर्दू की पढाई कराई जाती है। यह सोसाइटी के रूप में पंजीकृत संस्था है जो स्वपोषित सोसाइटी के रूप में उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए 1939 में स्थापित की गई थी। संस्थान को लेकर प्रशासन को शिकायत मिली कि यहां करोड़ों रुपये की अनियमिता बरती गई है। इसमें गलत तरीके से भुगतान करने, नियम विरूद्ध तरीके से लोन के रूप में स्टाफ को दिए जाने का भी आरोप था।
संयुक्त रूप से जांच में सामने आया कि करीब 10.77 करोड़ की रकम 11 लोगों को नियम विरूद्ध तरीके से लोन के रूप में दी गई है। नियमानुसार ऐसा नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं दिए गए लोन की वसूली भी नहीं की गई। कुछ अन्य वित्तीय अनियमिताएं भी जांच में सामने आयी हैं।
उन्होंने बताया कि जामिया उर्दू संस्थान के पास भू -सम्पत्तियों के नाम पर मुख्य भवन मेडीकल रोड दोदपुर, मंजूरगढ़ी, धौर्रामाफी, सिया हैवतपुर, छेरत- सुढ़ियाल में जमीन बेशकीमती जमीनें है। इसमें से एक जमीन पर वाटरपार्क का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस प्रकरण में रजिस्ट्रार जामिया उर्दू को नोटिस जारी किया गया है और अगले 15 दिन में जबाव मांगा गया है।
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