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पुलिस ने कोयला कारोबारियों की हत्या के लिए पहुंचे शूटरों को रायपुर से गिरफ्तार किया है।
रायपुर पुलिस ने झारखंड के अमन साहू गैंग से जुड़े 4 शूटरों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों को छत्तीसगढ़ और झारखंड के बड़े कोयला कारोबारियों की हत्या की सुपारी मिली थी। इसके बाद इनमें से 3 शूटर रायपुर पहुंचे थे। जबकि एक को छत्तीसगढ़ पुलिस ने राजस्थान
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रेंज IG अमरेश मिश्रा ने बताया कि, पकड़े गए शूटरों में पप्पू सिंह, देवेंद्र सिंह, रोहित स्वर्णकार और मुकेश कुमार है। इसमें पप्पू सिंह बाकी तीन शूटरों का मुखिया है और राजस्थान के पाली का रहने वाला है। पप्पू सिंह और उससे जुड़े शूटर लॉरेंस बिश्नोई गैंग के लिए भी काम कर चुके हैं।
अमन साहू गैंग को कोयला कारोबारियों से लेवी नहीं मिलने पर हत्या करने की सुपारी दी गई थी। आरोपियों से कहा गया था कि कारोबारियों पर पिस्टल की पूरी मैगजीन खाली करनी है। पुलिस ने सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें 8 दिन (2 जून) की रिमांड पर सौंपा गया है।
पकड़े गए आरोपियों से बरामद पिस्टल और मैगजीन।
बाइक राइडर बनाकर भेजे गए रायपुर
आरोपी पप्पू सिंह ने पुलिस को बताया कि, कारोबारियों की रेकी करने के लिए देवेंद्र सिंह और मुकेश कुमार भाट को बाइक राइडर बनाकर रायपुर भेजा था। जिससे किसी को शक न हो। इसके अलावा गली-मोहल्ले के बीच से बड़ी आसानी से भागने का रास्ता भी मिल जाए। इन दोनों आरोपियों को बस से रायपुर भेजा गया था।
इंदौर से पिस्टल लेकर महाकाल दर्शन करने पहुंचा
इन चारों शूटरों में से एक रोहित स्वर्णकार बोकारो झारखंड का रहने है। कारोबारियों की हत्या के लिए रोहित को पिस्टल मध्यप्रदेश के इंदौर के पास सेंधवा से मिली थी। यहां उसे एक लोडेड मैगजीन भी उपलब्ध कराई गई थी। रोहित ने लौटते के दौरान हथियार लेकर उज्जैन में महाकाल का दर्शन किए, फिर ट्रेन से रायपुर पहुंचा था।
72 घंटे पुलिस ने चलाया ऑपरेशन
इंटेलिजेंस से मिले इनपुट के आधार पर पुलिस ने ऑपरेशन लॉन्च किया। इसके बाद करीब 72 घंटे के खुफिया ऑपरेशन के दौरान आरोपी देवेंद्र सिंह और मुकेश कुमार भाट को सादे कपड़ों में पुलिस ने भाटागांव चौक से पकड़ा। वहीं रोहित स्वर्णकार को रेलवे स्टेशन के पास गंज थाना इलाके से गिरफ्तार किया गया। इसके बाद इन शूटरों के मुखिया पप्पू सिंह को पाली से अरेस्ट किया गया। बताया जा रहा है, इसमें राजस्थान, झारखंड और रायपुर में पुलिस और एंटी क्राइम यूनिट की दर्जनों टीमें तैनात की गई थी।
बताया जा रहा है कि शूटर 24 घंटे के दौरान कारोबारियों को टारगेट करने वाले थे। पुलिस ने फिलहाल कारोबारियों के नाम का खुलासा नहीं किया है।
कोडवर्ड में करते थे बातचीत
IG अमरेश मिश्रा ने बताया कि गैंग के मेंबर आपस में एक-दूसरे से इंटरनेट कॉलिंग में ही बातचीत करते थे। इसके अलावा ये कुछ ऐसे मैसेजिंग प्लेटफार्म का उपयोग करते थे, जिसमें चैटिंग ऑटोमैटिक डिलीट हो जाती है। आरोपियों ने कई कोड वर्ड भी रखे हुए थे, जैसे की राम-राम का मतलब पुलिस ने पकड़ लिया है और जय माता दी का मतलब सब ठीक है। इसके अलावा ये फोन पर एक-दूसरे को आर्मी और बीएसएफ जैसे नाम लेकर बुलाते थे।
अमन साहू गैंग का मास्टर माइंड मलेशिया में
बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले में अमन साहू गैंग का मास्टर माइंड मयंक सिंह है। उसने ही पप्पू सिंह को सुपारी दी थी। इसके पहले एक-दो वारदातों में अमन साहू गैंग के लड़के पुलिस के हत्थे चढ़ गए थे। इस वजह से इस बार मयंक सिंह ने सुपारी बाहर के बड़े गैंग को दी। पुलिस को फिलहाल फरार मयंक सिंह की लोकेशन मलेशिया में मिली है। वहीं से ये ऑपरेट कर रहा था।
चारों आरोपी हार्डकोर क्रिमिनल
रायपुर एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट के DSP संजय सिंह ने बताया कि गिरफ्तार चारों आरोपियों के खिलाफ राजस्थान, झारखंड में पहले से कई मामले दर्ज हैं। इनमें पप्पू सिंह ने फरीदाबाद जेल में बंद एक गैंगस्टर के कहने पर अजमेर के एक पेट्रोल पंप में फायरिंग की थी। इसके अलावा रोहित स्वर्णकार पर झारखंड के बोकारो में कई करीब आधा दर्जन मामले दर्ज हैं। अन्य आरोपियों पर भी आर्म्स एक्ट और आबकारी एक्ट के तहत मामले हैं।
NIA का दावा है कि अमन साहू लॉरेंस बिश्नोई गैंग को हथियार और शूटर्स मुहैया कराता था।
लेवी और रंगदारी के लिए कुख्यात है अमन
अमन साहू लेवी और रंगदारी वसूली के लिए कुख्यात है। उसके गिरोह के कई सदस्य कोयला कारोबारियों, बिल्डरों, ट्रांसपोर्टरों और कारोबारियों से रंगदारी वसूल रहा है। अमन खुद भी खुलासा कर चुका है कि उसका लॉरेंस बिश्नोई से संबंध है।
सोशल मीडिया पर अक्सर बातें होती हैं। उसका संबंध लॉरेंस के छोटे भाई अनमोल बिश्नोई के साथ भी है। अब एनआईए यह जांच कर रही है कि क्या अमन साहू गिरोह बिश्नोई गिरोह को हथियार के साथ शूटर भी उपलब्ध करा रहा है।
अमन की गिरोह में 145 गुर्गे, इनमें 99 जेल से बाहर
6 महीने पहले CID ने ATS को जो रिपोर्ट सौंपी थी उसके अनुसार अमन साहू के गिरोह में 145 गुर्गे हैं। इनमें 99 जेल से बाहर हैं। इस गैंग के पास 5 एके-47 सहित 250 से ज्यादा हथियार हैं। जेल जाने के बाद अमन साहू की गैंग को अमन के गाइडेंस पर मयंक सिंह चला रहा है। अमन पर अलग-अलग थानों में 124 से ज्यादा केस दर्ज हैं। मयंक मूल रूप से यूपी के देवरिया का रहने वाला है। अमन साव गिरोह के पास 250 से अधिक हथियार हैं। जिसमें 9 कार्बाइन, 70 देसी कट्टा और 166 पिस्टल हैं।
29 साल का अमन, 10वीं में 78% मार्क्स थे
कोर्ट में पुलिस के 20 पन्नों के दिए बयान के अनुसार गैंगस्टर अमन साहू, अमन साव के नाम से भी जाना जाता है। उसका जन्म रांची जिले के मतवे, बुढ़मू गांव में साल 1995 में हुआ। वर्ष 2010 में उसने मैट्रिक की परीक्षा 78 फीसदी अंकों के साथ पास की। उसके बाद इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एवं कंप्यूटर साइंस में पंजाब के मोहाली से डिप्लोमा 62% अंक के साथ पास किया।
साल 2012 में जब वह घर आया था तब उसकी पहचान झारखंड जनमुक्ति मोर्चा के तत्कालीन सुप्रीमो कुलेश्वर सिंह से हुई और यहीं से उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा। एक कांड के दौरान वह 2015 में पहली बार जेल गया। जहां उसकी दोस्ती सुजीत सिन्हा एवं मयंक सिंह से हुई। यहीं से वह उग्रवादी संगठनों के अलावा दूसरे आपराधिक गिरोहों के संपर्क में आया।
कैसे हुआ संपर्क, चल रही जांच
हालांकि गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और कुख्यात अपराधी अमन साहू दोनों जेल में बंद हैं। इसके बाद भी ये एक-दूसरे के संपर्क में कैसे आए, इसका खुलासा अभी नहीं हो सका है। एनआईए इसकी भी जांच कर रही है। एनआईए इस बात को पता करने में जुटी है कि दोनों अपराधियों के बीच संपर्क कराने वाला सूत्रधार कौन है।
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