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राजकीय बाल गृह, आगरा
– फोटो : अमर उजाला
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जिस संतान के लिए मन्नतें मांगी, हर जगह भटके। अब वहीं संतान परिजन को बोझ लगने लगी। दुखी होकर 4 साल 10 महीने के पौत्र को दादी ने बाल कल्याण समिति को सौंप दिया था। अब 22 दिन बाद दादी की ममता जागी तो बच्चे को घर ले जाने के लिए समिति के समक्ष गुहार लगाई है।
समिति सदस्य बेताल सिंह ने बताया कि 1 मार्च 2024 को ही बच्चे के पिता ने समिति को बच्चा सौंपने के लिए लिखित में दिया था। 30 अप्रैल को दादी और माता-पिता बच्चे को समिति के समक्ष दे गए थे। दादी का कहना था कि बच्चा उनके बड़े बेटे-बहू का था। छोटी बहू के बच्चा नहीं था तो बड़ी बहू के जुड़वा बच्चे होने पर एक बच्चा छोटी को दे दिया गया था। पर, छोटे बेटे व बहू में झगड़ा होने पर छोटी बहू, बच्चा और घर छोड़कर चली गई। छोटा बेटा नशा करता है। मैं बुजुर्ग हूं इसलिए बच्चे का लालन-पालन नहीं कर सकती।
समिति सदस्यों ने दादी की ममता जगाई
बाल कल्याण समिति सदस्य हेमा कुलश्रेष्ठ ने बताया कि समिति की सदस्यों ने दादी व उसके असली माता-पिता को समझाया। पर, उन्होंने बच्चा रखने से मना कर दिया, बच्चा मानसिक रूप से कमजोर है। पर, दादी बच्चे से मुलाकात करने जब आईं तो दादी की काउंसिलिंग की गई। इससे दादी का हृदय परिवर्तन हुआ, अब उन्होंने पौत्र को वापस लेने की गुहार लगाई है।
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